बुध ग्रह का आत्मकारक रुप में होना कुंडली में बुध के द्वारा पड़ने वाले विशेष प्रभावों को दर्शाता है. जैमिनी ज्योतिष अनुसार ग्रहों का विभिन्न कारक रुपों में होना उनके द्वारा मिलने वाले फलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है. कोई भी ग्रह किसी भी रुप में अपने असर देने में सक्षम होता है. यदि ग्रह श्भ हो तो स्वाभाविक है की उसके अच्छे परिणाम मिल पाते हैं. उसके अनुकूल परिणाम ही जीवन को बेहतर रुप से आगे ले जाने में सहायक होते हैं.
इसके विपरित यदि ग्रह अशुभ पाप प्रभावित है तो उसके कारण शुभता की प्राप्ति हो पाना मुश्किल होता है. जैमिनी अनुसार बुध के आत्मकारक होने की स्थिति तब बनती है जब वह सभी ग्रहों से अधिक अंशात्मक स्थिति में होता है. जब बुध ग्रहों में आत्मकारक होता है तो उसका असर व्यक्ति की बौद्धिकता और उसके द्वारा लिए गए फलों के रुप में दिखाई देता है.
आत्मकारक रुप में सकारात्मक बुध का असर
बुध का कुंडली में अनुकूल स्थिति में होना आत्मकारक रुप में बहुत ही बेहतर माना गया है. जीवन जीने की बेहतर कल्पना करना और जीवन में सभी आवश्यक सुख-सुविधाएं प्राप्त करने की इच्छा बुध के प्रभाव द्वारा देखने को मिलती है. बुध एक राजकुमार है जो जीवन को मस्ती के रुप में और आनंद के साथ जीने की चाह रखता है. मेहनत का परिणाम जिस रुप में हम करते हैं उस अनुरुप मिल पाए यह संभव नहीं है, इसमें बुध की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रहा है. बुध के बारे में एक या दो चीजें विशेष हैं कि बुध सबसे छोटा और निकटतम ग्रह है, जो सूर्य की परिक्रमा करता है. भारतीय ज्योतिष में, इसे लोकप्रिय रूप से बुद्धि के रुप में जाना जाता है, जो ज्ञान को दर्शाता है.
आत्मकारक बुध ग्रह की विशेषताएं
आत्मकारक रुप में बुध की विशेषताएं अनेक रुपों में हमें प्राप्त होती हैं. वहीं बुध जब कुंडली में अलग स्थिति में होगा तो वह अलग रुप में फल देने वाला होगा. बुध की स्थिति जब आत्मकारक बनती है तो उसके कई तरह के असर हमें देखने को मिल सकते हैं.
मानसिक एवं बौद्धिक क्षमताएं
आत्मकारक रुप में यदि बुध की स्थिति देखी जाए तो इसका सीधा अर्थ व्यक्ति की मानसिक क्षमताओं पर अधिक पड़ता है. मन के रुप में चंद्रमा को विशेष रुप से जोड़ा गया है लेकिन इसी में बुध का भी गहरा असर माना गया है. व्यक्ति की मानसिक क्षमताएं कितनी तीव्र होंगी इसके लिए बुध की स्थिति को देखना अहम होता है. बुध का असर व्यक्ति को उचित रुप से आगे ले जाने में सहायक होता है. उचित रुप से लिए गए फैसले एवं मन में उभरने वाले विचार बुध के प्रभाव से सामने आते हैं. बुध बौद्धिक स्थिति के लिए भी बहुत उपयुक्त होता है. मानसिक क्षमताएं एवं बौद्धिक क्षमताओं पर बुध का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है.
आत्मकारक रुप में बुध जब सामने आता है तो उसमें कई तरह के पहलुओं को देखा जा सकता है. बुध यदि कुंडली में शुभ स्थिति में होकर आत्मकारक बनता है तो उसके प्रभाव से बुद्धि का उपयोग बेहद उचित रुप से देखने को मिलता है. इसमें व्यक्ति की कई विचारधारें अन्य लोगों को प्रभावित करने वाली होती हैं.
आत्मकारक बुध का ज्योतिष में महत्व
बुध ग्रह वाणी और बुध को नियंत्रित करने वाला ग्रह माना गया है. यह मिथुन और कन्या राशियों का स्वामी होता है. बुध व्यक्ति के भाषण या संचार कौशल में प्रभाव ओर क्षमता प्रदान करने में मदद करता है. बुध के सहयोग द्वारा व्यक्ति अपनी छवि को भी बेहतर बना सकते हैं और अपने विचारों के द्वारा दूसरों को प्रभावित करने में सफल हो सकता है. ज्योतिष में बुध ग्रह वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करता है. यह शुभ ग्रह नकारात्मक चीजों के प्रभाव को कम करने में मदद करता है. यह सोचने की प्रक्रिया और मनोभावों भावों पर नियंत्रण रखता है.
यह कार्यों की सजगता, विकल्पों और विश्लेषणात्मक क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है. बुद्धि को नियंत्रित करता है. जन्म कुंडली में बुध मजबूत होता है, तो आत्मकारक होकर बुध शब्दों पर बेहतर नियंत्रण रखने के लिए उत्साह देता है. वे जान सकते हैं कि दूसरों के साथ कैसे संवाद करना है. इससे व्यक्ति सभी के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाने में और नए अविष्कार करने में भी आगे रहता है. यदि बुध कुंडली में अनुकूल स्थिति में है, तो व्यक्ति के पास एक विशेष गुण होता है कि बातचीत कैसे शुरू करेऔर उसे कैसे अंजाम तक पहंचाए. इसके अलावा, बुध तीन नक्षत्रों का भी स्वामी है. यह अश्लेषा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र और रेवती नक्षत्र का स्वामी है.
आत्मकारक रुप में बुध के प्रभाव
आत्मकारक रुप में बुध ग्रह शुभ ग्रहों की दृष्टि में है या पाप ग्रहों की. बुध की शुभ ग्रह की दृष्टि आपको अपने जीवन में सकारात्मक परिणाम दे सकती है. यदि यह पाप ग्रहों की दृष्टि में है, तो यह कमजोर हो सकता है, और आपका समय प्रतिकूल हो सकता है. बुध यह भी प्रदर्शित करता है कि व्यक्ति दूसरों को समझाने में कितना अच्छा होता है. ब
ुध की स्थिति का गहराई से विश्लेषण करने और निर्णय लेने के कौशल को देने वाली होती है. बुध के शुभ ग्रह होने का प्रभाव हमारी वाणी, बुद्धि और संचार कौशल पर अत्यधिक महत्व है. यदि बुध ग्रह आत्मकारक होकर शत्रु की दृष्टि में है या कमजोर रूप में है, तो यह चुनौतीपूर्ण समय को दिखाने वाला होता है. आत्मकारक रुप में कमजोर बुध न तो कोई अच्छी सहायता प्रदान करता है और न ही उन्हें विशेष क्षमता का आशीर्वाद देता है.