सप्तम भाव में सूर्य कैसे प्रभाव डालता है

सूर्य की स्थिति सातवें भाव में होने को कई मायनों में विशेष बन जाता है. कुंडली का सातवां भाव कई मायनों में जीवन पर प्रेम एवं सहयोग की स्थिति को दिखाने वाला होता है. ज्योतिष के बारह भाव हैं जिन पर सूर्य अपना असर डालता है लेकिन जब वह सातवें घर पर होता है तो यहां उसकी ऊर्जा एवं शक्ति का जीवन पर एक अलग पहलू दिखाई देता है. सूर्य का यहां होना ऊर्जाओं का सीमित होना भी होता है. यह वह स्थान है जहां सूर्य कालपुरुष कुंडली अनुसार यह स्थान उसके नीच बिंदु का भी होता है और जिसके असर द्वारा  ब्रह्मांड का केंद्र होकर सूर्य इस स्थान पर अपनी शक्ति को कई तरह से दिखाता है.  

सप्तम भाव को संबंध और विवाह और साझेदारी से होता है. इसे साझा संबंधों का भाव कहा जाता है. यह पहले भाव जिसे लग्न भी कहते हैं उसके ठीक विपरीत है, पहला भाव स्वयं का भाव है, और सप्तम भाव उसके प्रतिस्पर्धी का होता है. अपने समतुल्य या अपने विरोधी को देखने का स्थान भी यही भाव होता है. विपरीत लिंग को आकर्षित करना, साथी पाने की इच्छा, कामुक रिश्ते, सनक, जुनून, स्वामित्व, दूसरों के प्रति समझ का स्तर हम इसी भाव से देखते हैं. अब इस भाव के द्वारा जीवन के अन्य भाव भी प्रभावित होते हैं. सातवें भाव में सूर्य वाले लोगों में जबरदस्त क्षमता होती है, लेकिन उन्हें अपने सपनों को साकार करने के लिए साझेदारों के सहयोग या समर्थन की आवश्यकता होती है. 

सातवें सूर्य पार्टनरशिप पर इसका असर    

सातवां घर हमारे हर प्रकार की पार्टनर्शिप का स्थान भी है. इसका महत्व हमारे हर प्रकार के उन संबंधों से है जो आपसी रिश्तों पर आधारित होता है. जब सूर्य सातवें भाव में बैठा होता है, तो यह शेयरिंग, केयरिंग और बॉन्डिंग की तीव्र आवश्यकता को महसूस करता है जिसमें अधिकार की इच्छा भी होती है. अगर जीवन में योग्य पार्टनर मिल जाता है, तो व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों ही क्षेत्रों में वह बहुत अच्छा कर पाने में सक्षम होता है. दूसरी ओर, सहभागी अगर अनुकूल स्वभाव का नहीं हो , तो यह जीवन के प्रति अपेक्षाकृत अनियंत्रित और निराशावादी स्थिति को देने वाला होता है. रिश्ते में बहुत समय और ऊर्जा को देने वाले होते हैं, अपने पार्टनर से व्यक्ति को बहुत अधिक प्रतिबद्धता और सकारात्मकता की उम्मीद इच्छा रहती है. साझेदारी चाहे काम में हो या निजी जीवन की हो दोनों के मामले में व्यक्ति काफी निर्भरता को देखता है. अपने जीवन में एक अच्छे पार्टनर को पाने के लिए व्यक्ति काफी अधिक संघर्ष करता है. यदि सूर्य कुछ सकारात्मक है तब इसमें कुछ उम्मीद अच्छे से पूरी होती है लेकिन अगर सूर्य खराब हो तब सहभागियों से धोखा या मतभेद ही अधिक देखने को मिलता है. 

सामाजिक स्थिति एवं कार्यक्षेत्र पर सप्तम सूर्य का प्रभाव 

सप्तम भाव में स्थित सूर्य जीवन और करियर में भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है. जिन लोगों की कुंडली में यह योग होता है उन्हें अपने जीवन में अपने परिश्रम के द्वारा सफलता को पाने में सक्षम होते हैं. व्यक्ति सामाजिक स्थिति पर कई बार खुद को स्थापित करने के लिए अधिक संघर्शः भी करता है.  व्यक्ति में नेतृत्व के गुण होते हैं और वे काम पर और यहां तक कि निजी जीवन में भी अपने सहयोगियों के लिए तत्पर रहता है. दूसरों के लिए मार्ग प्रशस्त करने में वह निपुण होता है. वैदिक ज्योतिष में सातवें घर में सूर्य के प्रभाव के रूप में, दूसरों से गर्मजोशी से मिलते हैं नैतिकता एवं ईमानदारी से अपने रिश्तों को निभाने की इच्छा भी इनमें अधिक होती है. 

वैवाहिक दांपत्य जीवन पर सप्तम सूर्य का प्रभाव   

सप्तम भाव में सूर्य की स्थिति होने से व्यक्ति के प्रेम जीवन में वास्तविक रूप से कोई न कोई कमी देखने को मिल सकती है. सूर्य एक अग्नि युक्त ग्रह है लेकिन प्रेम और एकाधिकार की इच्छा भी इसमें अत्यधिक दिखाई दे सकती है. कई बार यह असंगति निश्चित रूप से प्रबल तर्ह से परेशान कर सकती है. प्रेम में समर्पण की इच्छ इनमें बहुत होती है. लोगों का दिल भी जल्द टूट जाता है. अपने जीवनसाथी को खोजने से पहले उनके लिए कुछ रिश्तों में शामिल होने की संभावना भी हो सकती है. धोखा और बेवफाई से सावधान रहना जरुरी होता है क्योंकि यह जीवन के किसी पड़ाव पर अपना असर डालने वाला होता है.  सूर्य सबसे बलवान ग्रह है और पिता समान माना जाता है ऎसे में सप्तम का सूर्य व्यक्ति को ऎसा दिखा सकता है की उसमें अधिकार एवं अभिमान   अधिक हो सकता है, जो वैवाहिक जीवन में व्यर्थ के अलगाव को जन्म दे सकता है और यह स्थिति लंबे समय के लिए असर डने वाली हो सकती है. सप्तम भाव में सूर्य का होना एक धनी और प्रतिष्ठित व्यक्ति को जीवन साथी के रुप में प्रदान करने में सक्षम होता है.साथी का प्रभाव हावी रह सकता है, इस योग के कारण विवाह में थोड़ी देरी हो सकती है. 

 सूर्य व्यवहार में कुछ हद तक अहंकार और कठोरता भी दे सकता है. सुर्य के साथ कौ पाप ग्रह है तो यह स्थिति वैवाहिक संबंधों में गड़बड़ी पैदा कर सकती है.  शारीरिक अंतरंगता को प्रभावित कर सकती है. पार्टनर से अलगाव के लिए भी जिम्मेदार हो सकती है. स्त्री की कुण्डली में यह स्थिति संतान प्राप्ति में समस्या दे सकती है विवाह के सुख को कमजोर कर सकती है. जीवन साथी के स्वास्थ्य  के बारे में कुछ अधिक चिंता दे सकती है.   

सूर्य, जीवनशक्ति है और जब सातवें घर में होता है तो यहां की कालपुरुष राशि में नीच का हो जाता है. सूर्य अपनी शक्ति खो देता है उस पर दूसरों का नियंत्रण होता है. सूर्य अहंकार और अभिमान है और जब यह सातवें भाव में होता है तो लोग आपकी मेहनत के लिए आपका सम्मान नहीं करते हैं जिसके कारण स्वाभिमान धूमिल होने लगता है. आत्मसम्मान और आत्मविश्वास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. सप्तम भाव में  सकारात्मक सूर्य आपको जबरदस्त क्षमता दे सकता है बस आवश्यकता है लगातार एकाग्रत एवं परिश्रम की. 

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