सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना संक्राति कहलाता है. संक्रान्ति को हिन्दू पंचांग में सूर्य राशि परिवर्तन समय कहा जाता है. इस समय के दौरान बहुत से धार्मिक कृत्य भी किए जाते हैं.

12 राशियों में सूर्य का गोचर ही संक्रान्ति होता है इसलिए सूर्य संक्रान्ति भी 12 ही होती है. राशियों के नाम से निम्न संक्रान्ति होती हैं :- मेष संक्रान्ति , वृष संक्रान्ति, मिथुन संक्रान्ति, कर्क संक्रान्ति, सिंह संक्रान्ति, कन्या संक्रान्ति, तुला संक्रान्ति, वृश्चिक संक्रान्ति, धनु संक्रान्ति , मकर संक्रान्ति , कुम्भ संक्रान्ति, मीन संक्रान्ति.


संक्रान्ति महत्व

संक्रान्ति में इस बात पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है की वह किसी दिन अर्थात कौन से वार को पड़ रही है. जिस भी वार में संक्रान्ति आती है उस वार का प्रभाव भी संक्रान्ति पर दिखाई देता है. शुभ वारों के समय संक्रान्ति होने पर शुभता का असर अधिक देखने को मिलता है . वहीं क्रूर अथवा पाप ग्रहों के वार वाले दिन संक्रान्ति होने पर आर्थिक सामाजिक और राजनैतिक स्तर पर उथल पुथल दिखाई देती है. चुनौतियां का सना अधिक करना पड़ सकता है.

संक्रान्ति का समय हमे बताता है कि किस प्रकार जीवन में किसी भी नई वस्तु का आगमन हमारे संपूर्ण विकास को प्रभावित करने वाला होता है. इसलिए प्रत्येक संक्रान्ति के समय खान-पान, पहनावे और अनेक स्तरों पर बदलाव दिखाई देता है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण समय संक्राति का मकर संक्रान्ति का होता है क्योंकि इसी से निरयण काल गणना में उत्तरायण का समय आरंभ होता है. वहीं दूसरी ओर कर्क संक्रान्ति आने पर ये समय दक्षिणायन के आगमन को दर्शाता है. तो इन दोनों ही संक्रान्ति समय विशेष पूजा-पाठ एवं अन्य कार्य संपन्न होते हैं. इसी तरह अन्य संक्रान्तियों का आना भी किसी न किसी रुप में अपना प्रभाव अवश्य ही दिखाता है.


इन सभी संक्रान्ति के काल में दान-पुण्य, स्नानादि का महत्व माना गया है. संक्रान्ति समय के दौरान गंगा स्नान एवं किसी भी धर्म स्थल एवं पवित्र नदियों में स्नान की बहुत ही महत्ता बतायी गई है. संक्रांति का समय अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि ये समय जलवायु एवं प्रकृति के परिवर्तन को भी दर्शाता है. ऎसे में इस समये के दौरान कई तरह के कार्य किए जाते हैं और सूर्य की उपासना की जाती है.

संक्रान्ति प्रवेशकाल वर्ष 2025 | Niryan Sankranti Beginning time 2025

संक्रान्ति का नाम दिनाँक तथा वार प्रवेशकाल पुण्यकाल समय
माघ संक्रान्ति 14 जनवरी, मंगलवार 08:55 घण्टे घण्टे सूर्योदय से दोपहर 15:19 तक
फाल्गुन संक्रान्ति 12 फरवरी, बुधवार 21:56 घण्टे घण्टे मध्याह्न बाद से
चैत्र संक्रान्ति 14 मार्च, शुक्रवार 18:50 घण्टे घण्टे दोपहर 12:26 बाद से
वैशाख संक्रान्ति 13 अप्रैल, रविवार 27:21 घण्टे घण्टे अगले दिन स्बुब्ह 09:45 तक
ज्येष्ठ संक्रान्ति 14 मई, बुधवार 24:11 घण्टे घण्टे अगले दिनसुबह 06:35 तक
आषाढ़ संक्रान्ति 15 जून, रविवार 06:44 घण्टे घण्टे सूर्य उदय से दोपहर 13;08 तक
श्रावण संक्रान्ति 16 जुलाई, बुधवार 17:30 घण्टे घण्टे सुबह 11:06 बाद से
भाद्रपद संक्रान्ति 16 अगस्त, शनिवार 25:52 घण्टे अगले दिन सुबह 08:16 तक
आश्विन संक्रान्ति 16 सितम्बर, मंगलवार 25:47 घण्टे अगले दिन 08:11 तक
कार्तिक संक्रान्ति 17 अक्तूबर, शुक्रवार 13:45 घण्टे प्रात: 07:21 से शाम तक
मार्गशीर्ष संक्रान्ति 16 नवम्बर, रविवार 13:36 घण्टे सुबह 07:12 से शाम तक
पौष संक्रान्ति 15 दिसम्बर, सोमवार 28:19 घण्टे अगले दिन 10:43 तक