वर्तमान समय 2021 में गुरु ग्रह का गोचर कुंभ राशि में हो रहा है. कुंभ राशि में गोचर करते हुए गुरु जून माह में इसी राशि में वक्री अवस्था में गोचर करेंगे ओर यह समय सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक सभी क्षेत्रों पर असर डालने वाला होगा. देवगुरु बृहस्पति 20 जून को कुंभ राशि में वक्री होंगे, 15 सिंतबर के बाद बृहस्पति वक्री अवस्था में मकर राशि में प्रवेश करेंगे और फिर बृहस्पति लगभग 20 नवंबर तक वक्री अवस्था में गोचरस्थ होंगे. बृहस्पति का वक्री होना मिला जुला प्रभाव देने वाला होगा. वक्री अवस्था में गोचर करते हुए कुंभ, मकर और धनु पर अपना विशेष प्रभाव डालेंगे, इसके साथ अन्य राशि के लोगों पर भी इसका प्रभाव स्पष्ट रुप से दिखाई देगा.
बृहस्पति के वक्री होने पर कुछ कार्यों का आरंभ होगा तो कुछ वस्तुओं की प्राप्ति का योग भी इस समय पर मिलता दिखाई दे सकता है. शुभ ग्रह के वक्रत्वकाल का मिला जुला प्रभाव डालने वाला होता है. वक्री होते ही आर्थिक क्षेत्र, काम-काज, घर-परिवार, सामाजिक व राजनितिक परिपेक्ष में इसका दूरगामी प्रभाव भी देखने को मिल सकता है. आने वाले चार माह में इस समय गुरु का प्रभाव कुछ बदलावों और नवीनता को दिखाने वाला होगा. बृहस्पति का ये वक्री होकर गोचर करना सावधानी और संयम रखने की स्थिति को भी दर्शाता है.
आईये जाने सभी 12 राशियों पर वक्री गुरु का प्रभाव
वक्री गुरु का मेष राशि पर प्रभाव
गुरु गोचर मेष राशि के नवम और बारहवें भाव का स्वामी होकर इस समय वक्री हो रहे हैं. इस दौरान मेष राशि के लोगों को अपने धन को लेकर अधिक सजग रहना होगा. आर्थिक स्थिति में बदलाव के चलते आप किसी न किसी कारण से आप दबव में रह सकते हैं. आमदनी में वृद्धि के भी अवसर इस समय पर मिल सकते हैं पर व्यर्थ के खर्चों से सावधान रहना जरुरी है. इस समय पर अचानक से यात्रा के मोके भी मिल सकते हैं. संतान सुख की प्राप्ति का भी योग दिखाई देता है. छात्रों को अपनी कुछ परिक्षाओं में बेहतर परिणाम मिल सकते हैं. आप कई मामलों में लोगों से सलाह भी लेते दिखाई देंगे. काम काज के क्षेत्र में अवसरों का लाभ मिल सकता है. सितंबर माह के दौरान बदलाव अधिक रह सकता है इस समय पर थोड़ा अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता होगी.
उपाय - महामृत्युंजय का मंत्र नियमित रुप से करें.
वक्री गुरु का वृषभ राशि पर प्रभाव
वृषभ राशि वालों के लिए गुरु अष्टम-एकादश भाव पर अधिकार रखते हैं. कुम्भ राशि में वक्री होने पर गुरु आपकी जिम्मेदारियों को विस्तार देने वाले होते हैं. इस समय पर मानसिक रुप से सोच-विचार का समय रह सकता है. काम के क्षेत्र में नए लोगों का साथ मिल सकता है. कुछ समस्याएं काम की रफ्तार को धीमा कर सकती हैं. पारिवारिक जीवन में आप अधिक उलझे होंगे. शिक्षा हो या फिर खर्चे दोनों को तालमेल पर लाने की जरुरत होगी. मेहनत कुछ अधिक बढ़ सकती है, इसके बाद गुरु जब वक्री होते हुए वापस मकर में विराजमान आएंगे तब उस समय के दौरान आप कुछ चीजों को लेकर नए फैसले भी ले सकते हैं. वक्री गुरु का गोचर आय के विभिन्न स्रोतों को देने में सहायक हो सकता है पर समस्या उन स्त्रोतों के चुनाव को लेकर रह सकती है क्योंकि यह एक लम्बे समय तक स्थायित्व को पाने में सफल न हों.
उपाय -
पीली सरसों को पोटली में बांध कर मंदिर में दान करें.
वक्री गुरु का मिथुन राशि पर प्रभाव
मिथुन राशि में गुरु सप्तम और दशम भाव पर अपना अधिकार रखते हैं. वक्री बृहस्पति का कुम्भ में होना भाग्य की प्राप्ति को लेकर प्रयास को बढ़ाने वाला हो सकता है. आपको इस समय काम में कुछ विलम्ब की स्थिति परेशान कर सकती है. सफलता को पाने के लिए संघर्ष अधिक करना पड़ सकता है. वैवाहिक जीवन में जीवनसाथी से संबंध एक बार पुन: थोड़ा परेशान कर सकते हैं. लोगों के साथ काम करने में बेहतर माहौल न मिल पाए लेकिन आप उन्हें परास्त करने में सक्षम भी रह सकते हैं. धार्मिक क्षेत्र में आपकी रुची थोड़ी बढ़ सकती है. छात्र घर वापसी की तैयारी कर सकते हैं.
गुरु जब वक्री अवस्था में कुंभ से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करेंगे तब एकाग्रता की कमी और परिवार से कुछ दूरी बढ़ सकती है. मित्रों के साथ मिलकर कुछ नयी चीजों को करना चाहेंगे. परिवार में किसी व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है. वर्ष के अंत में, गुरु के पुन: कुंभ राशि मे आने पर आपको लाभ व भाग्य का सहयोग प्राप्त हो सकेगा. कुछ स्थिति में भी सुधार होता हुआ दिखाई देगा.
उपाय -
केसर और कच्चे दूध से भगवान शिव का अभिषेक करें.
वक्री गुरु का कर्क राशि पर प्रभाव
कर्क राशि वालों के लिए गुरु छठे-नवें भाव के अधिपति होते हैं. कर्क राशि वालों के लिए बृहस्पति का वक्री होना मिलेजुले परिणामों को दिखाने वाला होगा. परिवार में कुछ धार्मिक कार्य संपन्न हो सकते हैं. संतान को लेकर आप कुछ नवीन समाचार प्राप्त कर सकते हैं. इस समय आपके काम के क्षेत्र में प्रयास अधिक होंगे और सफलता प्राप्ति के लिए लगातार परिश्रम की भी आवश्यकता होगी. पार्टनर्शीप में काम का विचार कर सकते हैं ओर ये समय राजनैतिक जीवन में भी कुछ बदलावों को दिखाएगा. इस समय दूसरों पर बहुत अधिक भरोसे से बचना चाहिए. शत्रुओं को हराने में सक्षम रह सकते हैं. वैवाहिक संबंधों में कुछ तनाव देखने को मिल सकता है. जीवन साथी के साथ मतभेदों से बचने के लिए जरुरी है की इस समय शांत रहें. कुल मिलाकर स्थिति नियंत्रण में रह सकती है. स्वास्थ्य का इस समय ख्याल रखने कि अधिक आवश्यकता होगी. उच्च रक्तचाप और मधुमेह का प्रभाव आप पर पड़ सकता है.
उपाय -
दुर्गा सप्तशती का पाठ नियमित रुप से करें.
वक्री गुरु का सिंह पर प्रभाव
गुरु सिंह राशि के पांचवें और छठे स्थान पर अधिकार रखते हैं. गुरु का इस समय पर कुंभ राशि में वक्री होना विरोधियों का सामना कराने वाला होगा, इसी के साथ आप खुद को लेकर काफी विचारशील भी होंगे. वक्रत्व की शुरुआत में आप अपने काम को लेकर अधिक सजग रहेंगे. इस समय आप को सावधानी से कार्य करने और खुद को सुरक्षित रखने की आवश्यकता होगी. आपके प्रेम संबंधों में किसी का प्रवेश गंभीरता को दिखाने वाला होगा लेकिन साथ ही आप बहुत से मामलों में खुद ही बेहतर रुप से फैसला ले पाएंगे. नए लोगों से मेल जोल बढ़ सकता है. अभी जब गुरु पुन: एक बार वक्री होते हुए मकर में जाएंगे तब आप के लिए वैवाहिक संबंधों में थोड़ी परेशानी हो सकती है लेकिन इस समय भाग्य का सहयोग आपको कुछ सकारात्मक स्थिति भी दे सकता है. आप कानूनी मसलों में आप अच्छा प्रदर्शन भी कर सकते हैं. आपके लिए जरूरी है कि आप अपनी कोशिशों को जारी रखते हुए काम करें.
उपाय -
विष्णु मंदिर में भगवान की मूर्ति पर पीले वस्त्र भेंट करें.
वक्री गुरु का राशि कन्या राशि पर प्रभाव
कन्या राशि वालों के लिए गुरु सुख और विवाह स्थान के स्वामी बनते हैं. इस समय बृहस्पति गोचर में कन्या राशि वालों के लिए छठे भाव पर गोचर कर रहे हैं. गुरु के वक्री होने पर यात्रा का मौका बढ़ सकता है. काम को लेकर कुछ लोगों के साथ अचानक से होने वाली मुलाकातें आप को प्रभावित कर सकती हैं. छात्रों को परिक्षाओं में बेहतर करने का दबाव होगा. उच्च शिक्षा प्राप्ति का योग इस समय बना दिखाई देता है. इस समय पर अपने स्वास्थ्य और खान-पान संबंधी आदतों का ध्यान रखने की जरूरत होगी. व्यापार में बदलाव के अवसर मिल सकते हैं. कुछ बाहरी संपर्क इस समय काम आ सकते हैं. दोस्तों के साथ मिलकर नए रिसर्च वर्क को करने के लिए आप काफी उत्साहित होंगे और इसमें आपको सफलता भी मिल सकती है. गुरु का वक्री होना आप को अचानक से थोड़ा मानसिक तनाव ओर चिंता दे सकता है. प्रेम संबंधों में स्थिति परेशानी को दिखा सकती है. इस समय खर्चों पर नियंत्रण बना कर रखने की आवश्यकता होगी.
उपाय -
पीपल के वृक्ष पर शनिवार के दिन लाल डोर बांधें.
वक्री गुरु का तुला राशि पर प्रभाव
तुला राशि के लिए गुरु परिश्रम, मेहनत और रिपु भाव से संबंधित होते हैं. गुरु का गोचर कुंभ राशि में होने के कारण वह तुला राशि के लोग अपने प्रेम संबंधों और संतान सुख को लेकर प्रभावित रह सकते हैं. कई स्थानों पर सफलता के बेहतर योग भी दिखाई देते हैं. प्रवेश परीक्षाओं में इस समय कुछ सकारात्मक फल मिल पाए लेकिन इसके साथ ही अन्य चीजों में एकाग्रता की कमी कुछ परेशानी भी देने वाली होगी. प्यार के मामले में किसी के साथ मुलाकात के योग हैं और साथ में किसी दोस्त के साथ मिलकर आप कुछ रोमांच के कामों को भी कर सकते हैं. इस समय आपको आध्यात्म के क्षेत्र से जुड़ने का मौका भी प्राप्त हो सकता है. किसी सम्मेलन अथवा सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने का भी अच्छा अवसर मिल सकता है. परिवार में किसी का सहयोग काम आ सकता है.
उपाय -
बृहस्पतिवार के दिन खीर का भोग भगवान को अर्पित करें.
वक्री गुरु का वृश्चिक राशि पर प्रभाव
वृश्चिक राशि के लिए बृहस्पति धन भाव और शिक्षा भाव को प्रभावित करता है. इस समय आपके लिए गुरु कुंभ राशि में वक्री होंगे ऎसे में आप के लिए ये कुछ समय काफी महत्वपूर्ण भी होगा. आपको इस समय पर अपने रिलेशनशिप को लेकर थोड़ा सजग होना पड़ेगा क्योंकि कुछ लोगों का असर आपके रिश्ते में जो परेशानी ला रहा था वह असर डाल सकता है. इस समय जरूरी है की आप कोई भी फैसला जल्दबाजी से न लें तो वह ज्यादा अधिक बेहतर होगा. आपको अपने लोगों का साथ ओर सहयोग मिलेगा. पारिवारिक क्षेत्र में किसी का व्यवहार आपके विरोध में होने से आप कुछ समय के लिए तनाव का अनुभव भी कर सकते हैं. ये समय आप कुछ वाहन इत्यादि की खरीद का मन बनाएंगे. स्वास्थ्य का ध्यान रखें सिरदर्द की शिकायत परेशान कर सकती है.
उपाय -
बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद नियमित रुप से लेना शुभ होगा.
वक्री गुरु का धनु राशि पर प्रभाव
धनु राशि वालों के लिए गुरु उनके राशि स्वामी हैं तो ऎसे में आप लोगों को थोड़ा अधिक प्रभाव देखने को मिलेगा. आपके राशि का स्वामी वक्री होगा तो ये स्थिति घर परिवार में बदलाव को दिखाने वाली होगी. सेहत को लेकर आप थोड़ा परेशान हो सकते हैं. आप के स्वभाव में क्रोध अधिक बढ़ सकता है और आप अपने फैसलों को थोड़ा जल्दबाजी में ले सकते हैं. करियर के आगे बढ़ाने के कुछ मौके इस समय मिल सकते हैं. आध्यात्मिकता स्तर पर आप कुछ नवीन बातों की ओर उत्सुकता लिए होगे. प्रेम संबंधों में अधिकता आपको भ्रम में डाल सकती है इसलिए सावधान होकर काम करना बेहतर होगा. जैसे ही गुरु की स्थिति मार्गी होगी चीजों में सकारात्मका भी बढ़ने लगेगी.
उपाय -
घी का दीपक प्रत्येक बृहस्पतिवार के दिन श्री विष्णु लक्ष्मी जी के समक्ष जलाएं.
वक्री गुरु का मकर राशि पर प्रभाव
मकर राशि वालों के लिए बृहस्पति का गोचर खर्चे बढ़ाने वाला और भागदौड़ में वृद्धि करने वाला हो सकता है. प्रॉपर्टी से संबंधित मामलों में थोड़ा सावधानी बनाए रखने की आवश्यकता होगी. परिवार में भाई बंधुओं की ओर से आप को कुछ मदद मिल सकती है. माता के स्वास्थ्य के कारण चिंता का योग है. इस समय पर गुरु के वक्री होने पर किसी काम की प्राप्ति दिखाई देती है. ट्रैवलिंग और काम को लेकर कुछ मीटिंग में व्यस्तता रहने वाली है. बच्चों को आगे बढ़ने के मौके मिलेंगे. आपको काम में अधिक मेहनत करनी होगी लेकिन उसका लाभ भी आपको मिलेगा. परेशानी को स्वयं पर हावि न होने दीजिएगा.
उपाय -
शनिवार के दिन हल्दी और काले चने का दान करें.
वक्री गुरु का कुंभ राशि पर प्रभाव
कुंभ राशि के लोगों के लिए गुरु लाभ और धन के क्षेत्र को प्रभावित करते हैं. इस समय गुरु आपके लग्न पर वक्री होकर गोचरस्थ होंगे ऎसे में जरूरी होगा की आप मानसिक रुप से खुद को मजबूत बना कर रखें. इस समय किसी भी काम में पूर्ण रुप से मन न लग पाए. विचारों में बदलाव की स्थिति प्रभावित कर सकती है. जीवनसाथी के साथ संबंधों में थोड़ी तल्खी देखने को मिलेगी लेकिन अगर इस समय आप खुद को छोटी-छोटी बातों में नहीं उलझाते हैं तो आप इस कंट्रोल कर पाएंगे. कुछ जिम्मेदारियां और पैसों के लेन-देन को लेकर आप पर दबाव रह सकता है. सेहत को लेकर थोड़ा सजग रहना चाहिए. अचानक से उच्च रक्तचाप अथवा लीवर से संबंधित परेशानी हो सकती है. सामाजिक क्षेत्र में लोगों के साथ मेलजोल होगा और कुछ काम में आप भागीदारी भी दे पाएंगे.
उपाय -
कुमकुम और हल्दी देवी दुर्गा को अर्पित करें.
वक्री गुरु का मीन राशि पर प्रभाव
मीन राशि वालों के लिए भी बृहस्पति उनके राशि स्वामी ही होते हैं. धनु और मीन राशि इन दोनों पर बृहस्पति का स्वामित्व है. मीन राशि के लिए वक्री बृहस्पति इस समय पर आर्थिक और कार्यक्षेत्र पर अधिक परिश्रम को दिखा सकता है. परिवार के कुछ मसले इस समय अधिक उलझन से भरे रह सकते हैं. किसी मेहमान का आगमन होने से घर पर चहल-पहल अधिक रहने वाली है. इस समय आपको बाहरी कामों को करने की अधिकता के चलते थकान का अनुभव रह सकता है और मांसपेशियों में दर्द की शिकायत परेशान कर सकती है. वरिष्ठ अधिकारियों से कुछ सकारात्मक दृष्टिकोण मिलने से आप लाभ भी पा सकते हैं. जब गुरु पुनः आपके व्यय भाव को प्रभावित करेंगे तब अपने निवेश से जुड़े मसलों पर आपको सावधान रहना होगा.
उपाय -
शिवलिंग का अभिषेक नियमित रुप से करें और गाय को हरा चारा खिलाएं.