प्रत्येक माह की पूर्णिमा तिथि को सत्यनारायण व्रत रखा जाता है, लेकिन कभी-कभी यह व्रत चतुर्दशी तिथि में भी रखा जाता है क्योंकि चन्द्रोदय कालिक एवं प्रदोषव्यापिनी पूर्णिमा ही व्रत के लिए ग्रहण करनी चाहिए. सत्यनारायण व्रत में कथा, स्नान-दान आदि का बहुत महत्व माना गया है. इस व्रत में सत्यनारायण भगवान अर्थात विष्णु जी की पूजा की जाती है. सारा दिन व्रत रखकर संध्या समय में पूजा तथा कथा की जाती है. पूजा के उपरान्त भोजन ग्रहण किया जाता है.

भगवान सत्यनारायण विष्णु के ही रूप हैं, इन्द्र का दर्प भंग करने के लिए विष्णु जी ने नर और नारायण के रूप में बद्रीनाथ में तपस्या की थी वही नारायण सत्य को धारण करते हैं अत: सत्य नारायण कहे जाते हैं. स्कन्द पुराण के रेवाखंड में विस्तार पूर्वक बताया गया है कि जो व्यक्ति सत्यनारायण भगवान की पूजा का संकल्प लेते हैं उन्हें दिन भर व्रत रखना चाहिए.

पूजन स्थल पर श्री सत्यनारायण की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए. पूजा करते समय सबसे पहले गणपति की पूजा करें फिर ठाकुर जी व सत्यनारायण की पूजा करनी चाहिए इसके बाद लक्ष्मी माता की और अंत में महादेव और ब्रह्मा जी की पूजा करें. पूजा के बाद सभी देवों की आरती करें और चरणामृत लेकर प्रसाद वितरण करें, पुरोहित जी को दक्षिणा एवं वस्त्र दे व भोजन कराकर पुराहित जी के भोजन के पश्चात उनसे आशीर्वाद लेकर आपको स्वयं भोजन करना चाहिए.

वर्ष 2025 में इस व्रत की तिथियां निम्न रहेगी:

In 2025 the Dates of this Vrat will be as follows:

दिनाँकहिन्दु चन्द्रमास
13 जनवरी , दिन सोमवारपौष माह
12 फरवरी, दिन बुधवारमाघ माह
14 मार्च, दिन शुक्रवारफाल्गुन माह
12 अप्रैल, दिन शनिवारचैत्र माह
12 मई, दिन सोमवारवैशाख माह
11 जून, दिन बुधवारज्येष्ठ माह
10 जुलाई, दिन बृहस्पतिवारआषाढ़ माह
09 अगस्त, दिन सोमवारश्रावण माह
07 सितंबर, दिन रविवारभाद्रपद माह
07 अक्तूबर, दिन मंगलवारआश्विन माह
05नवंबर, दिन बुधवारकार्तिक पूर्णिमा
04 दिसंबर, दिन गुरुवारमार्गशीर्ष पूर्णिमा