मेष लग्न के लिए बुध ग्रह की महादशा कैसे परिणाम देगी इस तथ्य पर कुंडली में बुध के भाव अधिग्रह के साथ बुध के भाव स्थान की महत्ता विशेष होती है. जिसका अर्थ हुआ की मेष लग्न के लिए बुध किन भावों का स्वामी होता है और बुध कुंडली में किस स्थान पर बैठा हुआ है. सफलताओं और उपलब्धियों के मध्य बुध की भूमिका काफी महत्वपूर्ण बन जाती है मेष लग्न के लिए. मेष लग्न के लिए बुध महादशा का फल समझने के लिए बुध की स्थिति और उसके भाव स्थान को समझ कर विशेष परिणाम जाना जा सकता है.
मेष लग्न के लिए बुध तीसरे भाव और छठे भाव का स्वामी होता है. तीसरे भाव में मिथुन राशि आती है और छठे भाव में कन्या राशि आती है. इसके अतिरिक्त बुध स्वयं कुंडली में कौन से स्थान में बैठा है इस तथ्य को देख कर मेष लग्न के लिए बुध महादशा को जान पाना संभव हो सकता है.
बुध महादशा का तीसरे भाव से संबंध
मेष लग्न के लिए बुध तीसरे भाव का स्वामी होता है और तीसरे घर को पारंपरिक रूप से भाई-बहनों का भाव माना गया है. इसे पराक्रम का भाव भी कहा जाता है. इसी के साथ यह भाव चरित्र की ताकत, इच्छाशक्ति, आंतरिक शक्ति, दृढ़ संकल्प, दृढ़ता और महत्वाकांक्षा, जो हमें लक्ष्य की ओर ले जाती है उन सभी के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है. अब ऎसी स्थिति में बुध की स्थिति इन सभी के लिए विशेष हो जाती है.
तीसरा घर, उपचय घर भी होता है और एक ऐसा भाव है जिसमें किसी भी अशुभ ग्रह के लिए परिवर्तन का अवसर होता है. तीसरे घर में किसी भी प्रतिकूल ग्रह के पास चीजों को बेहतर करने का सुधार का मौका होता है. जब बुध इस घर का स्वामी बनता हैतो उसकी दशा के दौरान धीरे-धीरे, साल-दर-साल बुध ग्रह के सर्वोत्तम गुणों को प्रकट करने में आगे रह सकता है. इस भाव में बुध की स्थिति महत्वाकांक्षी व्यक्तित्व को इंगित करती है जो जीवन से सब कुछ प्राप्त कर सकता है. बुध की महादशा का प्रभाव व्यक्ति को लक्ष्य-उन्मुख और अति महत्वाकांक्षी बना सकता है. इस समय व्यक्ति अपने जीवन में सार्थक परिणाम प्राप्त करने की अधिक संभावना रखता है कुंडली में तीसरे भाव की कोई भी अभिव्यक्ति सफलता और लक्ष्यों की प्राप्ति का आश्वासन देने वाली होती है.
बुध का प्रभाव रोजमर्रा की जिंदगी में भी हमारी योजनाओं को साकार करने की शक्ति प्रदान देता है. अपने या अपने प्रियजनों के खिलाफ निष्कर्ष और आरोप लगाने में जल्दबाजी भी कर सकता है. आलस्य अक्सर महत्वपूर्ण प्राण की कमी के कारण होता है, अर्थात व्यक्ति की ऊर्जा निम्न स्तर पर हो सकती है, जो कुंडली के तीसरे घर की कमजोरी में प्रकट होती है. लेकिन बुध की स्थिति का प्रभाव व्यक्ति को आलस्य से मुक्ति दिलाने वाला होगा.
तीसरा भाव गतिविधि और अवधि जिसमें कार्यों की परिणीति होती है. किसी के पास अधिक शक्तिशाली शक्त है, किसी के पास शुरू में बहुत कमजोर शक्ति है. अक्सर यही कारण होता है कि कुछ व्यक्ति कई कार्य करते हैं और परिणामस्वरूप, जीवन में बहुत कुछ सीखते हैं, जबकि अन्य बहुत कम होते हैं क्योंकि उनके भीतर उतनी शक्ति नहीं लेकिन बुध के स्वामित्व का प्रभाव इस भाव में जोश ओर उत्साह को देने वाला होता है. यहां मिथुन राशि आती है जो युवा उत्साह को दर्शाती है अब इस कारण इस दशा में व्यक्ति के भीतर काफी उत्साह भी मौजूद होता है.
छठे भाव की बुध महादशा प्रभाव
बुध के छठे भाव का स्वामी होने पर व्यक्ति कई मायनों में अपने जीवन के संघर्ष और सफलता को लेकर काफी सजग दिखाई देगा. ज्योतिष में तीसरे भाव पर विस्तार से विचार करना और उसकी ताकत का मूल्यांकन करना, छठे भाव की ताकत के साथ जोड़ कर देखा जाता है. ऎसे में जब इन दोनों स्थानों पर बुध का अधिकार होता है तब स्थिति महत्वपूर्ण बन जाती है. बुध महादशा में व्यक्ति कई कठिनाइयों और समस्याओं को देखेगा लेकिन अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की उसकी अनुभूति भी विशेष होगी. यदि तीसरा घर कमजोर है और छठा मजबूत है, तो एक व्यक्ति को खुद को काफी मजबूती से और लगभग हमेशा, आलस्य और उदासीनता से लड़ने वाला होगा. बुध महादशा में उसे इसी ओर अधिक काम करने की आवश्यकता होगी. बुध महादशा में उसे लगातार प्रेरित होना होगा.
छठे भाव को रोग, स्वास्थ्य, विवाद, प्रतिस्पर्धा, साहस, इरादे की दृढ़ता, रचनात्मकता प्रतिभा, समाज में एक अच्छी प्रतिष्ठा, मनोदशा और विचारों का परिवर्तन, बहुमुखी प्रतिभा और क्षमताएं, संचार, अभिव्यक्ति, साहसिकता, साहस, जोखिम उठाना, जुआ और यात्राओं की बहुतायत भी इसी से समझ सकते हैं ऎसे में बुध महादशा का होना व्यक्ति के जीवन में इन चीजों की बहुतायत को देने वाला होगा. बुध महादशा के समय लक्ष्यों को प्राप्त करने में दृढ़ता मिलेगी, मजबूत चरित्र, अक्सर खेल और शारीरिक सहनशक्ति में सफलता, खेल के प्यार, यात्रा, चलने, भाई-बहनों के साथ समस्याएं संभव हो सकती हैं, महत्वाकांक्षा और बहुत प्रेरणा, किसी के प्रयासों के माध्यम से परिणाम प्राप्त करना भी इस महादशा में दिखाई देगा.
बुध की स्थिति
अब कुंडली में बुध जिस भी भाव में बैठता है ओर जिस भी स्थिति में होता है उसका असर भी बुध महादशा में मिलती है. अगर बुध कमजोर होगा कुंडली में तो तीसरा भाव और छठा भाव भी कमजोर हो जाएगा ऎसे में जड़ता अधिक परेशानी देने वाली हो सकती है. यात्रा करना सफल नहीं हो सकता है या व्यक्ति यात्रा करना पसंद नहीं करेगा. संचार कठिन होगा क्योंकि अन्य लोगों के विवाद अधिक रह सकते हैं. खेलकूद, दैनिक व्यायाम, व्यायाम, सख्त आहार और दैनिक दिनचर्या का पालन, सहनशक्ति यह सब शक्ति भी इस समय कमजोर हो जाएंगी. पर इसके विपरित यदि बुध अच्छी स्थिति में होगा तो वह कुछ सकारात्मक परिणाम दे पाएगा. इस समय नकारात्मक स्थितियों से लड़ने की अच्छी क्षमता भी व्यक्ति को प्राप्त होने लगती है.