वर्गोत्तम नवांश और उसका सभी भावों पर प्रभाव

वर्गोत्तम नवमांश  ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण स्थिति मानी जाती है. इसे विशेष रूप से व्यक्ति की जन्मकुंडली में नवमांश कुंडली में देखा जाता है. यह व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अपना असर डालता है. वर्गोत्तम नवमांश वह नवमांश होता है, जो व्यक्ति की जन्म कुंडली के लिए शुभ फल प्रदान करता है. यह मुख्य रूप से व्यक्ति के जीवन में सफलता, समृद्धि, और आनंद का संकेत देता है. इसका तात्पर्य है कि व्यक्ति को ग्रह के सकारात्मक परिणाम मिलते हैं 

वर्गोत्तम नवमांश कैसे बनता है?

वर्गोत्तम नवमांश तब बनता है जब जन्म लग्न कुंडली में बैठा ग्रह जिस राशि में बैठा हुआ है वहीं राशि में वह नवमांश में भी विराजमान है तो ये स्थिति वर्गोत्तम नवांश कहलाती है. कुंडली में ग्रहों का मेल-जोल सही प्रकार से हो और नवमांश में शुभ ग्रह जैसे गुरु या शुक्र हों, तो यह नवमांश वर्गोत्तम अधिक बेहतर असर दिखाता है.  ग्रहों का शुभ स्थान और भाग्य के पक्ष में होना भी महत्वपूर्ण है. यदि नवमांश शुभ ग्रहों द्वारा प्रभावित हो, तो यह जीवन में सकारात्मक फल प्रदान करता है. वर्गोत्तम नवमांश एक शुभ और लाभकारी स्थान होता है, जो जीवन को समृद्ध और सुखमय बनाने में मदद करता है.

वर्गोत्तम नवमांश का लाभ 

वर्गोत्तम  नवमांश व्यक्ति के धन, संपत्ति, और समृद्धि को बढ़ाता है. जब यह नवमांश दूसरे और दसवें भाव में होता है, तो यह अच्छे आय स्रोत और करियर में सफलता का संकेत देता है. नवमांश का वर्गोत्तम होना व्यक्ति के धर्म, उच्च शिक्षा, और आध्यात्मिक उन्नति के प्रति सकारात्मक संकेत देता है. वर्गोत्तम नवांश स्वास्थ्य और शारीरिक स्थिति को प्रभावित करता है.

वर्गोत्तम नवमांश का प्रभाव जीवन के विभिन्न पहलुओं पर देखा जा सकता है, यह व्यक्ति को आत्मविश्वास, उच्च मानसिकता और आत्मिक शांति प्रदान करता है, यह शुभ अवसर, सामाजिक सम्मान और अच्छे रिश्तों का संकेत देता है, यह व्यक्ति को कठिनाइयों, मुकदमों और शत्रुओं से मुक्ति दिलाने में मदद करता है.

वर्गोत्तम नवमांश का महत्व विभिन्न भावों पर प्रभाव 

वर्गोत्तम ग्रह का कुंडली के सभी भावों पर प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण होता है. वर्गोत्तम ग्रह वह ग्रह होता है जो किसी विशेष कुंडली में बहुत प्रभावशाली, बलवान और शुभ माने जाते हैं. आइये जान लेते हैं सभी भावों पर वर्गोत्तम ग्रह का प्रभाव.

पहला भाव और वर्गोत्तम ग्रह

पहला भाव या लग्न का कुंडली में महत्वपूर्ण स्थान होता है, क्योंकि यह व्यक्ति की शारीरिक स्थिति, आंतरिक व्यक्तित्व और मानसिकता को दर्शाता है. जब वर्गोत्तम ग्रह पहले भाव में स्थित होता है, तो यह व्यक्ति को आत्मविश्वास, जीवन शक्ति, और आंतरिक प्रेरणा देता है. ऐसे व्यक्ति स्वाभाविक रूप से आकर्षक और दूसरों द्वारा प्रिय होते हैं. उनके स्वास्थ्य और शारीरिक संरचना में भी सुधार होता है.

दूसरा भाव और वर्गोत्तम ग्रह

दूसरे भाव में वर्गोत्तम ग्रह का प्रभाव व्यक्ति के परिवार, धन और बोलचाल की आदतों पर पड़ता है. यह व्यक्ति को अच्छे भाषाशैली और समृद्ध परिवार का आशीर्वाद देता है. ऐसे व्यक्तियों को वाणी के जरिए लाभ होने की संभावना होती है. उनके पारिवारिक जीवन में शांति और सुख रहता है, और वे आर्थिक रूप से भी संपन्न रहते हैं.

तीसरा भाव और वर्गोत्तम ग्रह

तीसरे भाव का संबंध भाई-बहन, साहस, और संचार से होता है. जब वर्गोत्तम ग्रह तीसरे भाव में स्थित होता है, तो यह व्यक्ति को अपने भाई-बहनों के साथ अच्छे संबंध देता है. इसके साथ ही यह संचार कौशल और साहस में भी वृद्धि करता है. ऐसे व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों का सामना करने का साहस होता है और वे अपने विचारों को प्रभावी ढंग से व्यक्त कर सकते हैं.

चौथा भाव और वर्गोत्तम ग्रह

चौथे भाव का संबंध माता, गृह, और मानसिक शांति से है. जब वर्गोत्तम ग्रह चौथे भाव में स्थित होता है, तो यह व्यक्ति को एक सुखमय घर और मानसिक शांति का आशीर्वाद देता है. ऐसे व्यक्ति अपनी माताजी से विशेष प्रेम और सम्मान पाते हैं और उनके घर में सुख-शांति बनी रहती है. इनका परिवार और घर हमेशा सुखमय और शांतिपूर्ण होता है.

पांचवां भाव और वर्गोत्तम ग्रह

पाँचवे भाव का संबंध संतान, रचनात्मकता, और शिक्षा से होता है. जब वर्गोत्तम ग्रह पाँचवे भाव में होता है, तो यह व्यक्ति को संतान सुख प्रदान करता है. साथ ही, यह व्यक्ति की शिक्षा और बौद्धिक क्षमताओं में वृद्धि करता है. ऐसे व्यक्तियों के लिए रचनात्मक गतिविधियाँ, कला, और संगीत में रुचि होती है. वे अपनी संतान को अच्छे संस्कार और शिक्षा देने में सक्षम होते हैं.

छठा भाव और वर्गोत्तम ग्रह

छठे भाव का संबंध शत्रु, रोग और कार्यस्थल से है. जब वर्गोत्तम ग्रह छठे भाव में स्थित होता है, तो यह व्यक्ति को शत्रुओं से बचाने और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति प्रदान करने में मदद करता है. यह व्यक्ति कार्यस्थल पर अपनी मेहनत और प्रयासों से सफलता प्राप्त करता है. स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में भी राहत मिलती है, और शत्रुओं के खिलाफ विजय प्राप्त होती है.

सातवां भाव और वर्गोत्तम ग्रह

सातवे भाव का संबंध जीवनसाथी और साझेदारी से है. जब वर्गोत्तम ग्रह सातवें भाव में होता है, तो यह व्यक्ति को अच्छा जीवनसाथी और सफलता प्राप्त करने के लिए अच्छे साझीदार प्रदान करता है. रिश्तों में सामंजस्य बना रहता है, और जीवनसाथी के साथ प्रेम और सम्मान का संबंध बना रहता है. साझेदारी में लाभ प्राप्त होता है, और व्यवसाय में भी सफलता मिलती है.

आठवां भाव और वर्गोत्तम ग्रह

आठवे भाव का संबंध मृत्यु, रहस्य और परिवर्तन से होता है. जब वर्गोत्तम ग्रह आठवें भाव में स्थित होता है, तो यह व्यक्ति को जीवन में बड़े बदलावों और रहस्यों का सामना करने की शक्ति देता है. ऐसे व्यक्ति जीवन के कठिन क्षणों में भी आसानी से उभरने में सक्षम होते हैं. यह ग्रह व्यक्ति को गहरे मानसिक और आध्यात्मिक ज्ञान की ओर मार्गदर्शन करता है.

नवां भाव और वर्गोत्तम ग्रह

नवां भाव व्यक्ति के भाग्य, धर्म और उच्च शिक्षा से संबंधित होता है. जब वर्गोत्तम ग्रह नवें भाव में स्थित होता है, तो यह व्यक्ति को अच्छे भाग्य और उच्च शिक्षा का आशीर्वाद देता है. व्यक्ति को धार्मिक विचारों की ओर आकर्षित करता है और जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए अच्छे अवसर प्रदान करता है. इसके अलावा, ऐसे व्यक्ति का ध्यान उच्च विचारों और सिद्धांतों पर केंद्रित रहता है.

दसवां भाव और वर्गोत्तम ग्रह

दसवां भाव का संबंध व्यक्ति के कैरियर और समाज में स्थिति से है. जब वर्गोत्तम ग्रह दसवें भाव में स्थित होता है, तो यह व्यक्ति को कैरियर में सफलता, उच्च पद और सामाजिक सम्मान दिलाने में मदद करता है. ऐसे व्यक्ति समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं और उनके कार्यों में सम्मान मिलता है.

ग्यारहवां भाव और वर्गोत्तम ग्रह

ग्यारहवे भाव का संबंध लाभ, दोस्ती और इच्छाओं से है. जब वर्गोत्तम ग्रह ग्यारहवें भाव में स्थित होता है, तो यह व्यक्ति को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अच्छे अवसर प्रदान करता है. ऐसे व्यक्ति के दोस्त और सहयोगी बहुत सहायक होते हैं, और वे अपने जीवन में इच्छा पूर्ति के लिए मजबूत आधार तैयार करते हैं.

बारहवां भाव और वर्गोत्तम ग्रह

बारहवे भाव का संबंध आध्यात्मिकता, खर्च और निहित ज्ञान से है. जब वर्गोत्तम ग्रह बारहवें भाव में स्थित होता है, तो यह व्यक्ति को आत्मज्ञान, ध्यान और ध्यान साधना में रुचि पैदा करता है. ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में आध्यात्मिक दृष्टिकोण से प्रगति करते हैं और धन खर्च की सही दिशा की ओर अग्रसर होते हैं.

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