ज्योतिष शास्त्र में अनेक प्रकार के योगों के विषय में उल्लेख प्राप्त होता है. कुण्डली में बनने वाले यह योग जातक के जीवन पर अनेक प्रकार से प्रभाव डालते हैं. इन सभी योगों का जातक के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है. इन योगों में कुछ अच्छे कुछ बुरे और कुछ मिले जुले प्रभाव देने वाले होते हैं. इन्हीं प्रमुख योगों में एक योग त्रिमूर्ति योग के नाम से बनता है. ब्रह्मा, विष्णु, और शिव को त्रिमूर्ति योग के नाम से जाना जाता है.
त्रिमूर्ति योग का निर्माण | Formation of Trimurti Yoga
इन त्रिमूर्ति से निर्मित यह योग अपनी सार्थकता को स्वयं ही प्रकट कर देता है. जिसे जानने के लिए किसी अन्य तथ्य को जानने की आवश्यकता नहीं है. कुण्डली मे बनने वाला यह योग कई प्रकार से फलिभूत होता है जैसे द्वितियेश से दूसरे, आठवें और बारहवें भाव में अगर शुभ ग्रह हों तो हरि योग बनता है. सप्तमेश से चतुर्थ, अष्टम व नवम भाव में शुभ ग्रह हों तो शिव योग बनता है. लग्नेश से चतुर्थ, दशम और एकादश भाव में शुभ ग्रह हों तो ब्रह्मा योग बनता है. यदि त्रिमूर्ति योग के बनने में अशुभ ग्रह भी साथ में हैं तो यह योग भंग हो जाता है. हरि योग शिव योग ब्रह्मा योगो में से कोई भी एक योग आपकी कुण्डली में होता है तो सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है.
त्रिमूर्ति योग का प्रभाव | Effect of Trimurti Yoga
हरि ,शिव व ब्रह्मा योग संयुक्त रूप से बनने वाला त्रिमूर्ति योग अपने निम्न रुपों में सामने आत अहै जमें इसके प्रत्येक स्वरुप को लिया जाता है. क्योंकि प्रत्येक भाव के अनुरुप में स्थित होने पर यह योग त्रिमूर्ति को भिन्न रुप से दर्शाता है. भिन्न भिन्न रुप होने पर भी यह योग एक ही नाम त्रिमूर्ति योग से जाना जाता है.
त्रिमूर्ति हरि योग | Trimurti Hari Yoga
यह योग जन्म कुंडली में दूसरे, आठवें और बारहवें भाव में शुभ ग्रह स्थित होने पर बनता है. हरि योग शुभ फलों को प्रदान करने वाला होता है. व्यक्ति को जीवन में सम्मान की प्राप्ति होती है. इसकी शुभता संपत्ति और धन प्रदान करने वाली होती है.
त्रिमूर्ति शिव योग | Trimurti Shiva Yoga
जन्म कुंडली में सप्तमेश से चतुर्थ, अष्टम व नवम भाव में यदि शुभ ग्रह हों तो शिव योग का निर्माण होता है. यह यह योग शक्ति एवं उर्जा प्रदान करने वाला होता है. जातक के भितर साहस एवं शौर्य की भावना समाहित रहती है. इसके प्रभाव स्वरूप व्यक्ति विजय एवं सफलता को प्राप्त करता है.
त्रिमूर्ति ब्रह्मा योग | Trimurti Brahma Yoga
जन्म कुंडली में यदि लग्नेश से चतुर्थ, दशम और एकादश भाव में शुभ ग्रह हों तो ब्रह्मा योग बनता है. इस योग के बनने से कर्मों में शुद्धता आती है तथा विद्वता को पाता है. व्यक्ति अपने कार्यों द्वारा समाज में उच्च स्थिति को पाता है. लाभ एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है.
कुंडली में यदि त्रिमूर्ति योग बन रहा हो, लेकिन अशुभ ग्रह भी साथ में स्थित हों तो इस स्थिति में यह योग भंग हो जाता है. जन्म कुंडली में हरि योग, शिव योग या ब्रह्मा योग में से कोई भी एक योग आपकी कुण्डली में बन रहा है तो आप धनी, सुखी, विद्वान स्वत: ही हो जाते है.