ज्योतिष में ग्रहों की स्थिति अनुसर बनने वाले कुछ योग इतने विशेष हो जाते हैं जिनका जीवन पर गहरा असर पड़ता है. धन की कमी के लिए बनने वाला केमद्रूम योग आर्थिक स्थिति को कमजोर बनाता है, धन देने वाला लक्ष्मी योग आर्थिक उन्नति दिलाता है. इसी प्रकार एक योग ऎसा भी है जिसके द्वारा व्यक्ति के जीवन में मौजूद बंधन की स्थिति का भी होता है. इस योग के द्वारा ये जाना जा सकता है कि व्यक्ति के जीवन में क्या कभी जेल जाने या किसी तरह के कारावास जैसी स्थिति पड़ सकती है. वैदिक ज्योतिष में बंधन योग, जेल जाने या कैद होने की संभावना मुख्य रूप से राहु-मंगल-शनि ग्रह की खराब स्थिति के कारण बनती है. मंगल पुलिस और कानून प्रवर्तन अधिकारियों को दिखाता है, शनि श्रम मेहनत सेवा को दिखाता है, राहु जेल, शरण, मुर्दाघर, पैथोलॉजी लैब आदि को नियंत्रित करता है.
यदि लग्न का स्वामी और छठे भाव का स्वामी शनि के साथ केंद्र भाव जिसमें पहला भाव, चौथा भाव, सातवां भाव ओर दसवां भाव या त्रिकोण स्थान जिसमें पहला भाव, पांचवां भाव और नवम भाव में हो और राहु या केतु में से संबंध भी हो, तो इन योग के चलते बंधन योग बनता है. इसका असर किसी व्यक्ति की कुंडली में काफी असर डालने वाला होता है.
बंधन योग के नियम
बंधन योग के निर्माण में अगर ये सभी नियम चंद्रमा की राशि से या चंद्रमा के लग्न से बन रहा है तो मानसिक रुप से व्यक्ति बंधन का अनुभव झेल सकता है. इसके कारण व्यक्ति को मनोभाव से कारावास की स्थिति बनती है. इस के कारण व्यक्ति खुद को समाज से अलग करने वाला हो सकता है. वह स्वयं को चार दीवारों के भीतर रहने का विकल्प चुन सकते हैं. कई बार हम ऎसे लोग देखते हैं जिनमें से कुछ मानसिक रूप से बीमार होकर सामान्य दुनिया से अलग हो जाते हैं. जीवन में जब दशाएं और कारक योग बनता है तो यह स्थिति परेशानी देने वाली होती है. इस प्रकार का योग यह उन संतों और भिक्षुओं पर भी लागू होता है जो भौतिकवादी दुनिया से मुक्त होने और एकांत में आध्यात्मिक प्रगति की तलाश करने का निर्णय लेते हैं.
बंधन योग में एक अन्य नियम देखा जा सकता है. इसमें लग्न से छठे भाव, आठवें भाव और बारहवें भाव में स्थित अशुभ ग्रह का होना जातक को जेल भेज सकता है. इस का प्रभाव व्यक्ति को काफी चिंता और परेशानी में डाल सकता है. जन्म कुंडली का छठ भाव कानून प्रवर्तन, रोग, लड़ाई झगड़ों, परेशानी, विवाद को दिखाता है. जन्म कुंडली का आठवां भाव अचानक आने वाले खतरे को इंगित करता है. इसी के साथ यह स्थान भूमिगत होने जैसी स्थिति को भी दर्शाता है. जन्म कुंडली का बारहवां घर वास्तविक रुप से जेल यानि के कारावास को दर्शाता है. अब जब पाप ग्रहों का संबंध इन भाव से बनता है तो ऎसे में परेशानी झेलनी पड़ सकती है.
बंधन योग में शामिल ग्रह
बंधन योग के लिए मुख्य रूप से शनि, राहु, केतु, मंगल ग्रह विशेष जिम्मेदार होते हैं. कोई भी अन्य ग्रह इन चार पाप ग्रहों के साथ अगर दूसरे भाव, पांचवें भाव, छठे भाव, आठवें भाव, नवम भाव, बारहवें भाव में युति करता है तो ग्रहों की प्रकृति के अनुसार बंधन योग से पीड़ित हो सकता है. ये चार पाप ग्रह शनि, राहु, केतु, मंगल ग्रह से चार प्रकार के बंध योग का कारण बनते हैं.
बंधन योग के चार प्रकार
अरि बंधन योग – यह शनि के कारण होता है और पिछले जन्मों से किए गए प्रारब्ध कर्म का परिणाम है. जातक अपने पिछले जन्मों के दौरान शापित हो सकता है और यह भारी दुख, पीड़ा और अवसाद ला सकता है. वर्तमान जीवन में, वे शत्रुओं पर हावी हो जाते हैं और किसी बीमारी या शारीरिक दोष से भी पीड़ित हो सकते हैं. विशेष तौर पर, कारावास ग्रह द्वारा बनने वाले खराब योगों की संगति के कारण होता है. इसके प्रभाव द्वारा जो लोग नशीले पदार्थों की तस्करी, माफिया, डकैती, शराब, व्यभिचार में शामिल होते हैं, वे पकड़े जाते हैं और जेल में बंद हो जाते हैं.
वीर बंधन योग – यह मंगल जिसे कुज भी कहा जाता है इसके द्वारा बनने के कारण होता है. युद्ध में लड़ने, दुश्मनों द्वारा कब्जा किए जाने आदि का परिणाम होता है. जो लोग गृहयुद्ध, सड़क पर लड़ाई, आतंकवाद, नक्सलवाद, पुलिस के खिलाफ भीड़ की लड़ाई में शामिल होते हैं, उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया जाता है. इसके साथ ही हत्या, बलात्कार, ऋण या करों का भुगतान न करने, नकाबपोश अपराध, साइबर अपराध, धोखाधड़ी, अचल संपत्ति के मुद्दों आदि जैसे अपराधों के लिए गिरफ्तारी का सामना करने वाले लोग मंगल के कारण होते हैं. कानून के खिलाफ जाते हुए एक बहादुर चेहरा दिखाने की कोशिश करते हैं लेकिन अंततः पकड़ लिए जाते हैं इन कारणों से मंगल का असर बंधन देता है.
नाग बंधन योग – यह राहु के कारण होता है और किसी को सार्वजनिक या ऑनलाइन गड़बड़ियों, साइबर क्राइम, अपमान करने, धार्मिक घृणा या जातिवाद को बढ़ावा देने, माफिया, ड्रग्स, बमबारी शहरों, अवैध खनन, बड़ी मात्रा में बेहिसाब नकदी रखने आदि का परिणाम होता है. कम उम्र में ही अपराध शुरू हो जाते हैं और कानून का विरोध करके एक शक्तिशाली स्थिति में बढ़ते हैं लेकिन या तो जेल में या भूमिगत छिप जाते हैं और जिनका भविष्य में कभी सार्वजनिक जीवन नहीं हो सकता. यह व्यक्ति के पिछले जन्मों के दौरान दूसरों पर किए गए काले जादू, जादू टोना का परिणाम भी हो सकता है और इस जीवन में यह उन पर हावी होता है.
अहि बंधन योग – यह केतु के कारण होता है और अकल्पनीय अजीबोगरीब अपराधों का परिणाम होता है. व्यक्ति अपने ही लालच और कुकर्मों का शिकार होता है. केतु सिर विहीन है, जो जातक को पकड़ने के लिए बुद्धिहीन गतिविधियों में शामिल होने का संकेत देता है. कारावास के कारण मूर्खतापूर्ण हो सकते हैं लेकिन अपराध गंभीर होता है.
यदि प्रथम भाव का स्वामी 12वें भाव को दर्शाता है तो कारावास का खतरा होता है. जातक अलगाव को तरजीह देता है, बार-बार नहीं घूमने जाता है, जादू-टोना में रुचि रखता है, बाधाओं का सामना करता है. धोखाधड़ी, ठगी, विश्वासघात या साजिश के शिकार हो सकते हैं. यदि द्वितीय भाव का स्वामी बारहवें भाव का साथ दे तब स्वेच्छा से किसी सेनिटोरियम, सर्कस, शरण, अस्पताल या जेल में काम कर सकता है. उनका तन-मन कैद महसूस करेगा. अगर चतुर्थ भाव का स्वामी बारहवें भाव का साथ पाए तो जातक धोखाधड़ी का शिकार होता है, अक्सर अस्पताल में भर्ती रहता है, उसे नजरबंद किया जा सकता है, जहर दिया जा सकता है, जेल हो सकती है. सप्तम भाव का अधिपति बारहवें भाव में है, तो शत्रु प्रबल होंगे और व्यक्ति को षडयंत्र में फंसाया जा सकता है. सप्तमेश पाप ग्रहों से पीड़ित हो तो जातक को यौन अपराधों के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है. अष्टम भाव का स्वामी बारहवें भाव से संबंध बनाता है, तो जातक मुकदमेबाजी हार जाता है,
आठवें भाव का स्वामी और राहु बारहवें भाव में हो तो जेल में मृत्यु हो सकती है. नवम भाव का स्वामी अष्टम भाव के साथ हो तो विदेश में हिरासत में या गिरफ्तार किया जा सकता है. दशम भाव का स्वामी बारहवें भाव में होकर तस्करी या संपत्ति से कमाने का गुण देता है साथ ही बंधन दे सकता है