श्री महालक्षमी यंत्र, की अधिष्ठात्री देवी कमला हैं, इस यंत्र के पूजन एवं स्मरण मात्र से वैभव एवं सुख की प्राप्ति होती है. महालक्ष्मी यन्त्र की पूजा एवं स्थापना द्वारा व्यक्ति को अपने निवास स्थान में लक्ष्मी का स्थाई निवास प्राप्त होता है. श्री महालक्षमी यंत्र का पूजन से समस्त सुखों एवं धन की प्राप्ति संभव हो पाती है. श्वेत हाथियों के द्वारा स्वर्ण कलश से स्नान करती हुयी कमलासन पर विराजमान देवी लक्ष्मी इस यंत्र रुप में निवास करती हैं. इस यंत्र के विषय में पुराणों में वर्णित है कि इसकी स्थापना से देवी कमला की प्राप्ति होती है और भक्त क अजीवन सभी कष्टों से मुक्त हो जाता है.
इस यंत्र में लक्ष्मी जी वास माना गया है. सभी यंत्रों में श्रेष्ठ स्थान पाने के कारण इसे यंत्रराज भी कहते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार एक बार लक्ष्मी जी पृथ्वी से बैकुंठ धाम चली जाती हैं, इससे पृथ्वी पर संकट आ जाता है तब प्राणियों के कल्याण हेतु वशिष्ठ जी लक्ष्मी को वापस लाने का प्रयास करते हैं. पृथ्वी पर ‘‘श्री महालक्ष्मी यंत्र’’ की साधना करते हैं और इसे स्थापित कर, प्राण-प्रतिष्ठा एवं पूजा करते हैं उनकी इस पूजा एवं स्थापना द्वारा लक्ष्मी जी वहां उपस्थित हो जाती हैं.
इस यंत्र की संरचना विचित्र है, यंत्रों में जो भी अंक लिखे होते हैं या जो भी आकृतियां निर्मित होती हैं वह देवी देवताओं की प्रतीक होती हैं. यंत्र-शक्ति द्वारा वातावरण में सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होत है. श्री यंत्र को पास रखने से शुभ कार्य सम्पन्न होते रहते हैं. इस यंत्र को सर्व सिद्धिदाता, धनदाता या श्रीदाता कहा गया है. इसे सिद्ध या अभिमंत्रित करने के लिए लक्ष्मी जी का मंत्र अति प्रभावशाली माना जाता है.
महालक्ष्मी यंत्र निर्माण | Establishment Mahalakshmi Yantra
यंत्र विविध प्रकार में उपलब्ध होते हैं जैसे कूर्मपृष्ठीय यंत्र, धरापृष्ठीय यंत्र, मेरुपृष्ठीय यंत्र, मत्स्यपृष्ठीय यंत्र, इत्यादि यह यंत्र स्वर्ण, चांदी तथा तांबे के अतिरिक्त स्फटिक एवं पारे के भी होते हैं. सबसे अच्छा यंत्र स्फटिक का कहा जाता है यह मणि के समान होता है. यंत्रों में मंत्रों के साथ दिव्य अलौकिक शक्तियां समाहित होती हैं. इन यंत्रों को उनके स्थान अनुरूप पूजा स्थान, कार्यालय, दुकान, शिक्षास्थल इत्यादि में रखा जा सकता है. यंत्र को रखने एवं उसकी पूजा करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है और सफलता प्राप्त होती है. श्रीयंत्र विभिन्न आकार के बनाए जाते हैं जैसे अंगूठी, सिक्के, लॉकेट या ताबीज रुप इत्यादि में देखे जा सकते हैं.
महालक्ष्मी यंत्र में षटकोण वृत अष्टदल एवं भूपुर की संरचना की होती है, किसी शुभ मुहूर्त्त जैसे दिपावली, धनतेरस, रविपुष्य, अभिजीत मुहूर्त्त एवं इसी प्रकार के शुभ योगों में इसकी स्थापना की जानी चाहिए. इस यन्त्र की स्थापना से लक्ष्मी का आशिर्वाद एवं स्थाई निवास प्राप्त होता है. धन वृद्धिकारक श्री महालक्ष्मी यंत्र को घर, कार्य स्थल या अपने पास रखने से आर्थिक संकट दूर होते हैं तथा मान सम्मान में वृद्धि होती है.
महालक्ष्मी यंत्र पूजा | Mahalakshmi Yantra Puja
महालक्ष्मी शक्ति स्वरूपा हैं. देवी भागवत, श्रीमद् भागवत, मार्कण्डेय पुराण इत्यादि में महालक्ष्मी जी की महिमाओं क अवर्णन किया गया है. महालक्ष्मी यंत्र की पूजा के लिए इसे स्वयं भी बनाया जा सकता है. इस यंत्र को सोने, चांदी या स्फटीक पर बनवा जा सकता है. लक्ष्मी जी के बीज मंत्र से विनियोग, न्यास, ध्यान आदि द्वारा इसकी प्राण-प्रतिष्ठा करनी चाहिए. इस यंत्र को पूजा स्थल पर स्थापित करने के पश्चात नित्य रुप से मंत्र जाप करना चाहिए. यंत्र को स्थायी रूप से अपने घर, कार्य स्थल अथवा पूजा स्थल में स्थापित करें और नियमित पूजा अवश्य करें इस प्रकार, इस सिद्ध मंत्र के प्रभाव में आपका वर्ष आनंद से बीतेगा और मां लक्ष्मी की कृपा मिलेग
महालक्ष्मी यंत्र मंत्र | Mahalakshmi Yantra Mantra
श्री महालक्ष्मी यंत्र के जाप एवं पूजन के साथ साथ इस यंत्र के मंत्र का जाप भी करना चाहिए मंत्र की प्रतिदिन एक माला करने से धन की प्रप्ति होती है.यह यंत्र एक अद्भुत एवं शक्तिशाली यंत्र है जिससे जीवन में धन और सफलता की प्राप्ति होती है. इस यंत्र को स्थापित करके देवी के नामों का नियमित जप करना चाहिए. महालक्ष्मी यंत्र की पूजा में लक्ष्मी जी का मंत्र अवश्य पढ़ना चाहिए. महालक्ष्मी मंत्र जाप के लिए कमलगट्टे की माला या मूंगे की माला का उपयोग करना उत्तम होता है. महालक्ष्मी जहां स्थापित होता है वहां महालक्ष्मी का स्थायी वास होता है. महालक्ष्मी यंत्र मंत्र - "ॐ ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं, ह्रीं ह्रीं फट्"