सूर्य का गोचर पुनर्वसु नक्षत्र में तब होता है जब सूर्य मिथुन राशि के अंतिम चरणों की ओर अग्रसर होता है. पुनर्वसु नक्षत्र के तीन चरण मिथुन राशि में ही पड़ते हैं और इसका अम्तिम चरण कर्क राशि में होता है. ऎसे में सूर्य मिथुन ओर कर्क दोनों राशि के संपर्क करता है इस नक्षत्र में गोचर के दौरान. पुनर्वसु नक्षत्र शुभ नक्षत्र में स्थान पाता है अत: सूर्य का यहां होना भी अनुकूल ही कहा जाता है. पुनर्वसु नक्षत्रों की संख्या में सातवें स्थान पर आता है. इस नक्षत्र का स्वामी गुरु है और राशि स्वामी बुध और चंद्र है. इस नक्षत्र की देवी अदिति हैं जो देवों की माता भी हैं.
सूर्य के पुनर्वसु नक्षत्र में गोचर का समय 2024
सूर्य पुनर्वसु नक्षत्र में जुलाई माह के आरंभिक समय में करता है. इस समय सूर्य आर्द्रा से निकल कर पुनर्वसु में जाता है. सूर्य का पुनर्वसु नक्षत्र में प्रवेश 5 जुलाई 2024 को 23:40 पर होगा.
सूर्य का पुनर्वसु नक्षत्र प्रवेश जीवन के आरंभ का संकेत
पुनर्वसु नक्षत्र को राजसिक नक्षत्र के रुप में भी देख सकते हैं क्योंकि इसके देव एवं स्वामी भी राजसिक पात्रता को पाते हैं. इस नक्षत्र में आने से पहले सूर्य आर्द्रा में होता है जहां चीजें काफी बदलाव लिए होती हैं. इस समय पर होने वाले कठोर बदलाव अब समाप्त होकर धीमे पड़ने लगते हैं और साथ ही पुनर्वसु के आगमन से सूर्य पुन: नवजीवन को प्रकाशित करने लगता है. ये समय पुन: प्राप्ति और पुन: जागृत होने का समय भी होता है.
सूर्य का पुनर्वसु नक्षत्र गोचर में विभिन्न ग्रहों से योग
सूर्य के पुनर्वसु नक्षत्र में आते ही सूर्य इस नक्षत्र के प्रत्येक पद पर जाता है उसका उस नक्षत्र के चरण स्वामी के साथ भी संबंध बनता है. ग्रहों का प्रभाव ओर वेध भी इस गोचर में विशेष रुप से असर डालने वाला होता है.
पुनर्वसु पहले चरण में सूर्य-मंगल,
पुनर्वसु दूसरे चरण में सूर्य -शुक्र,
पुनर्वसु तीसरे चरण में सूर्य-बुध
पुनर्वसु चतुर्थ चरण में सूर्य - चंद्र
पुनर्वसु नक्षत्र प्रत्येक पद पर सूर्य का असर
पुनर्वसु नक्षत्र के (1) पहले पद में सूर्य का गोचर
पुनर्वसु नक्षत्र का पहला पद मंगल के अधिकार क्षेत्र को पाता है और मेष नवांश में पड़ता है. इस समय सूर्य का प्रभाव तेजी ओर बदलाव को दिखाने वाला होता है. सभी ओर व्यवस्था का चेंज दिखाई दे सकता है. इस समय पर मौसम के बदलाव अधिक होगा. प्रकृतिक बदलाव भी जल्दी से होते दिखाई देंगे. इस समय मंगल सूर्य का योग कुछ अग्नि तत्व की अधिकता लिए होता है. काम काज में तीव्रता होगी, धीमी गति से काम नहीम होगा. सामाजिक क्षेत्र में भी ये समय अचानक से स्थिति का बदलाव दिखाता है.
पुनर्वसु नक्षत्र के (2) दूसरे पद में सूर्य का गोचर
पुनर्वसु नक्षत्र का दूसरा पद शुक्र के अधिकार क्षेत्र को पाता है और वृष नवांश में पड़ता है. इस समय के दोरान स्थिति कुछ रचनात्मक एवं कला पक्ष वाली होगी. चीजों में नवीनता और सौंदर्य देखने को मिलेगा. संबंधों के मध्य कुछ अनबन हो सकती है लेकिन आकर्षण बना रह सकता है. इस समय व्यवहार में रोमांच भी झलक सकता है. कला और फैशन से जुड़े क्षेत्र इस समय अधिक प्रभावित होते हैं.
पुनर्वसु नक्षत्र के (3) तीसरे पद पर सूर्य का गोचर
पुनर्वसु नक्षत्र का तीसरा पद बुध के अधिकार क्षेत्र को पाता है और मिथुन नवांश में पड़ता है. इस समय के दौरान बौद्धिकता का अच्छा उपयोग दिखाई देता है. बेहतर रुप से काम करने की प्रेरणा भी विकसित होती है. धार्मिक गतिविधियों का समय होता है. आपसी संबंधों में प्रेम एवं सहयोग की भावना विकसित होती है. ये समय स्थिरता और प्रगति के लिए काफी उपयोगी बनता है. नए अनुसंधान कार्य भी इस समय के दौरान अच्छे होते हैं.
पुनर्वसु नक्षत्र के (4) चौथे पद पर सूर्य का गोचर
पुनर्वसु नक्षत्र का चौथा पाद कर्क नवांश में पड़ता है और चंद्रमा द्वारा प्रभावित होता है. इस समय की स्थितियां मिलेजुले फलों को दर्शाती है. भावनात्मक एवं बौद्धिकता का अच्छा संगम होता है. ये समय रिश्तों में मजबूती का होता है. नए रिश्तों से जुड़ाव इस समय पर हो सकता है. आस पास की चीजों के प्रति अधिक संवेदनशील दिखाई दे सकते हैं.
सूर्य पुनर्वसु नक्षत्र गोचर मेदिनी प्रभाव
मेदिनी ज्योतिष के अनुसर सूर्य का पुनर्वसु नक्षत्र में आना भौगोलिक स्थिरता की ओर कुछ आगमन होता है. नई चीजें उभरती हैं. प्रकृति में कुछ समय के लिए स्थिरता भी दिखाई देती हैं. ये समय परिस्थितियों में संभले की स्थिति को दिखाता है.