प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है और इस दिन भगवान शंकर की पूजा की जाती है. यह व्रत शत्रुओं पर विजय हासिल करने के लिए अच्छा माना गया है. प्रदोष काल वह समय कहलाता है जिस समय दिन और रात का मिलन होता है. भगवान शिव की पूजा एवं उपवास- व्रत के विशेष काल और दिन रुप में जाना जाने वाला यह प्रदोष काल बहुत ही उत्तम समय होता है. प्रदोष तिथि का बहुत महत्व है, इस समय की गई भगवान शिव की पूजा से अमोघ फल की प्राप्ति होती है.

इस व्रत को यदि वार के अनुसार किया जाए तो अत्यधिक शुभ फल प्राप्त होते हैं. वार के अनुसार का अर्थ है कि जिस वार को प्रदोष व्रत पड़ता है उसी के अनुसार कथा पढ़नी चाहिए. इससे शुभ फलों में अधिक वृद्धि होती है. अलग-अलग कामनाओं की पूर्त्ति के लिए वारों के अनुसार प्रदोष व्रत करने से लाभ मिलता है.

प्रदोष काल में की गई पूजा एवं व्रत सभी इच्छाओं की पूर्ति करने वाला माना गया है. इसी प्रकार प्रदोष काल व्रत हर माह के शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष के तेरहवें दिन या त्रयोदशी तिथि में रखा जाता है. कुछ विद्वानों के अनुसार द्वादशी एवं त्रयोदशी की तिथि भी प्रदोष तिथि मानी गई है.

वर्ष 2025 में प्रदोष व्रत की तिथियाँ | Pradosh Fast Dates for 2025

दिनाँक दिन हिन्दु चांद्र मास
11 जनवरी शनिवार पौष शुक्ल पक्ष
27 जनवरी  सोमवार माघ कृष्ण पक्ष
09 फरवरी रविवार माघ शुक्ल पक्ष
25 फरवरी मंगलवार फाल्गुन कृष्ण पक्ष
11 मार्च मंगलवार फाल्गुन शुक्ल पक्ष
27 मार्च बृहस्पतिवार चैत्र कृष्ण पक्ष
10 अप्रैल बृहस्पतिवार चैत्र शुक्ल पक्ष
25 अप्रैल शुक्रवार वैशाख कृष्ण पक्ष
09 मई शुक्रवार वैशाख शुक्ल पक्ष
24 मई शनिवार ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष
08 जून  रविवार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष
23 जून सोमवार आषाढ़ कृष्ण पक्ष
08 जुलाई मंगलवार आषाढ़ शुक्ल पक्ष
22 जुलाई मंगलवार श्रावण कृष्ण पक्ष
06 अगस्त बुधवार श्रावण शुक्ल पक्ष
20 अगस्त बुधवार भाद्रपद कृष्ण पक्ष
05 सितंबर शुक्रवार भाद्रपद शुक्ल पक्ष
19 सितंबर शुक्रवार आश्विन कृष्ण पक्ष
04 अक्टूबर शनिवार आश्विन शुक्ल पक्ष
18 अक्टूबर  शनिवार कार्तिक कृष्ण पक्ष
03 नवंबर सोमवार कार्तिक शुक्ल पक्ष
17 नवंबर सोमवार मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष
02 दिसंबर  मंगलवार मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष
17 दिसंबर बुधवार पौष कृष्ण पक्ष