शुक्र केतु युति योग का विवाह पर प्रभाव
शुक्र और केतु की युति के प्रभाव से विशेष गुण फलों की प्राप्ति होती है. शुक्र और केतु का योग सभी भावों में राशि और भाव अनुसार फल देने वाला होता है. शुक्र और केतु का प्रभाव व्यक्ति को इच्छाओं और विरिक्ति के मध्य उठा-पटक की स्थिति देने वाला होता है. शुक्र और केतु की युति वित्तीय संकट का कारण बन सकती है. वैवाहिक जीवन अशांत हो सकता है. उसे अपने साथी या प्रियजन या करीबी व्यक्ति द्वारा वित्तीय धोखाधड़ी या धोखा दिया जा सकता है.
शुक्र सुख, भोग, लाभ, विलासिता, यौन इच्छाओं, खुशी, प्रेम संबंधों, सुंदरता का प्रतीक है. कुंडली में शुक्र की अच्छी स्थिति किसी भी सांसारिक संपत्ति से संबंधित संतुष्टि के लिए विशेष होता है. केतु चंद्रमा का दक्षिणी नोड है और यह भ्रम का प्रतिनिधित्व करता है क्योंकि यह एक छाया ग्रह है, इसलिए केतु के प्रभाव में किसी भी घटना के बारे में तर्कसंगत रूप से सोचना मुश्किल हो जाता है.
यह हमेशा भौतिकवादी दुनिया से अलग करके स्वयं के लिए आलोचनात्मक होने की ओर ले जाता है. शुक्र और केतु की युति यह दर्शाती है कि संबंधों में केतु के कारण पैदा होने वाले भ्रम के कारण शुक्र अंधा हो जाता है. भ्रम इतने प्रबल होते हैं कि व्यक्ति घटनाओं के वास्तविक उत्साह को तब तक नहीं देख पाता जब तक कि उसे सुधारने के लिए बहुत देर न हो जाए.
शुक्र केतु युति दिशा परिवर्तन का समय
शुक्र विलासिता का मुख्य कारक है जब यह कर्म ग्रह केतु के साथ युति करता है, तो यह भौतिकवादी विलासिता से भी असंतोष देता है. दिशाहीन केतु प्रेम के ग्रह शुक्र को रिश्तों में विभिन्न दिशाओं में ले जाता है. प्रेम और वैवाहिक संबंधों में संघर्ष, गलतफहमियां पैदा करता है जब तक का अनुभव न हो जाए कि विचारशीलता के सभी रास्ते बंद हो गए हैं.
प्रेम या वैवाहिक संबंधों में प्रेमी अथवा साथी इस भ्रम में रहते हैं कि कोई एक ही है जो रिश्ते में प्रयास और त्याग कर रहा है और यह प्रेम की गर्मजोशी में अहंकार-परेशानी पैदा करने के लिए पर्याप्त मजबूत है.
ये सभी बातें कुंडली में शुक्र-केतु युति की शक्ति को दिखाती हैं.
शुक्र केतु जीवन में चुनौतियों का कारण
शुक्र और केतु की युति सबसे खराब युति मानी जा सकती है. शुक्र और केतु एक दूसरे के सबसे बड़े शत्रु माने जाते हैं, शुक्र और केतु का महत्व एक दूसरे के विपरीत है. व्यक्ति का जीवन चुनौतियों से भरा हो सकता है. व्यक्ति को पारिवारिक सुख और आराम की कमी होती है. वह हताशा से ग्रस्त हो सकता है. प्रथम भाव में शुक्र और केतु की युति उसे दिखने में सुंदर बनाती है. व्यक्ति का रंग गोरा और कद लंबा हो सकता है. उसकी आंखों में प्राकृतिक आकर्षण और आकर्षण हो सकता है.
वह अपनी उम्र से कम दिख सकता है, लेकिन उसके चेहरे पर कठोरता है. उसका आकर्षक व्यक्तित्व विपरीत लिंग को आकर्षित कर सकता है. केतु के कारण उसके चेहरे पर कट के निशान हो सकते हैं. प्रथम भाव में शुक्र के साथ केतु व्यक्ति को कामुक स्वभाव का बना सकता है. व्यक्ति की यौन इच्छाएं बहुत अधिक होती हैं. उसे अपनी पत्नी के साथ यौन सुख की कमी होती है. उसकी दोहरी मानसिकता और चुलबुला स्वभाव होता है. लेकिन वह अपने रिश्ते के प्रति कभी प्रतिबद्ध नहीं होता. शुक्र केतु प्रथम भाव संतुष्टि
शुक्र और केतु युति वैवाहिक जीवन में अशांति पैदा कर सकती है
शुक्र के प्रभाव से पहले केतु प्रेम और रिश्तों में कई भ्रम पैदा करता है, इससे पहले कि शुक्र का प्रभाव आपको यह एहसास करा दे कि अपने प्रेम साथी या जीवनसाथी के साथ सामंजस्यपूर्ण संबंध बनाए रखना आसान नहीं है. दोनों पार्टनर इस बात पर ध्यान केंद्रित करते हैं कि वे ही हैं जो आपके रिश्ते को कामयाब बनाने के लिए त्याग कर रहे हैं. केतु के सामने शुक्र दृष्टिहीन और दिशाहीन हो जाता है और रिश्तों में स्पष्टता खत्म हो जाती है. शुक्र भौतिक सुख का ग्रह है और केतु भौतिक सुख से दूर रहने की प्रवृत्ति रखता है जो प्रेम संबंधों में रुकावट का कारण बन सकता है और दो आत्माओं के भविष्य को प्रभावित कर सकता है.
शुक्र और केतु की युति जीवन की युवा अवधि में आपको बहुत भावुक स्वभाव का बना सकती है, लेकिन बाद में परिपक्व उम्र में, भौतिकवादी दुनिया से अलग ले जाने वाली हो सकती है. व्यक्ति आध्यात्मिक ज्ञान में वृद्धि के साथ आध्यात्मिक रूप से प्रवृत्त हो सकता है. शक्तिशाली शुक्र का प्रभाव जब शुक्र-केतु युति में केतु पर शुक्र ग्रह की मजबूत भूमिका होती है, तो शुक्र से संबंधित कारकों, विलासिता, अच्छे रिश्ते और यौन इच्छाओं की पूर्ति का आनंद ले पाता है. जीवन के युवा चरण में शुक्र के सकारात्मक प्रभाव होंगे और जीवन के बाद के चरण में शुक्र ग्रह के लाभों का आनंद मिलेगा.
शुक्र केतु युति का जीवन साथी पर प्रभाव
शुक्र केतु युति का प्रभाव कई तरह से जीवन साथी पर पड़ स्कता है. इसके अलावा व्यक्ति के जीवन विवाह से जूड़े मुद्दे परेशानी दे सकते हैं. व्यक्ति के विवाह में देरी हो सकती है, या उसे वैवाहिक सुख की कमी हो सकती है. उसके वैवाहिक जीवन में कई तरह की परेशानियां होती हैं. इससे जीवन साथी से तलाक या अलगाव हो सकता है.
व्यक्ति का साथी किसी कम संपन्न परिवार से, पारंपरिक विचारवादी हो सकता है. जीवन साथी का स्वभाव से झगड़ालू और तर्कशील हो सकती है. उसका साथी विवाद हो सकता है या यौन संबंध में परेशानी हो सकती है. जीवन साथी अधिक रुढ़ीवादी, स्वभाव से धार्मिक हो सकता है. धन संचय और मितव्ययिता की ओर झुकाव रख सकता है.