मिथुन लग्न के सातवें नवांश में मेष राशि आती है. इस नवांश के स्वामी ग्रह मंगल हैं. मिथुन राशि के सातवें नवांश में जन्मा जातक मंगल के प्रभाव से पूर्ण होता है. जिसके फलस्वरूप जातक का कद लम्बा और रंग साफ होता है. चेहरा लालिमा लिए होता है. छाती चौडी़ और आंखें सुंदर व भूरे रंग की होती हैं. जातक में तेज होता है और वह अपने कार्यस्वरूप द्वारा सभी के मध्य प्रधानता पाता है.

जातक में क्रोध अधिक होता है परंतु वह अपने क्रोध को काफी हद तक दूसरों के समक्ष नहीं लाना चाहता. शांत रहकर काम करने की कोशिश करता है. जातक में शिल्प कला में निपुणता मिलती है और वह अपने इस कार्य से अच्छा धन भी कमा सकता है. काम के प्रति पूर्ण निष्ठा और प्रतिबद्धता दिखाने वाला होता है. अपनी ओर से गलतियों को न करने की पूरी कोशिश ही करता है.

स्वभाव से प्रसन्नचित रहने वाला व खुश्गवार होना इनके गुणों में शामिल होता है. जीवन में समर्पण की भावना भी इनमें देखी जा सकती है. किसी के लिए यदि कुछ चाह रखते हैं तो उसे पूरे दिल से निभाने की कोशिश करते हैं. इनकी सरल और सच्ची अभिव्यक्ति इन्हें सफलता दिलाने में खूब सहायक होती है.

मिथुन लग्न के सातवें नवांश का प्रभाव | Effects Of Seventh Navamsha of Gemini Ascendant

इस नवांश से प्रभावित होने पर व्यक्ति में संतोष की भावना भी रहती है. जीवन की अनेक बातों में अपने को शांत स्वभाव से काम करने तैयार रखते हैं. जल्दबाजी से कामों को न करते हुए उनके सभी पक्षों के बारे में सोचते हुए आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं. यदि किसी काम में इन्हें अनुकूल सफलता न भी मिल पाए तो भी यह कम लाभ से ही खुश रहते हैं. थोडे़ में भी बहुत कुछ की चाह रखने वाले होते हैं.

इस नवांश से प्रभावित जातक को एकांतवास अधिक पसंद आता है, ज्यादा भीड़ भाड़ से दूर ही रहते हैं. जितना स्वयं में ही रहकर अच्छा अनुभव करते हैं उतना किसी ओर के साथ नहीं. इनके मित्रों की संख्या भी कम ही होती है. लेकिन जिनसे भी मित्रता करते हैं उनके साथ सदैव बने रहना चाहते हैं. अपने धन को काफी सूझबूझ के साथ व्यय करते हैं, व्यर्थ के दिखावों से दूर रहते हैं और सीमाओं में रहकर ही जीवन जीते हैं. एक निश्चित धार में बहते रहते हैं.

मिथुन लग्न के सातवें नवांश का महत्व | Significance of Seventh Navamsha of Gemini Ascendant

दांपत्य जीवन में अपनी साथी से अधिक अपेक्षाएं नहीं रखते हैं. इसलिए विवादों के लिए जगह ही नहीं बचती, जीवन साथी के साथ प्राय: मधुर संबंध सामान्य ही रहते हैं. जीवन साथी का स्वभाव तेज होता है इस कारण स्वभाव में दोनों के ही अधिक तेजी रिश्ते के लिए सही नहीं रह पाती अत: कुछ बातों को यदि शांतिपूर्वक निभाया जाए तो राहत मिल सकती है अन्यथा परेशानियां बढ़ने में देर नहीं लगती है.

साथी अपने कार्यों में कुशल होता है और समय का पाबंद भी होता है. प्राय: रक्त संबंधी परेशानियां उसके लिए स्वास्थ्य में कमी का कारण बन सकती हैं. पारिवारिक संबंध अधिक घनिष्ठ नहीं हो पाते. कुछ न कुछ कमी बनी रह सकती है. लेकिन बहरी व्यक्तियों के साथ वह काफी सहयोगपूर्ण संबंध बनाकर चलता है.

जातक अपनी योजनाओं को पूरा करने में परिश्रम से लगा रहता है. अपनी योग्यता और कौशल का सही उपयोग करना जानते हैं. धार्मिक कार्यों को करने में न अधिक और न कम रूचि लेते हैं. पारिवारिक व सामाजिक सुख शांति के लिए प्रयत्नशील रहते हैं. कुछ मामलों में एक दूसरे से उदासीनता का भाव भी झेलना पड़ता है लेकिन तालमेल से जीवन की राह आसान बना ही लेते हैं.

जातक को अपने वरिष्ठजनों का साथ मिलता है और जीवन में आगे बढ़ते रहने की चाह भी रहती है, जीवन में किसी न किसी कारण कुछ अचानक होने वाली घटनाएं भी जीवन को प्रभावित करती है. पैतृक धन लाभ भी मिलता है अपनी आथिक जीवन को मजबूत करने में लगे रहते हैं, सहनशीलता में कमी नही रह सकती है क्रोध के कारण लोगों से दूरी भी बन सकती है. इसलिए इन बातों का ध्यान रखते हुए ही आगे के कामों को करें.