ग्रहों की शुभता की बात जब आती है तो बृहस्पति को सबसे अधिक शुभ ग्रह की श्रेणी में रखा जाता है. यह सभी ग्रहों में विशेष होता है ओर अपनी शुभता का प्रभाव जब दिखाता है तो समय को पलट देने वाला भी होता है. बृहस्पति को वैदिक और पाश्चात्य ज्योतिष दोनों में ही सबसे शुभ और लाभ देने वाला ग्रह माना जाता है. कुंडली में इसके होने पर व्यक्ति के सिद्धांतों की प्रकृति और दृढ़ता का उचित रुप से पता चल पाता है. बृहस्पति को एक मार्गदर्शक के रुप में भी देखा जाता है. यह जीवन में सत्य की ओर इशारा करते हुए हमें कई तरह के रंग दिखाता है. जीवन के संपूर्ण पथ पर हमारे मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है.

अब जब बृहस्पति को विवाह के लिए देखा जाता है तो यह कारक के रुप में विशेष होता है. विवाह के एक महत्वपूर्ण कारक के रुप में इसे देखा जाता है. जीवन में वैवाहिक सुख के मिलने या उस पर लगने वाली रोक टोक को इस के द्वारा समझ पाना संभव होता है. अगर कुंडली में बृहस्पति शुभ अवस्था में है तो यह विवाह के अटकाव दूर कर देने वाला ग्रह है और एक अच्छे सुखी जीवन को देने में सक्षम है. किंतु गुरु अनुकूल नही है तो फिर विवाह का सुख प्राप्त कर पाना भी मुश्किल होता है. यहां यह जीवन के सुखद मार्ग को खराब कर देने वाला होता है. 

वैवाहिक जीवन में इसके शुभ और अशुभ पहलू 

बृहस्पति यह रचनात्मकता का ग्रह है. जीवन में विवाह की स्थिति और उसके द्वारा नवीन निर्माण इसके द्वारा प्रदान होने वाली बाहरी रचनात्मक गतिविधि का संकेत है. यह किस रूप में कार्य करता है वह किसी व्यक्ति की कुंडली में इसके स्थान प्रभाव द्वारा ही समझा जा सकता है. यह प्राकृतिक शुभ ग्रह है, लेकिन कई कुंडलियों में यह मारक और अशुभ ग्रह भी है. तब उन परिस्थितियों में इस ग्रह के विषय में जान पाना काफी मुश्किल है.  बृहस्पति द्वारा विवाह में मिलने वाले शुभ अशुभ फलों का असर जाना जा सकता है. जीवन साथी के साथ संबंध कैसा होगा इस के द्वारा समझा जा सकता है. यह ग्रह व्यक्ति को स्वयं को अभिव्यक्त करने की क्षमता भी प्रदान करता है, विभिन्न क्षेत्रों में स्वयं को प्रकट कर सकता है. बृहस्पति खुला और उदार है. वह विकास को बढ़ावा देता है और विकास के हर चरण में जब विवाह की बात आती है तो यह सुख दुख क पैमाने को काफी अच्छे से दिखाता है. 

बृहस्पति हमारे आंतरिक विकास को निर्धारित करता है. यह हमारे आध्यात्मिक जीवन को दर्शाता है. यह जीवन के आनंद और अच्छी आत्माओं का भी प्रतीक है. यह एक महान आशावादी ग्रह है. जो हर चीज में सकारात्मक पक्ष देखने में सक्षम है. यह किसी भी दुख और उदासी पर काबू पा लेने में सक्षम होता है. यह सौभाग्य, दया. कोमला और समृद्धि का ग्रह है. लेकिन कुंडली में स्थान के आधार पर यह अलग परिणाम ला सकता है. 

जब विवाह में इसकी भूमिका को देखा या समझा जाता है तो कुंडली के बारह भाव में इसके असर और भाव में कई तरह की विशेषताएं होती हैं. गुरु स्थान के आधार पर कुंडली में अलग-अलग फल देता है.

बृहस्पति का पहले भाव में विवाह प्रभाव  

जन्म कुंडली में. प्रत्येक ग्रह के लिए एक सर्वोत्तम स्थान होता है. जिसे दिक-बल कहा जाता है. पहला घर बृहस्पति के लिए सबसे अच्छा स्थान है. ऐसा माना जाता है कि पहले भाव में स्थित बृहस्पति व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में इसका असर शुभता प्रदान करने वाला होता है. यह खराब दुष्प्रभावों से बचाता है. बृहस्पति का असर सभी क्षेत्रों में पड़ता है. लेकिन विशेष रुप से प्रेम विवाह और सौभाग्य के लिए यह अच्छे परिणाम देता है. अपने जीवन साथी में यह बुद्धिमानी, आत्मविश्वासी, उदारता, दयालुता, आशावादी और भाग्यशाली होने का गुण पाता है. व्यक्ति के पास सब कुछ पर्याप्त भी होता है.

बृहस्पति का दूसरे भाव में विवाह प्रभाव 

दूसरे भाव में बृहस्पति का होना विवाह पर मिलेजुले असर डालता है. बृहस्पति जब दूसरे भाव में होता है तो वैवाहिक जीवन पर सामान्यत: अनुकूल असर ही दिखाता है. व्यक्ति को अपने जीवन साथी की ओर से लाभ और सहयोग की प्राप्ति होती है. अपने ओर अपने परिवार की देखभाल करना पसंद करता है. अपने साथी की ओर से धन लाभ, सम्मान, प्रतिष्ठा भी प्राप्त होती है.लेकिन कुछ मायनों में यह साथी की ओर से दूरी भी दिखाता है. जीवन साथी की सेहत को लेकर भी चिंता रह सकती है. यौन संबंधों पर असर पड़ता है. अशुभ ग्रहों या वक्री ग्रहों के साथ होने पर बृहस्पति खराब फल देता है. आपसी संबंधों में अभिमान की स्थिति अधिक झलकती है. पारिवारिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं. 

बृहस्पति का छठे भाव में विवाह प्रभाव 

छठे भाव में बृहस्पति का होना विवाह पर खराब प्रभाव दिखाने वाला होता है. विवाह सुख के लिए बृहस्पति यहां  अशुभ स्थान पर होता है. जिसके कारण जीवन साथी आलसी,  सुस्त. दुखी, बुरी आदतों की प्रवृत्ति वाला हो सकता है. विशेषकर पुरुषों की कुंडली में ऎसा होना जीवन साथी को अक्सर बीमारियों के संपर्क में रखता है. व्यक्ति को अ[पने जीवन साथी का सहयोग कम ही मिल पाता है. विचारों का मतभेद बना रहता है. व्यर्थ के मुद्दे तनाव का कारण होते हैं. लेकिन यदि बृहस्पति की अच्छी स्थिति यहां हो जैसे वह स्वराशिगत हो या फिर प्रबल हो तब कुछ सकारात्मक परिणाम भी दे सकता है. ऎसे में विवाद होने पर निपटान भी संभव होता है. शत्रुओं को परास्त कर सकता है. कमजोर बृहस्पति के द्वारा आपसी टकराव हो सकता है. महिलाओं को अपने पति से परेशानी हो सकती है. साथी को यकृत रोग और आंतरिक अंगों के रोग दे सकता है. 

बृहस्पति का आठवें भाव में विवाह पर प्रभाव 

बृहस्पति का आठवें भाव में होना विवाह सुख की कमी को दर्शाता है. यह एक खराब भाव स्थान है जहां बृहस्पति जैसा शुभ ग्रह अनुकूलता की कमी को दर्शाता है. आठवें भाव में विवाह कारक बृहस्पति विवाह के सुख को देने में देरी भी कर सकता है. विवाह जीवन में मिलने वाले सुखों को कमजोर कर देने वाला होता है. यह स्थिति गुप्त विवाह रिश्तों पर भी अपना असर दिखाने वाली होती है.  यह बृहस्पति के लिए एक अशुभ स्थान है. जीवन साथी को स्वास्थ्य समस्याएं अक्सर उत्पन्न हो सकती हैं. रिश्तों में अनेक समस्याओं, आर्थिक कठिनाइयों, अपमान, असफलताओं से गुजरना पड़ सकता है. इस भाव स्थान में कुछ सकारात्मक पक्ष यदि देखें तो स्त्री अपने पति के माध्यम से विरासत में धन प्राप्त कर सकती है. कभी-कभी आठवें घर में स्थित बृहस्पति अनैतिक  संबंध भी दिखाता है.