हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान है. अमावस्या के दिन व्यक्ति अपने पितरों को याद करते हैं और श्रद्धा भाव से उनका श्राद्ध भी करते हैं. अपने पितरों की शांति के लिए हवन आदि कराते हैं. ब्राह्मण को भोजन कराते हैं और साथ ही दान-दक्षिणा भी देते हैं. शास्त्रों के अनुसार इस तिथि के स्वामी पितृदेव हैं. पितरों की तृप्ति के लिए इस तिथि का अत्यधिक महत्व है.

शास्त्रों के अनुसार देवों से पहले पितरों को प्रसन्न करना चाहिए. जिन व्यक्तियों की कुण्डली में पितृ दोष हो, संतान हीन योग बन रहा हो या फिर नवम भाव में राहू नीच के होकर स्थित हो, उन व्यक्तियों को यह उपवास अवश्य रखना चाहिए. इस उपवास को करने से मनोवांछित उद्देश्य़ की प्राप्ति होती है. विष्णु पुराण के अनुसार श्रद्धा भाव से अमावस्या का उपवास रखने से पितृ्गण ही तृप्त नहीं होते, अपितु ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अश्विनी कुमार, सूर्य, अग्नि, अष्टवसु, वायु, विश्वेदेव, ऋषि, मनुष्य, पशु-पक्षी और सरीसृप आदि समस्त भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते है.

वर्ष 2025 में अमावस्या तिथियाँ | Amawasya 2025 Dates

दिनाँक वार चन्द्रमास
29 जनवरी  बुधवार माघ माह
27 फरवरी  बृहस्पतिवार फाल्गुन 
29 मार्च शनिवार  चैत्र
27 अप्रैल रविवार वैशाख माह
26 मई सोमवार ज्येष्ठ माह
25 जून  बुधवार आषाढ़ माह 
24 जुलाई   बृहस्पतिवार श्रावण माह
22 अगस्त शुक्रवार भाद्रपद माह
21 सितंबर  रविवार आश्विन माह
21 अक्टूबर   मंगलवार कार्तिक माह
19 नवंबर बुधवार मार्गशीर्ष माह
20 दिसंबर   शुक्रवार पौष माह