सिंह लग्न के लिए सभी ग्रह दशा प्रभाव

सिंह लग्न के लिए सभी ग्रहों की स्थिति कुछ शुभ और कुछ कठोर बनती है. ग्रह जिस भाव के स्वामी होते हैं और जैसी स्थिति में होते हैं उसी के अनुरुप अपना असर दिखाते हैं. सिंह लग्न  महत्वाकांक्षी, साहसी, दृढ़ इच्छाशक्ति वाले, सकारात्मक, स्वतंत्र और आत्म विश्वास से भरे हुए होते हैं.  इस लग्न में जब कोई शुभ ग्रह अच्छी स्थिति में हो तब इसके चलते अनुकूल फल प्राप्त होते हैं. इस लग्न के लिए हनि एक कठोर फल अधिक देता है, वहीं मंगल शुभ फल देने में सक्षम होता है.

सिंह लग्न में सूर्य दशा प्रभाव

सूर्य लग्न का स्वामी होने के कारण सूर्य देव इस लग्न कुंडली में सबसे शुभ एवं प्रभावी ग्रह हैं. सूर्य इस लग्न में अगर  प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, सप्तम, नवम, दशम, एकादश भाव में होने पर यथाशक्ति शुभ फल देते हैं. सूर्य देव तीसरे, छठे, आठवें और बारहवें भाव में अनुकूल फल प्रदान करने वाले होते हैं. इनका दान और पाठ करने से इनकी अशुभता कम हो जाती है. सूर्य की  दशा का प्रभाव व्यक्ति को क्रोध की अधिकता देता है. सूर्य देव की शक्ति बढ़ती है और व्यक्ति अच्छे फल प्रदान करता है.सूर्य महादशा का असर व्यक्ति को जीवन में प्रसिद्धि और पद प्राप्ति दिलाने वाला होता है.

सिंह लग्न में बुध दशा प्रभाव

सिंह लग्न की कुंडली में बुध की दशा प्रभाव आर्थिक समृद्धि को देने वाला होता है. कुंडली के दूसरे और एकादश भाव का स्वामी होकर आर्थिक समृद्धि दिलाने में सहायक बनता है. इस ग्रह की स्थिति लग्नेश सूर्य का परम मित्र होने के कारण बेहतर फलों को देने में सहायक होती है. इस लग्न की कुंडली में बुध को जीवन में महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए उचित माना जाता है. बुध ग्रह प्रथम, द्वितीय भाव, चतुर्थ भाव, पंचम भाव, सप्तम भाव, नवम भाव, दशम भाव तथा एकादश भाव में बुध ग्रह अपनी दशा एवं अन्तर्दशा में शुभ फल देने वाला होता है. तीसरे, छठे, आठवें और बारहवें भाव में अशुभ फल देता है. इस दशा में व्यक्ति को ग्रह की स्थिति के अनुसार प्रभाव दिखाई देते हैं. 

सिंह लग्न में शुक्र दशा प्रभाव

सिंह लग्न कुंडली में शुक्र तीसरे भाव और दसवें भाव का स्वामी होता है. हुक्र की दशा व्यक्ति के जीवन में कर्म की प्रधानता का समय होती है. शुक्र का प्रभाव मिलेजुले फलों को देने वाला होता है. शुक्र की दशा के दोरान जातक अपने काम धंधे के अलावा जीवन में रिश्तों के प्रभाव से भी  दिखाई देता है.शुक्र का प्रभाव प्रथम, चतुर्थ भाव, पंचम भाव्, सप्तम भाव, नवम भाव, दशम भाव तथा एकादश भाव मेंच्छे परिणाम देने वाला होता है. इस दशा के दौरान व्यक्ति को कुछ मान सम्मान एवं आर्थिक लाभ मिलता है. शुक्र दशा अपनी स्थिति में यथाशक्ति शुभ फल देती है. . शुक्र दशा दूसरे भाव, तीसरे भाव, छठे भाव, आठवें भाव और बारहवें भाव में अशुभ परिणाम दिखाती है. 

सिंह लग्न में मंगल दशा का प्रभाव

सिंह लग्न कुंडली के चतुर्थ और नवम भाव में मंगल दो अच्छे भावों का स्वामी है. लग्नेश सूर्य का अत्यंत प्रिय मित्र होने के कारण इस कुंडली में मंगल दशा को शुभ फल देने वाली माना गया है. मंगल अगर दशा में प्रथम भाव, द्वितीय भाव, चतुर्थ भाव, पंचम भाव, सप्तम भाव, नवम भाव, दशम भाव एकादश भाव में होने पर अपनी दशा में यथाशक्ति शुभ फल देते हैं. इसके अलावा तीसरे, छठे भाव में भी मंगल बेहतरीन दशा प्रभाव दिखाता है. आठवें और बारहवें भाव में मंगल अशुभ होता इस स्थान पर दशा का फल कमजोर होता है. मंगल दशा का समय व्यक्ति के साहस को बढ़ाता है मंगल संपत्ति के मामलों में कुछ अच्छे लाभ देता है.

सिंह लग्न में बृहस्पति दशा प्रभाव

सिंह लग्न कुंडली में बृहस्पति दशा का प्रभाव मिलेजुले रुप में दिखाई देता है. गुरु इस लग्न के लिए  पंचम और अष्टम भाव का स्वामी है. सूर्य देव का मित्र होने के कारण बृहस्पति को एक लाभकारी ग्रह माना जाता है. बृहस्पति प्रथम भाव, द्वितीय भाव, चतुर्थ भाव, पंचम भाव, सप्तम भाव, नवम, दशम तथा एकादश भाव में अपनी स्थिति में अपनी क्षमता के अनुसार शुभ फल देता है. तीसरे, छठे, आठवें और बारहवें भाव में उदित स्थिति में बृहस्पति मारक होता है और इस दशा के समय अशुभ फल देता है.  बृहस्पति के फलों में स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है . व्यक्ति आध्यात्मिक गतिविधियों में शामिल रहता है. 

सिंह लग्न में शनि दशा का प्रभाव

सिंह लग्न कुंडली में शनि दशा का प्रभाव छठे और सातवें भाव के स्वामी के रुप में मिलता है. लग्नेश सूर्य का शत्रु होने के कारण शनि अपनी दशा में खराब फल अधिक देता है. सिंह के लिए कुंडली का सबसे मारक ग्रह शनि ही माना जाता है. शनि दशा कुंडली के सभी भावों में अशुभ फल देने में आगे अधिक रह सकती है. शनि दशा में खराब फलों से बचने के लिए शनि से संबंधित उपायों को अवश्य करना चाहिए. इसके अलावा शनि जब छठे, आठवें और बारहवें भाव में विपरीत राजयोग में होता है तो कुछ शुभ फल देने की क्षमता रखता है. शनि दशा समय स्वास्थ्य को लेकर चिंता रह सकती है. शत्रुओं की ओर से परेशानी अधिक झेलनी पड़ सकती है.

सिंह लग्न में चन्द्रमा दशा का प्रभाव

सिंह लग्न के लिए चंद्रमा बारहवें भाव का स्वामी होता है. इस दशा का असर भी कमजोर ही माना जाता है. इस कुंडली में चंद्र का असर व्यक्ति को खर्चों से परेशानी देने वाला हो सकता है. स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है. कुंडली के किसी भी भाव में चंद्र देव अपनी स्थिति में क्षमता के अनुसार दशा का फल देता है. छठे भाव, आठवें भाव और बारहवें भाव में स्थित चंद्रमा खराब असर के बाद अपना कुछ शुभ दशा असर दिखाता है जिसे विपरीत राजयोग में गिना जाता है.  

सिंह लग्न में राहु और केतु दशा का प्रभाव

राहु दशा का प्रभाव कुंडली में भाव स्थिति और ग्रह स्थिति के अनुसार पड़ता है. इस दशा के समय परिवार की स्थिति अधिक प्रभावित करती है. इस समय नाक, गला, कान, आवाज पर राहु का असर पड़ता है. दशाकाल में राहु के शुभ प्रभाव में रहने से कुछ अच्छे फ़ल प्राप्त होते हैं जबकि कमजोर एवं अशुभ प्रभाव में रहने से अशुभ फ़ल प्राप्त होते हैं.

इसी प्रकार केतु भी अपना असर दिखाता है. जीवन, आयु, मृत्यु का कारण, मानसिक चिंता, समुद्री यात्रा, नास्तिक विचार, ससुराल, दुर्भाग्य, दरिद्रता, आलस्य, गुप्त स्थान, जेल यात्रा, अस्पताल, जादू-टोना जीवन के दुःख इस समय अधिक असर दिखाते हैं. कुंडली में  दशाकाल में केतु के बलवान एवं शुभ प्रभाव में रहने से अच्छे फल देता है  लेकिन कमजोर एवम अशुभ प्रभाव में रहने से अशुभ फ़ल प्राप्त होते हैं. 

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