वैदिक ज्योतिष में हर ग्रह अच्छे और बुरे दोनो ही प्रकार के फल प्रदान करने में सक्षम होता है. यह फल ग्रह की कुंडली में स्थित पर निर्भर करते हैं कि वह कि किसी कुंडली विशेष के लिए शुभ है या अशुभ है अथवा शुभ होकर कमजोर तो नहीं है. आज हम सूर्य की स्थिति विभिन्न भावों में होने पर उसके द्वारा प्रदान अशुभ फलों की चर्चा करेगें. इन भावों में सूर्य जब अशुभ स्थिति में होगा तभी बुरे फल प्रदान करेगा अन्यथा नहीं करेगा.

सूर्य की स्थिति पहले तथा दूसरे भाव में | Sun’s Effects in First and Second House

जन्म कुंडली के प्रथम तथा दूसरे भाव में अशुभ सूर्य के परिणाम बताने का प्रयास करते हैं. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में प्रथम भाव में अशुभ या निर्बल सूर्य स्थित है तब उसे जीवन में बहुत से अवरोधों तथा बाधाओ का सामना करना पड़ता है.

जन्म कुंडली में पहले भाव का सूर्य व्यक्ति के सिर के बाल बहुत कम करता हैं और उसे हड्डियो से जुड़े रोग भी प्रदान करता है. ऎसे व्यक्ति को क्षय रोग होने की संभावना बनती है और क्रोध भी अधिक आता है.

दूसरे भाव में सूर्य की स्थिति जीवनसाथी तथा माता दोनो के लिए अशुभ मानी गई है. दूसरा भाव कुटुम्ब तथा धन के लिए भी देखा जाता है. सूर्य पृथकतावादी ग्रह है इसलिए इस भाव में सूर्य की स्थिति परिवार से व्यक्ति को अलग करा सकती है और धन संबंधी बातों के लिए भी शुभ नहीं माना गया है. व्यक्ति को मलाशय से जुड़े रोग होने की संभावना बनती हैं.

सूर्य की स्थिति तीसरे तथा चतुर्थ भाव में | Sun’s Results in Third and Fourth House

अब तीसरे व चतुर्थ भाव में सूर्य के प्रभावों के बारे में चर्चा करते हैं. जन्म कुंडली के तीसरे भाव का सूर्य मामा के लिए शुभ नहीं माना गया है. व्यक्ति के पड़ौसियों के साथ भी मधुर संबंध नहीं होते हैं और संचार में कमी रहती है.

व्यक्ति के चरित्र में कमी हो सकती है तथा वह बुरी लतो का भी शिकार हो सकता है. तीसरे भाव का सूर्य चोरी का भय देता है. चतुर्थ भाव का सूर्य माता से अलगाव पैदा करता है. व्यक्ति बुरी आदतो का त्याग बिलकुल भी नहीं करता है. व्यक्ति की अपने ससुराल वालों से निभती तथा बनती नहीं है. यदि व्यक्ति लोभी अथवा लालची होता है तब वह अपना सभी कुछ गँवा सकता है.

पंचम व षष्ठ भाव में सूर्य का प्रभाव | Sun’s Bad Effects in Fifth and Sixth House

इस भाग में हम पांचवें तथा छठे भाव के सूर्य की बात करेगें. पांचवें भाव में सूर्य होने से व्यक्ति की शिक्षा प्रभावित हो सकती है. पंचम भाव से संतान प्राप्ति को भी देखा जाता है. इस भाव में सूर्य के होने से संतान प्राप्ति में बाधा हो सकती है अथवा व्यक्ति का किन्हीं कारणो से बच्चो से अलगाव हो सकता है.

पंचम भाव के सूर्य से कई बार व्यक्ति पुत्र प्राप्ति के बाद ही जीवन में तरक्की करता है लेकिन आधुनिक समय में यह बात कुछ अटपटी सी लग सकती है क्योकि आजकल अभिभावक एक या दो से अधिक संतान चाहते ही नहीं है.

आइए छठे भाव के सूर्य की बात करते हैं. छठे भाव का सूर्य स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव देता है, हो सकता है व्यक्ति को उच्च रक्तचाप की शिकायत रहे. व्यक्ति को ननिहाल पक्ष के लोगो से प्रथक कर सकता है अथवा नाना-नानी के स्वस्थ्य के लिए प्रतिकूल हो सकता है.

सातवें भाव तथा आठवें भाव का सूर्य | Sun’s Position in Seventh and Eighth House

इस भाग में हम सातवें तथा आठवें भाव के सूर्य की बात करेगें. सातवें भाव का सूर्य व्यक्ति को जीवनसाथी से अलग करा सकता है. जातक का अपना स्वयं का स्वास्थ्य प्रभावित रह सकता है. उसे क्षयरोग, ल्यूकोडर्मा अथवा कोई ऎसा रोग हो सकता है जो चिकित्सक की पकड़ में ना आ पाए.

व्यक्ति पैसे का अपव्यय कर सकता है जिससे उसके परिवार को भुगतना पड़ सकता है. आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है. आठवें भाव के सूर्य की चर्चा करते हैं. आठवें भाव का सूर्य व्यक्ति के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है. यदि किसी व्यक्ति के विवाहेतर संबंध है तब उसे उन संबंधो का बुरा प्रभाव जीवन पर देखने को मिल सकता है.

नवम तथा दशम भाव का सूर्य | Sun’s Effects in Ninth and Tenth House

नवम तथा दशम भाव के सूर्य की ओर बढ़ते हैं. नवम भाव का अशुभ सूर्य पिता से अलगाव कराता है. नवम भाव एक बली धर्म त्रिकोण है. इस भाव का अशुभ सूर्य धर्म के प्रति अरुचि पैदा करता है.

दशम भाव में सूर्य के प्रभावों को जानते हैं. दशम भाव का सूर्य परिवार की शांति को भंग कर सकता है. अशुभ सूर्य की स्थिति व्यवसाय में अनिश्चितता प्रदान करती है. व्यक्ति को घुटनों की तकलीफ भी दशम का अशुभ सूर्य देत सकता है.

एकादश तथा द्वादश भाव के सूर्य का परिणाम

एकादश तथा द्वादश भाव के सूर्य की स्थिति पर विचार करते हैं. एकादश का अशुभ सूर्य व्यक्ति की उम्र पर प्रभाव डालता है. व्यक्ति की आय, अपने बनाए घर तथा मान-सम्मान सभी पर अशुभ सूर्य का बुरा प्रभाव पड़ता है.

द्वादश भाव के सूर्य की बात करते हैं. द्वादश भाव का सूर्य व्यक्ति के विचारों में कमी देता है अर्थात सोचने समझने की क्षमता में कुछ कमी रह सकती है. द्वादश भाव का सूर्य नींद में खलल पैदा करता है और शैय्या सुख भी कम हो सकती है. इस भाव का सूर्य बांई आंख से संबंधित बीमारी भी दे सकता है.