ज्योतिषशास्त्र में ग्रहों के योगों का बड़ा महत्व है। पराशर से लेकर जैमनी तक सभी ने ग्रह योग को ज्योतिष फलदेश का आधार माना है। योग के आंकलन के बिना सही फलादेश कर पाना संभव नहीं है।
योग क्या है और यह कैसे बनता है | What is Graha yoga
ग्रह योग की जब हम बात कर रहे हैं तो सबसे पहले यह जानना होगा कि ग्रह योग क्या है और यह बनता कैसे है। विज्ञान की भाषा में बात करें तो दो तत्वों के मेल से योग बनता है ठीक इसी प्रकार दो ग्रहों के मेल से योग का निर्माण होता है। ग्रह योग बनने के लिए कम से कम किन्हीं दो ग्रहों के बीच संयोग, सहयोग अथवा सम्बन्ध बनना आवश्यक होता है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ग्रहों के बीच योग बनने के लिए कुछ विशेष स्थितियों का होना आवश्यक होता है जैसे: दो या दो से अधिक ग्रह मिलकर एक दूसरे से दृष्टि सम्बन्ध बनाते हों। भाव विशेष में कोई अन्य ग्रह आकर संयोग करते हों। कारक तत्व शुभ स्थिति में हों। कारक ग्रह का अकारक ग्रह से सम्बन्ध बन रहा हो। एक भाव दूसरे भाव से सम्बन्ध बना रहे हों। नीच ग्रहों से मेल हो अथवा शुभ ग्रहों से मेल हो। इन सभी स्थितियों के होने पर या कोई एक स्थिति होने पर योग का निर्माण होता है।
जन्म कुण्डली में योग का स्थान | Position of Planetary combination in birth chart
व्यक्ति जब जन्म लेता है उसी समय से ग्रहों का प्रभाव उस पर पड़ना शुरू हो जाता है। हर व्यक्ति के जीवन में अच्छे बुरे परिणाम आते रहते हैं यह सब ग्रहों का प्रभाव होता है। हर व्यक्ति की कुण्डली में ग्रहों के कुछ विशेष योग होते हैं। इन योगों से व्यक्ति के जीवन में कब कैसा उतार चढ़ाव आएगा इसकी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। जन्म कुण्डली में योग का अध्ययन करते समय योग बनाने वाले ग्रहों की स्थिति का आंकलन बहुत ही सूक्ष्मता पूर्वक किया जाना होता है। योग के दौरान जो ग्रह प्रबल होता है उसका फल ही प्रमुख रूप से प्राप्त होता है।
योग में शक्तिशाली ग्रह का आंकलन | Powerful Planet in yoga
यह तय है कि जब ग्रहों के मध्य योग बनता है तो उनमें कोई एक ग्रह अधिक शक्तिशाली होता है। शक्तिशाली ग्रह का आंकलन करने के लिए एक सूत्र है जिसके अनुसार योग से सम्बन्धित ग्रह उच्चराशि में स्थित हों तो उसे पांच अंक दिया जाते हैं, अपनी राशि में हों तो चार, मित्र राशि में हों तो 3, मूल त्रिकोण में हों तो 2 और उच्च अभिलाषी हों तो 1। इसी प्रकार अंकों का विभाजन अशुभ ग्रह स्थिति होने पर दिया जाता है जैसे नीच ग्रह को 5, पाप ग्रह को 4, पाप ग्रह के घर में बैठा हुए ग्रह हो तो 3, पाप ग्रह से दृष्ट होने पर 2 और नीचाभिलाषी होने पर 1।
योग में शामिल ग्रहों में से जिस ग्रह को अधिक अंक मिलते हैं उसकी महादशा में दूसरे ग्रह की अन्तर्दशा में योगफल निकालकर शक्तिशाली ग्रह का पता किया जाता है। इस आंकलन में अगर शुभ ग्रह को अधिक अंक मिलते हैं तो परिणाम शुभ प्राप्त होता है और अशुभ ग्रह को अधिक अंक मिलने पर अशुभ फल प्राप्त होता है।
वर्तमान समय में ग्रह योग का फल कथन में महत्व | Importance of Planetary combination in Modern era
आज की तेज रफ्तार ज़िन्दगी में हम अवसर को गंवाना नही चाहते हैं। हम लोग ज्योतिषशास्त्री के पास जब अपना प्रश्न लेकर पहुंचते हैं तो हमारे पास कई सूक्ष्म सवाल भी साथ होते हैं जिनके उत्तर योग के आंकलन के बिना नहीं दिये जा सकते। एक ऐसा ही प्रश्न उदाहरण के तौर पर लेते हैं जैसे आपका सवाल है कि आपके लिए जीवन यापन का कौन सा क्षेत्र अच्छा होगा। इस प्रश्न के जवाब में ज्योतिषशास्त्री द्वितीय, पंचम, नवम, दशम तथा एकादश भाव के साथ द्वितीयेश, पंचमेश, नवमेश, दशमेश तथा एकादशेश को देखते हैं क्योंकि यह आजीविका से सम्बन्ध रखने वाले हैं इसके बाद आजीविका प्रधान ग्रह का आंकलन करते हैं।
आजीविका स्थान पर सूर्य है तो व्यक्ति सरकारी क्षेत्र में उच्चाधिकारी बनता है परंतु सूर्य का किसी अन्य ग्रह से योग होने पर स्थिति बदल जाती है। इसी प्रकार अन्य ग्रहों और उसके साथ बनने वाले योग की स्थिति में परिणाम मिलता है इसलिए योग आजीविका स्थान पर ग्रह योग का सूक्ष्मता से अध्ययन किये बिना सटीक जवाब मिलना कठिन होता है।
सटीक फलादेश से आप सही दिशा में प्रयास करते हैं तो आपको बिना अधिक परिश्रम के जल्दी ही उत्तम परिणाम मिलता है। इस प्रकार कहना होगा कि ज्योतिषशास्त्र में ग्रहों के योंगों का काफी महत्व है। इसके बिना ज्योतिष का फलादेश अपूर्ण है।