मुहूर्त शास्त्र में कार्यों की शुभता के लिए विशेष विचार किया जाता है. प्रत्येक कार्य को सकारात्मक रुप से पाने एवं सफल होने के लिए मुहूर्त का उपयोग होता रहा है. ऎसे में जब यात्रा का विचार करना हो तो उसके लिए भी शुभ मुहूर्त का विचार किया जा सकता है. किसी भी जरुरी काम पर जाने हेतु यात्रा का विचार होता है ऎसे में यदि यात्रा के लिए शुभ समय का निर्धारण किया जाए तो उसका बेहद शुभ फल प्राप्त होते हैं.
यात्रा मुहूर्त का विचार करने कि आवश्यकता
जीवन में जब हम किसी काम को करते हैं तो उसमें सफलता या असफलता का फल मिलता ही है. जब किसी काम के लिए यात्रा करते हैं तो उसमें किसी भी तरह का परिणाम हमें मिल सकता है. इन यात्राओं में कभी सफलता तो कभी असफलता हाथ लगती है. यात्रा कभी-कभी इतनी अच्छी हो सकती है कि भागदौड़ भरी जिंदगी की सारी थकान दूर हो जाती है. लेकिन कई बार हादसे के कारण यात्रा कष्टमय बन जाती है. जब यात्रा काफी महत्वपूर्ण हो जाती है जिसमें सफलता एवं सकारात्मक फल की प्राप्ति की चाह अधिक हो जाती है तो उस समय यदि मुहूर्त पर विचार किया जाए तो यह एक अनुकूल स्थिति के लिए उपयोगी बन जाती है.
सही समय का चयन कर पाना आसान नहीं होता है. समय की कमी या जल्दबाजी के कारण लोग अक्सर मुहूर्त के महत्व को भूल जाते हैं. ऎसे में शुभ मुहूर्त का स्मरण तब अधिक ध्यान आता है जब यात्रा व्यर्थ, निष्फल और हानिकारक सिद्ध होने लगती है. तब यह विचार अधिक तेजी से सोचने के विवश करता है कि यदि शुभ मुहूर्त में अपनी यात्रा प्रारंभ की जाती तो परेशानी या कष्ट से बचाव हो सकता है. यात्रा में हानि, मानसिक या शारीरिक कष्ट से मुक्ति पाने में मुहूर्त का विचार बहुत सहायक सिद्ध हो सकता है.
यात्रा में तिथि विचार
यात्रा को शुरु करने से पहले अगर शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखा जाए तो उसके द्वारा कई तरह के बेहतर प्रभाव मिल पाने संभव होते हैं. अपनी योजना बना कर शुभ मुहूर्त के चयन के द्वारा यात्रा एवं प्रवास के दौरान होने वाले मानसिक एवं शारीरिक कष्टों से मुक्ति पाना बहुत अधिक संभव होता है. यात्रा के उद्देश्य में सफलता प्राप्त करना बहुत संभव इस शुभ मुहूर्त के द्वारा संभव हो पाता है.
यात्रा मुहूर्त के लिए कई तरह की बातों पर विचार करने की आवश्यकता होती है. इस के लिए दिशाशूल, नक्षत्रशूल, योगिनी, भद्रा, चंद्रबल, ताराबल, नक्षत्रशुद्धि आदि का विचार किया जाता है. किसी भी यात्रा मुहूर्त का पता लगाने के लिए इन बातों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ना उचित होता है. इसके साथ जिस दिन यात्रा करनी है उस दिन कि तिथि शुद्धि को सबसे पहले माना जाता है. तिथि शुद्धि के लिए कुछ विशेष तिथियों को अनुकूल माना गया है यह तिथियां शुभ मानी गई हैं जिनमें से ये इस प्रकार हैं. किसी भी पक्ष के कृष्ण पक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, त्रयोदशी और केवल प्रतिपदा तिथियां महत्वपूर्ण रुप से विचार में रखी जाती हैं. यहां यह ध्यान देने योग्य बात है कि इन तिथियों में भद्रा दोष का विचार भी करना आवश्यक होता है इसमें भद्रा नहीं होना चाहिए. अर्थात यदि इन तिथियों में विष्टि करण हो तो वह समय यात्रा के लिए शुभ नहीं होगा.
नक्षत्र शुद्धि विचार
यात्राओं की शुभता में तिथि की शुद्धि के पश्चात नक्षत्र पर विचार करने की बात कहीं जाती है. जब हम तिथियों को लेते हैं तब ली गई तिथियों के अनुरुप नक्षत्र माना जाता है. यात्रा के लिए शुभ नक्षत्र निम्नलिखित रहते हैं. इसमें अश्विनी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, धनिष्ठा नक्षत्र और रेवती नक्षत्र श्रेष्ठ माने गए हैं. इनके अतिरिक्त कुछ नक्षत्रों में सभी दिशाओं में भ्रमण किया जाता है अर्थात जिन नक्षत्रों में सभी दिशाओं में भ्रमण करना शुभ होता है वे निम्नलिखित हैं- अश्विनी नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र और हस्त नक्षत्र. अंत में कुछ नक्षत्र ऐसे भी हैं जिन्हें यात्रा का माध्यम माना गया है. वे इस प्रकार हैं: रोहिणी नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र, उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र और शतभिषा नक्षत्र पर विचार होता है. इसके साथ ही नक्षत्रशूल विचार पर भी ध्यान देने की आवश्यकता होती है. नक्षत्रशूल को भी दिशा के समान ही माना जाता है. दिशाशूल में इसे अशुभ माना गया है
किसी दिशा विशेष के लिए विशेष वार होना शुभ होता है जबकि नक्षत्रशूल में किसी दिशा विशेष के लिए विशिष्ट नक्षत्रों का होना अशुभ माना जाता है. जिस दिशा में आप यात्रा करना चाहते हैं, उस दिशा में नक्षत्रों पर विचार करना भी आवश्यक है. योगिनी वास का विचार यात्रा करते समय योगिनी किस दिशा में रहती है, यह जानना भी आवश्यक है. यात्रा के दौरान योगिनी का सामने या दाहिनी ओर होना अशुभ माना जाता है. योगिनीवास का विचार तिथि और दिशा के अनुसार निर्धारित होता है, चंद्र दिशा विचार के अनुसार यात्रा के समय चन्द्रमा सामने या दाहिनी ओर होना उपयुक्त माना गया है.
शुभ ग्रह प्रभाव
यात्राओं के लिए शुभ ग्रहों की स्थिति का विचार भी बेहद जरुरी है लेकिन इसी के साथ पाप ग्रहों का विचार कार्य की प्रकृत्ति को देख कर लिया जाता है. शुभ ग्रह में चंद्र, बुध, बृहस्पति और शुक्र. ग्रहों का विचार और इन ग्रहों की होरा में भ्रमण करना श्रेष्ठ माना गया है. पर यदि यात्रा कोई विजय जैसे युद्ध में और संघर्ष में विजय के लिए है तो उसमें मंगल की शुभता भी बहुत सहायक बनती है किसी भी युद्ध की सफलता लड़ाई में विजय की प्राप्ति के लिए मंगल का सहयोग बेहद अहम होता है. अत: यात्रा किस प्रयोजन के लिए है इस पर ध्यान देना बहुत जरुरी होता है और उसी के अनुरुप फल का निर्धारण संभव हो पाता है.