शुक्र चंद्रमा और मंगल का त्रि ग्रही योग

चंद्रमा और शुक्र दो जलीय ग्रह है लेकिन मंगल अग्नि तत्व युक्त ग्रह है. चंद्र शुक्र स्त्रैण ऊर्जाएं हैं और मंगल पौरुष ऊर्जा है. यह तीनों जब एक साथ होते हैं तो असरदायक रुप से प्रभावित करते हैं. शक्तिशाली, उग्र और गर्म ग्रह मंगल का अन्य दो शांत और भावनात्मक ग्रहों के साथ जब योग होता है तो इसके दुरगामी असर भी दिखाई देते हैं. इस बात की प्रबल संभावना है कि कुंडली में इस प्रकार की युति वाले व्यक्ति का संबंध काफी जटिल होते हैं. भावनात्मक रुप से यह योग परेशानी और दुविधाओं को देने वाला होता है. 

व्यक्ति जल्दबाज़ी के निर्णय लेता है. जीवन में परेशानियों और कष्टों का सामना करना पड़ सकता है. व्यक्ति को रिश्तों में परेशानी, जुनून में वृद्धि, उग्रता और अवैध संबंधों के प्रति झुकाव देखने को मिल सकता है. व्यक्ति किसी भी प्रकार से सफलता को लेकर उत्साही होता है. व्यक्ति बौद्धिक और तर्कसंगत होता है. अधिक कमाने और इच्छाओं को पूरा करने के लिए संघर्ष कर सकता है. जीवन में स्थिरता का अभाव होता है. 

शुक्र चंद्र मंगल त्रि ग्रही योग का सभी भावों पर प्रभाव 

कुंडली के प्रथम भाव में शुक्र-चंद्र-मंगल युति

पहले भाव में शुक्र-चंद्र-मंगल युति के लिए अनुकूल होता है. प्रथम भाव में चंद्रमा और शुक्र की युति जोश उत्साह देने वाली और लाभ देती है. यह भाव आकर्षण, शरीर की ताकत, रंग और चेहरे का प्रतिनिधित्व करता है, अगर शुक्र-चंद्र-मंगल युति पहले घर या लग्न में युति करते हैं तो यह एक आकर्षक रूप, सुव्यवस्थित सुंदर और आकर्षक प्रभाव देता है. इस दौरान व्यक्ति को अपने प्रयासों में सफलता मिलती है. व्यक्ति का स्वस्थ तन और मन कार्य में सफलता का कारक होता है.

कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र-चंद्र-मंगल युति

दूसरे भाव में शुक्र-चंद्र-मंगल की युति अच्छा वित्तीय लाभ प्रदान करती है. इस दौरान व्यक्ति अच्छी प्रभावशाली आवाज को पाता है उसके भाषण द्वारा लोग आकर्षित होते हैं. वह अपने संचार द्वारा अपना काम पूरा करने में सक्षम हो जाता है. इस युति वाले लोग हमेशा अच्छे वक्ता बनते हैं. इस योग से सुख-सुविधाओं पर खर्च अधिक होता है. व्यक्ति जल्दबाजी या हड़बड़ी में काम अधिक करता है. 

कुंडली के तीसरे भाव में शुक्र-चंद्र-मंगल युति

तृतीय भाव में शुक्र-चंद्र-मंगल युति होने से व्यक्ति को लाभ मिलता है. व्यक्ति में अपनी क्षमातों को दिखाने का अच्छा अनुभव होता है. व्यक्ति की ओर लोग जल्द आकर्षित हो जाते हैं. व्यक्ति कई तरह की चीजें सोचता है ओर उनमें शामिल रहता है. इस युति के कारण व्यक्ति को धन खर्च का अवसर मिलता है ओर धार्मिक सामाजिक गतिविधियों में उसकी भागीदारी भी अधिक रहती है. 

कुंडली के चौथे भाव में शुक्र-चंद्र-मंगल युति

चतुर्थ भाव में शुक्र-चंद्र-मंगल युति अच्छे परिणाम देती है. अनेक प्रकार के सुखों को पाने का अवसर मिलता है. स्त्री पक्ष के साथ मधुर संबंध बने रह सकते हैं. भूमि, घर और वाहन के सुखों से व्यक्ति सुखी होता है. इस योग में व्यक्ति की जीवनशैली काफी अच्छी होती है. सहनशीलता का गुण होता है, लेकिन दूसरों के कारण परेशानी भी अधिक रह सकती है. कारोबार में नाम कमाते हैं. लोगों का जनसंपर्क अधिक है और अपनी ही धुन में लगे रहने वाले होते हैं. 

कुंडली के पांचवें भाव में शुक्र-चंद्र-मंगल युति

पंचम भाव में शुक्र-चंद्र-मंगल की युति के प्रभाव से व्यक्ति प्रेम एवं कल्पनाओं में अधिक खुद को पाता है. ध्यान में भटकाव की स्थिति भी अधिक रहती है. शिक्षा में बाधा या रिश्तों में अटकाव भी अधिक परेशान करता है. इस युति के कारण प्रेम में बाधा और करियर में बाधा भी परेशानी दे सकती है. आकर्षण और मौज मस्ती की दुनिया में अधिक लगे रह सकते हैं. कला प्रेमी तथा रचनात्मक गुणों से संपन्न होते हैं. 

कुंडली के छठे भाव में शुक्र-चंद्र-मंगल युति

छठे भाव में शुक्र-चंद्र-मंगल की युति के दौरान व्यक्ति अपने जीवन में चुनौतियों को लेकर अधिक परेशान होता है. उदार और परोपकारिता के गुण परेशानी दे सकते हैं. कर्ज से परेशान हो सकता है. भय की भावना अकारण उत्पन्न होती है. मानसिक शांति में परेशानी, माता को परेशानी और व्यक्ति को स्त्री सुख में कमी होती है. अपनी ही गलतियों के कारण विपरीत परिस्थिति का सामना करना पड़ता है.  

कुंडली के सातवें भाव में चंद्रमा और शुक्र की युति

सप्तम भाव में शुक्र-चंद्र-मंगल की युति का असर व्यक्ति को भावनात्मक रिश्तों के लिए अधिक उत्साहित करता है. जीवन में धन और वैभव के साथ-साथ किसी मधुर संबंध भी प्राप्त होते हैं. जीवन साथी का प्रेम प्राप्त होता है लेकिन क्रोध एवं व्यर्थ की इच्छाएं आपसी रिश्तों को परेशानी में डाल सकती हैं. व्यापार एवं कार्य क्षेत्र में बड़े लाभ जीवन में प्राप्त होते हैं. मन में चंचलता भी अधिक रहती है. 

कुंडली के आठवें भाव में शुक्र-चंद्र-मंगल युति

आठवें भाव में शुक्र-चंद्र-मंगल की युति का योग कष्ट और चुनौतियों को अधिक देने वाला हो सकता है. व्यक्ति गुढ़ विद्या का जानकार होता है. इस दौरान व्यक्ति स्त्री के कारण कष्ट भी पा सकता है. व्यर्थ ही खर्च की अधिकता बनी रहती है. भावनाओं में बहकर कई तरह के गलत कार्यों में भी संलग्न हो सकता है. जीवन में अपनों की ओर से धोखे की स्थिति चिंता देने वाली हो सकती है. 

कुंडली के नवें भाव में शुक्र-चंद्र-मंगल युति

नवम भाव में शुक्र-चंद्र-मंगल की युति का प्रभाव शुभता प्रदान करने वाला होता है. जीवन में सौभाग्य, लाभ और श्रेष्ठ स्थिति प्राप्त होती है. परिश्रम के द्वारा भाग्य का निर्माण कर पाने में सक्षम होते हैं. सामाजिक रुप से सहयोग की प्राप्ति भी होती है. अच्छी जीवन शैली को पाने में सक्षम होते हैं. पराक्रमी, मधुर व्यक्तित्व, भाग्यवान होते हैं. 

कुंडली के दसवें भाव में शुक्र-चंद्र-मंगल युति

दशम भाव में शुक्र-चंद्र-मंगल की युति का प्रभाव व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सफलता के लिए उत्साहित करने वाला होता है. सुख, वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. व्यक्ति एक से अधिक कार्यों से पैसा कमाता है. व्यापार के क्षेत्र में नाम कमाने में सफल होता है. संगीत, नृत्य और गायन जैसे कार्यों में मेहनत द्वारा प्रसिद्धि भी प्राप्त होती है. जीवन का आनंद लेता है. माता या नानी की संपत्ति भी मिल सकती है.

कुंडली के ग्यारहवें भाव में शुक्र-चंद्र-मंगल युति

एकादश भाव में शुक्र-चंद्र-मंगल की युति अनेक लाभ दिला सकती है. कई तरह से धन की प्राप्ति संभव हो सकती है. मित्रों का लाभ मिलता है. जीवन में लोगों से प्रेम के सहयोग की प्राप्ति होती है. आमदनी के स्रोत अच्छे प्राप्त हैं. वाहन और नौकर का सुख होता है. भवन और वस्त्र से व्यक्ति धनवान बनता है. 

कुंडली के बारहवें भाव में शुक्र-चंद्र-मंगल युति

कुंडली के बारहवें भाव में शुक्र-चंद्र-मंगल की युति व्यक्ति को यात्रा का लाभ दिलाता है. आर्थिक रुप से खर्चों की अधिकता बनी रहती है. व्यक्ति अधिक परिश्रम से बचता भी है. सुख-भोग आदि में व्यय करने के लिए आगे रह सकता है. अचानक खर्चे की स्थिति बनती है. नेत्रों में विकार अथवा निद्रा की कमी के कारण स्वास्थ्य पर असर भी पड़ सकता है. भय या चिंता का प्रभाव भी जीवन को प्रभावित करने वाला होता है. 

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