ज्योतिष शास्त्र आपको आपके भावी पति-पत्नी के स्वभाव और विशेषताओं को देखने में मदद करता है और यह आपको यह जानने में भी मदद करता है कि आपका अपने पति या पत्नी के साथ किस प्रकार का संबंध होगा. ज्योतिष शास्त्र के पास कुंडली से जीवनसाथी की भविष्यवाणी की उचित विधि होती है. यह जीवन साथी के व्यकित्व और उसके साथ आपके रिश्ते की बेहतर भविष्यवाणी कर सकती है.
सप्तम भाव में बैठे ग्रहों का असर और प्रभाव
सप्तम भाव कई मामलों से विशेष होता है. यह भाव वैसे तो मुख्य रुप से विवाह का स्थान होता है. इसके साथ ही इस भव से आपसी संबंधों की आधारशीला को समझा जाता है.
सातवें भाव में सूर्य के साथ जीवनसाथी का स्वभाव
सातवें घर में सूर्य के साथ, आपका जीवनसाथी बहुत अच्छी पारिवारिक पृष्ठभूमि वाला, बहुत उदार, महत्वाकांक्षी आदि हो सकता है. लेकिन जीवनसाथी कभी-कभी हावी हो सकता है. वह अहंकारी भी हो सकता है और कुछ श्रेष्ठता की भावना दिखा सकता है. सूर्य का यहां होना साथी से दूरी को भी देने वाला होता है यह दूरी किसी भी तरह की हो सकती है. सूर्य एक रुखा अग्नि से युक्त ग्रह है. इसलिए सातवें भाव में इसका होना शुभ नहीं माना जाता है. यदि यह सूर्य नवांश या सप्तमांश में उच्च का है, उस पर बृहस्पति या चंद्रमा जैसे शुभ ग्रह की दृष्टि है, तो आप अपने जीवनसाथी से सुंदर व्यक्तित्व और बहुत अच्छे स्वभाव की उम्मीद कर सकते हैं.
सातवें घर में चंद्रमा के साथ जीवनसाथी का स्वभाव
चंद्रमा ग्रहों में सबसे तेज चलता है और सातवें घर में इसकी स्थिति बहुत अच्छी भी मानी गई है. सातवें घर में चंद्रमा के कारण जीवनसाथी बहुत भावुक, नरम दिल, कोमल हो सकता है. वह बहुत अधिक घर से प्यार करने वाला और परिवार को लेकर सजग व्यक्ति हो सकता है. इस स्थिति का नकारात्मक पक्ष यह है कि जीवनसाथी बहुत अधिक मूडी हो सकता है. जिस प्रकार चंद्रमा में घटने-बढ़ने की प्रवृत्ति होती है, उसी प्रकार इन व्यक्तियों का मूड भी बहुत ज्यादा बदलता रहता है. लेकिन यदि यह पीड़ित है तो इसका अंधकारमय पक्ष जैसे अहंकारी, क्रोधी स्वभाव आदि का रिश्ते पर असर देगा.
सातवें घर में मंगल के साथ जीवनसाथी का स्वभाव
मंगल क्रोध का कारक बहुत अधिक जोश का कारक है. सातवें घर में मंगल के होने से मांगलिक योग बन जाता है. यह जीवनसाथी बहुत गर्म स्वभाव का व्यक्ति बना सकता है या साथी अधिक आक्रामक व्यक्तित्व वाला हो सकता है. वह शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय व्यक्ति हो सकता है. वह बहुत मेहनती होगा और गतिविधि में शामिल रह सकता है. ये व्यक्ति ऊर्जा से भरपूर हो सकते हैं और यौन संबंधों में बहुत अच्छे हो सकते हैं. लेकिन यदि मंगल पीड़ित है तो यह झगड़ालू स्वभाव दर्शाता है और कुछ मामलों में यह मांगलिक दोष को खराब कर सकता है.
सातवें भाव में बृहस्पति के साथ जीवनसाथी का स्वभाव
ज्योतिष में जीवनसाथी का प्रकार यदि बृहस्पति सातवें घर में स्थित है तो यह काफी सकारात्मक होता है. लेकिन कुछ मामलों में अपवाद भी देखने को मिल सकता है. यह अच्छे नैतिक चरित्र वाला जीवनसाथी देने में सहायक होता है. जीवन साथी स्वभाव से सुशिक्षित, नैतिक, निष्ठावान, धार्मिक हो सकता है. कुछ आलोचनात्मक भी हो सकता है, स्त्री की कुंडली में सातवें घर में बृहस्पति यह दर्शाता है कि भावी पति बहुत बुद्धिमान और विद्वान व्यक्ति होगा. यह वैदिक ज्योतिष में जीवनसाथी की विशेषताओं का सबसे अच्छा संकेत है. यदि कुंडली में बृहस्पति सप्तम भाव में हो तो जीवनसाथी बहुत धार्मिक विचारों वाला और ईश्वर से डरने वाला होता है.
सातवें भाव में बुध के साथ जीवनसाथी का स्वभाव
यदि बुध सातवें घर में मौजूद है तो आपको एक मिलनसार साथी का सहयोग मिल सकता है. बुध के कारण जीवन साथी से बुद्धिमान, खुशमिजाज, बातूनी और मजाकिया होने की उम्मीद कर सकते हैं. बुध का असर यौन संबंधों के लिए थोड़ा कमजोर हो सकता है लेकिन सहयोग अच्छा मिलेगा. भौतिक रुप से सुखों को पाना कुछ मुश्किल होता है लेकिन साथी काफी मामलों में आपके अनुसार अनुकरण भी कर सकता है. जिद्दी और लापरवाह भी हो सकता है. जब बुध सातवें घर में हो तो जीवनसाथी कुछ लापरवाह या कहें अबोध की भांति भी हो सकता है क्योंकि बुध एक युवा राजकुमार ग्रह जो अपनी ही मस्ती मैं अधिक रहना पसंद करता है ऎसे में कुंडली में इस स्थिति को देखकर जीवन साथी की विचारधारा का अनुमान लगा सकते हैं.
सातवें भाव में शुक्र के साथ जीवनसाथी का स्वभाव
जब कुंडली के सातवें घर में शुक्र स्थित हो तो इस बात की प्रबल संभावना है कि जीवन साथी बेहद खूबसूरत होगा. उसका आकर्षण काफी होगा. शुक्र का यहां होना वैवाहिक सुख के लिए काफी अच्छा माना गया है. प्रेम और यौन संबंधों का अच्छा सुख भी शुक्र के द्वारा मिलता है. सातवें भाव में शुक्र के होने से जीवनसाथी कलात्मक हो सकता है. शांत और सौम्य स्वभाव का व्यक्ति हो सकता है. रोमांटिक, विलासिता और हर तरह की सुख-सुविधा का शौकीन हो सकता है. मिलनसार और प्यार करने वाले जीवनसाथी की प्राप्ति शुक्र द्वारा संभव दिखाई देती है.
सातवें घर में शनि के साथ जीवनसाथी का स्वभाव
शनि का सातवें भाव में होना जीवनसाथी के रुप में कर्तव्यनिष्ठ, जिम्मेदार, व्यावहारिक, मेहनती व्यक्ति दिलाने वाला होता है. लेकिन सातवें भाव में शनि की स्थिति को अच्छा नहीं माना जाता है क्योंकि इससे विवाह में देरी होती है. और यह विवाह के संबंधों में भी संतुष्टि नही दे पाता है. सबसे अच्छी बात यह है कि शनि एक स्थिर रिश्ता देता है. सातवें भाव में शनि के कारण आपको अधिक उम्र का जीवनसाथी भी मिल सकता है. जब शनि सातवें भाव पर प्रभाव डालता है तो जीवनसाथी के साथ उम्र का अंतर भी जरूर देखने को मिलता है. जीवन साथी स्वभाव से कम रोमांटिक हो सकता है लेकिन ये बहुत वफादार साथी देने में भी सहायक बनता है.
सातवें घर में राहु के साथ जीवनसाथी का स्वभाव
राहु के सातवें भाव में मौजूद होने पर जीवनसाथी के संदर्भ में मिलेजुले फल मिलते हैं. जीवनसाथी काफी तेज मानसिकता का हो सकता है. वह समाज के नियमों का पालन नहीं करना चाहेगा या कहें उसके विचार परंपराओं से हटकर काम करने वाले हो सकते हैं. साथी बहुत तेज़ और बुद्धिमान हो सकता है. राहु का सप्तम भाव में जोना विदेशी जीवनसाथी का भी संकेत दे सकता है, या फिर अपनी परंपराओं से अलग जाकर विवाह को देने वाला भी हो सकता है. अगर राहु पीड़ित है तो यह वैवाहिक जीवन को नष्ट कर सकता है. सातवें घर में राहु अंतर्जातीय विवाह का भी संकेत देता है अनैतिक रिश्तों का भी यह प्रभाव देने वाला होता है.
सातवें घर में केतु के साथ जीवनसाथी का स्वभाव
केतु का सातवें घर में होना जीवनसाथी को आध्यात्मिक और धार्मिक स्वभाव वाला बना सकता है. लेकिन यह यौन संबंधों के लिए अनुकूल नहीं होता है. इस कारण इन चीजों की कमी भी झेलनी पड़ सकती है. साथी से दूरी भी प्रभावित कर सकती है. केतु एक नेतृत्वहीन ग्रह है, इसलिए वह अपने विचार स्पष्ट रूप से व्यक्त करने में सक्षम नहीं हो सकता है. वह गणित, कंप्यूटर आदि में बहुत अच्छा हो सकता है तो साथी इन विषयों में अच्छा जानकार मिल सकता है.