कुण्डली में ग्रह पीडा होने पर गोचर का जो ग्रह व्यक्ति को पीडा दे रहा हो तो उक्त ग्रह से संबंधित उपाय करने पर कुछ शुभ पभावों को प्राप्त किया जा सकता है. सूर्य कुण्डली में आरोग्य शक्ति व पिता के कारक ग्रह होते है अत: जब जन्म कुण्डली में सूर्य के दुष्प्रभाव प्राप्त हो रहे हों या फिर सूर्य पीडित हो तो सूर्य उपाय करना लाभकारी रहता है. विशेष कर यह उपाय सूर्य गोचर में जब शुभ फल न दे रहे हों तो भी उपाय किया जा सकता है. इसके अलावा जब सूर्य गोचर में छठे घर के स्वामी या सांतवें घर के स्वामी पर अपनी दृ्ष्टी डाल उसे पीडित कर रहा हो तब भी इनके उपाय करने से व्यक्ति के कष्टों में कमी होती है.
कुण्डली में सूर्य अगर नीच का है अथवा पीड़ित अवस्था में है तो सूर्य की शांति के लिए आप दान कर सकते हैं. शास्त्रों के अनुसार दान का फल उत्तम तभी होता है जब यह शुभ समय में सुपात्र को दिया जाए. सूर्य से सम्बन्धित वस्तुओं का दान रविवार के दिन दोपहर के समय करना चाहिए. सूर्य ग्रह की शांति के लिए रविवार के दिन व्रत करना चाहिए. गाय को गेहुं और गुड़ मिलाकर खिलाना चाहिए. किसी ब्राह्मण अथवा गरीब व्यक्ति को गुड़ का खीर खिलाने से भी सूर्य ग्रह के विपरीत प्रभाव में कमी आती है.
गुड़, सोना, तांबा और गेहूं का दान भी सूर्य ग्रह की शांति के लिए उत्तम माना गया है. सूर्य से सम्बन्धित रत्न का दान भी उत्तम होता है. कुण्डली में सूर्य कमज़ोर है तो पिता एवं अन्य बुजुर्गों की सेवा करनी चाहिए इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं. प्रात: उठकर सूर्य नमस्कार करने से भी सूर्य की विपरीत दशा से आपको राहत मिल सकती है.
सूर्य से संबन्धित वस्तुओं का दान, जप, होम मन्त्र धारण व सूर्य की वस्तुओं से जल स्नान करना भी सूर्य के उपायों में आता है. सूर्य की शान्ति करने के लिये इन पांच विधियों में से किसी भी एक विधि का प्रयोग किया जा सकता है. गोचर में सूर्य के अनिष्ट प्रभाव को दूर करने में ये उपाय विशेष रुप से उपयोगी हो सकते है.
सूर्य वस्तुओं का दान एवं स्नान द्वारा उपाय | Remedies related to baths and donations
गोचर में यदि सूर्य अनिष्ट कारक हो तो व्यक्ति को स्नान करते समय जल में खसखस या लाल फूल या केसर डाल कर स्नान करना शुभ रहता है. खसखस, लाल फूल या केसर ये सभी वस्तुएं सूर्य की कारक वस्तुएं है तथा सूर्य के उपाय करने पर अन्य अनिष्टों से बचाव करने के साथ-साथ व्यक्ति में रोगों से लडने की शक्ति का विकास होता है. सूर्य की वस्तुओं से स्नान करने पर सूर्य की वस्तुओं के गुण व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करते हैं तथा उसके शरीर में सूर्य के गुणों में वृ्द्धि करते है.
सूर्य की वस्तुओं से स्नान करने के अतिरिक्त सूर्य की वस्तुओं का दान करने से भी सूर्य के अनिष्ट से बचा जा सकता है. सूर्य की दान देने वाली वस्तुओं में तांबा, गुड, गेहूं, मसूर दाल दान की जा सकती है. यह दान प्रत्येक रविवार या सूर्य संक्रान्ति के दिन किया जा सकता है. सूर्य ग्रहण के दिन भी सूर्य की वस्तुओं का दान करना लाभकारी रहता है.
इस उपाय के अन्तर्गत सभी वस्तुओं का एक साथ भी दान किया जा सकता है. दान करते समय वस्तुओं का वजन अपने सामर्थय के अनुसार लिया जा सकता है. दान की जाने वाली वस्तुओं को व्यक्ति अपने संचित धन से दान करें तो अच्छा रहता है.
सूर्य मन्त्र जाप | Sun’s Mantra
सूर्य के उपायों में मन्त्र जाप भी किया जा सकता है. सूर्य के मन्त्रों में "ॐ घृणि: सूर्य आदित्य: " मन्त्र का जाप किया जा सकता है. इस मन्त्र का जाप प्रतिदिन भी किया जा सकता है तथा प्रत्येक रविवार के दिन यह जाप करना विशेष रुप से शुभ फल देता है. सूर्य से संबन्धित अन्य कार्य जैसे हवन इत्यादि में भी इसी मंत्र का जाप करना अनुकुल रहता है.
सूर्य यन्त्र स्थापना | Sun’s Yantra
सूर्य यन्त्र की स्थापना करने के लिये सबसे पहले तांबे के पत्र पर या भोजपत्र पर विशेष परिस्थितियों में कागज पर ही सूर्य यन्त्र का निर्माण कराया जाता है. सूर्य यन्त्र में समान आकार के नौ खाने बनाये जाते हैं इनमें निर्धारित संख्याएं लिखी जाती हैं. ऊपर की तीन खानों में 6,1,8 क्रमशा अलग- अलग खानों में होना चाहिए. मध्य के खानों में 7,5,3 संख्याएं लिखी जाती है. तथा अन्तिम लाईन के खानों में 2,9,4 लिखा जाता है. यन्त्र की संख्याओं की यह विशेषता है कि इनका सम किसी ओर से भी किया जाए उसका योगफल 15 ही आता है. यह एक उपयोगी यंत्र होता है जिसके पूजन द्वारा सूर्य शांति प्राप्त होती है.