जीवन में धन की स्थिति को लेकर हर कोई किसी न किसी रुप में प्रयासरत देखा जा सकता है. आर्थिक प्रगति की इच्छा सभी के भीतर मौजूद रहती है. लेकिन हर कोई एक जैसी स्थिति को नहीं पाता है. कहीं धन की कमी इतनी बनी रहती है कि व्यक्ति कर्ज लेने के लिए मजबूत रहता है. वहीं को यदि कर्ज लेता भी है तो उसे चुका लेने में सक्षम होता है. पर कुछ मामलों में कर्ज से मुक्त हो पाना असंभव सा रहता है. कई बार तो यह स्थिति पीढ़ियों पर भी अपना असर डने वाली होती है.
बहुत से लोग जन्म कुंडली के विभिन्न भावों में सकारात्मक ग्रहों को पाकर सुख महसूस करते हैं. वहीं कुछ लोग नकारात्मक ग्रहों को के कारण निराशा को पाते हैं होने लगते हैं. इसके अलावा पूर्व जन्मों के कार्य भी आपके आने वाले कार्यों का परिणाम होते हैं. कुंडली में पिछले जीवन के कर्मों से धन लाभ के संकेत मिल सकते हैं. नकारात्मक ग्रह वर्तमान जीवन में कष्ट देते हैं लेकिन सुधार का अवसर देते हैं, जो पहले नहीं कर पाए थे. जन्म कुंडली के दूसरे, नौवें, दसवें और ग्यारहवें भाव में कुछ अच्छे ग्रहों का योग वित्तीय लाभ देता है. इसलिए सबसे पहले ग्रह और भाव पर ध्यान देना जरुरी है साथ ही धन हानि से जुड़े योगों पर नजर बनाकर रखनी भी जरुरी है.
कुंडली में कर्ज धन हानि से संबंधित भाव ग्रह
जन्म कुंडली में दूसरा भाव, ग्यारहवां भाव और इसके स्वामी धन की स्थिति के मुख्य वाहक बनते हैं. चंद्रमा और बृहस्पति जो धन का कारक होता इन पर अष्टमेश का नकारात्मक प्रभाव गरीबी, अचानक वित्तीय असफलताओं, दिवालियापन, कमाई में रुकावट, आय में बाधा, मुकदमेबाजी, दुर्घटना आदि के माध्यम से वित्तीय समस्याएं दे सकता है.
दूसरे भाव, ग्यारहवें भाव और इनके स्वामी. इसके अलावा चंद्रमा और बृहस्पति पर छठे भाव के स्वामी स्वामी का नकारात्मक प्रभाव होने से विवादों, बीमारियों, चोटों, दुश्मनों के माध्यम से कर्ज एवं वित्तीय समस्याएं जीवन पर असर डालने वाली होती हैं. चोरी, आग, धोखाधड़ी, मुकदमेबाजी आदि के माध्यम से व्यक्ति को आर्थिक नुकसान हो सकता है. .
छठा भाव पीड़ित होने के कारण व्यक्ति को भारी कर्ज देने वाला हो सकता है. व्यक्ति अनेक प्रकार के बिलों पर भुगतान के चलते बड़ी धनराशि खर्च कर सकता है.
दूसरे भाव ग्यारहवें भाव, दूसरे भाव के स्वामी या एकादश भाव के स्वामी पर बारहवें भाव का या इसके स्वामी का असर, इसके अलावा चंद्रमा और बृहस्पति पर बारहवें भाव के स्वामी का नकारात्मक प्रभाव भारी वित्तीय नुकसान, अत्यधिक व्यय, पैसे बचाने में असमर्थता या अस्पताल में भर्ती होने और कारावास के माध्यम से वित्तीय समस्याएं दे सकता है.
जन्म कुंडली में ग्रह हमारे जीवन के बारे में छोटी से छोटी जानकारी का संकेत देते हैं. हम जिस ग्रहों की स्थिति के साथ पैदा हुए हैं, जिसे ज्योतिष में योग कहा जाता है, वह जीवन में हमारी संपत्ति, रिश्ते, आशीर्वाद और दुखों का प्रभाव हमें बताते हैं. इससे बनने वाले ज्योतिषीय योग हमारे जीवन में शुभ या अशुभ का वादा करते हैं. यदि धन योग अच्छा है तो उस स्थिति में जीवन में कितना धन और संपत्ति प्राप्त होगी इसका एक बेहतर परिणाम गणना द्वारा सामने लाया जा सकता है.
ग्रहों का योग व्यक्ति के कर्मों के परिणामों को फलित करने के लिए भी होता है. इसी के द्वारा अच्छे या बुरे योग भी बनते हैं. जन्म कुंडली में धन देखने के लिए सबसे पहले कुंडली में धन योग का होना आवश्यक है. हर कोई धन योग के साथ पैदा नहीं होता है, लेकिन जिसके पास भी है, वह निश्चित रूप से जीवन में अपार धन अर्जित करेगा. ज्योतिष ग्रंथों में बताए अनुसार धन के विशिष्ट घर होते हैं. ये मुख्य रूप से जन्म कुंडली के दूसरे और ग्यारहवें भाव से देखे जाते हैं. यह भाव निश्चित रूप से धन के आगमन को दर्शाते हैं, लेकिन धन हानि के लिए इन भावों का सूक्ष्म अध्ययन ही हमारे लिए काफी सटीक बन पाता है. यदि धन का का योग खर्च में अधिक हो तो ऎसे में हानि, निवेश में घाटा, चोरी आदि के संदर्भ में धन की स्थिति को कमजोर करने वाले भावों को जान लेना जरुरी होता है.
कौन से ग्रह देते हैं धन हानि
कर्ज या धन हानि का कारण कुछ विशेष ग्रहों की स्थिति के कारण पड़ता है.
राहु धोखाधड़ी, लालच, वासना, अतिभोग और सट्टेबाजी की प्रवृत्ति के माध्यम से वित्तीय समस्याएं दे सकता है. खराब राहु के कारण व्यक्ति को अकस्मात होने वाले जीवन के सबसे बुरे दुखों का सामना करना पड़ जाता है. यह स्थिति उस काम में अधिक होती है जो जोखिम भरे निवेशों से जुड़े होती है. राहु का प्रकोप चाहे वे एक समय के सबसे बड़े शेयर बाजार में दिखाई देता है, तथाकथित आध्यात्मिक गुरु, बड़े नौकरशाह और राजनेता कोई भी इसके प्रकोप से बचा नहीं है.
केतु एक अभौतिकवादी ग्रह है, इसलिए यह धन या आय के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकता है.
शनि गरीबी, बीमारी, कमाई में बाधा और गलत दिशा में प्रयास या गलत कर्म के माध्यम से वित्तीय नुकसान दे सकता है.
कौन सा भाव कर्ज को दर्शाता है
कर्ज को दर्शाने वाले भाव वही होते हैं जो धन की प्राप्ति में बाधा बनते हैं यह धन भाव और लाभ भाव के कमजोर होने के कारण भी हो सकता है. धन भाव का छठे भाव या बारहवें भाव के साथ संबंध होना भी आर्थिक स्थिति को कमजोर कर देने वाला होता है. कुंडली का दूसरा भाव व्यक्ति की आर्थिक स्थिति और धन संचय करने की क्षमता को दर्शाता है. जीवन में कितना धन संचय करेंगे यह जन्म कुंडली के दूसरे भाव से पता चलता है. यह भी एक अर्थ त्रिकोण भाव है दूसरा, छठा भाव, दसवां भाव अर्थ त्रिकोण भाव होते हैं. इस प्रकार, यदि किसी कुंडली में द्वितीय भाव, द्वितीयेश और कारक बृहस्पति मजबूत स्थिति में हों तो यह भाव जातक को आर्थिक समृद्धि प्रदान करता है.
एकादश भाव व्यक्ति की आय का मुख्य भाव होता है. जन्म कुंडली में ग्यारहवां भाव जीवन में लाभ या लाभ के विभिन्न स्रोतों को दर्शाता है. यह मनोकामना पूर्ति का भाव स्थान होता है. ऎसे में इस भाव का शुभ होना सभी इच्छाओं को पूरा कर सकता है. जन्म कुंडली में नौवें घर को लक्ष्मी स्थान या देवी लक्ष्मी का स्थान कहा जाता है. ज्योतिष में पंचम और नवम भाव को लक्ष्मी स्थान कहा जाता है. नौवें घर को भाग्य का भाव भी कहा जाता है क्योंकि यह जीवन में भाग्य के बारे में जानकारी देता है. जीवन में धन संचय और आर्थिक समृद्धि में भाग्य अहम भूमिका निभाता है. इस प्रकार, यदि नवम भाव, नवमेश और कारक बृहस्पति मजबूत स्थिति में हैं, तो वे जीवन में लाभ और समृद्धि प्रदान कर सकता है.
दशम भाव हमारे कर्म और कार्यक्षेत्र के बारे में जानकारी देता है. कौन सा कार्य हमें धन लाभ या धन लाभ देगा? यह भाव इस जानकारी को इंगित करता है. इसके अलावा नवम भाव हमारी कड़ी मेहनत और उससे मिली पहचान को भी दर्शाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, व्यक्ति को प्राप्त उच्च पद, सम्मान, मान्यता और प्रसिद्धि के लिए नवम भाव देखा जाता है. इस प्रकार, यह भाव किसी के जीवन में वित्तीय लाभ निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. अब इन सभी भावों के द्वारा व्यक्ति के कर्ज की स्थिति का भी बोध होता है.