मंगल के आत्मकारक होने पर क्या मिल पाती है सफलता

जैमिनी ज्योतिष अनुसार आत्मकारक ग्रह कुंडली में का विशेष ग्रह होता है जो अपने प्रभाव द्वारा कुण्डली के फलों को बदल देने में काफी सक्षम होता है. आत्मकारक ग्रह एक प्रकार से कुंडली में सभी ग्रहों को अपने द्वारा प्रभावित करता है. आत्मकारक ग्रह यदि शक्ति संपन्न होगा और शुभ होता तो उसके असर द्वारा कुंडली की हर स्थिति अपनी विशिष्ट स्थिति के अनुसार असर दिखाएगी. अगर इस आत्मकारक भूमिका में मंगल को स्थान मिलता है तो मंगल कुंडली में मजबूत ग्रह बनेगा. यह कुंडली की आत्मा के सरीखा काम करने वाला होगा. कुंडली को विशेष बल इसी के द्वारा प्राप्त होगा. 

कुण्डली में की स्थिति को जीवन में साहस एवं पराक्रम की शक्ति के रुप में देखा जाता है. ज्योतिष अनुसार हर ग्रह अपने प्रभव में जीवन के उस पक्ष पर असर डालता है जो जीवन को संपूर्णता प्रदान करने में सहायक बनता है इसी क्रम में मंगल भी अपना विशेष असर डालता है. मंगल हमें जीवन में वो शक्ति प्रदान करता है जिसके द्वारा हम अपने फैसलों को आगे ले जाने में सफल होते हैं. मंगल की शक्ति का असर इतना व्यापक है की यह शक्ति के द्वारा विजय दिलाने में सक्षम है तो तर्क की कुशलता से स्थिति को बदल देने में भी सक्षम होता है. 

मंगल किसी कुंडली में शक्ति, साहस, ताकत की सामर्थ्यता को दिखाने का काम करता है. अगर भाग्य को बदल देने का सामर्थ्य किसी में हो तो मंगल ग्रह हमेशा उसमें अपना योगदान देने वाला ग्रह होता है. यह साहस और शक्ति देता है. यह ग्रह, ऊर्जा, गतिविधि, स्वतंत्रता और संगठनात्मक कौशल की निर्णायकता के लिए जिम्मेदार माना जाता है. मंगल छोटे भाई बहनों का कारक होता है. यह कामुकता और यौन शक्ति के लिए भी विशेष बनता है. मंगल विभिन्न दुर्घटनाओं, चोटों और झटकों का कारण भी बनता है. यह विभिन्न प्रकार की तीक्ष्ण वस्तुओं और रक्त को दर्शाता हैं. यह युद्ध और शत्रुता के लिए मुख्य होता है. शरिर में रक्त, मूत्राशय, जननांग क्षेत्र और मांसपेशियां भी इसके अधिकार क्षेत्र में आती हैं.

आत्मकारक मंगल का करियर पर असर 

ज्योतिष अनुसार मंगल शुष्क और उग्र स्वभाव वाला ग्रह है. मंगल यदि आत्मकारक होकर अनुकूल है तो यह व्यक्ति को कई कार्यों में अच्छे परिणाम दिलाने में सहायक हो सकता है. मंगल यदि काफी मजबूत है तो ऎसे काम में जोड़ सकता है जहं शक्ति एवं साहस का प्रदर्शन होगा. प्रबंधन के कामों किसी दल का नेतृत्व करने में या सक्रिय रूप से कार्य करना इसके गुण का प्रभाव होगा. सेना, पुलिस, एथलीट, अग्निशामक, मंत्रालय, स्टंटमैन, सर्जन, लोहार, धातुओं के साथ संबंध, कसाई, रसोइया और खाना पकाने से जुड़ी हर चीज, मैकेनिक, सर्विस स्टेशन, बिल्डर, अचल संपत्ति के कामों, वास्तु विशेषज्ञ के काम, तकनीक से जुड़े काम, बिजली के काम, केमिस्ट और सर्जन भी बना सकता है. एथलीट के रुप में प्रसिद्धि भी दिला सकता है. एक अनुकूल और अच्छी तरह से स्थित मंगल बहुत उदार हो सकता है.लेकिन जब वह अपना आपा खो देता है तो उसे नियंत्रण में कर पाना असंभव हो जाता है.

आत्मकारक मंगल का प्रभाव ज्योतिष में प्रभाव

आत्मकारक मंगल यदि अपनी उच्च अवस्था में है अपनी प्रबल राशि में स्थित है तो ऎसे में यह कुंडली के कई तरह के प्रभाव में बदलाव को दिखाने वाला होता है. व्यक्ति में उग्रता अधिक दिखई देगी. वह अधिक क्रोधि एवं जिद्दी हो सकता है. ऎसे में जरुरी है कि व्यक्ति को किसी भी प्रकार की हिंसा से बचना चाहिए, मंगल अग्नि तत्व का ग्रह है और अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है. किंतु यदि व्यक्ति अधिक उत्साहित होगा तो जोखिम भरे कामों में शामिल होकर काम करने में आगे रहेगा ऎसे में यह स्थिति उसके लिए दुर्घटनाओं की संभावना में भी वृद्धि करने वाली होगी. 

व्यक्ति में ऊर्जा स्तर काफी अधिक होता है, यह शरीर में हड्डियों के अंदर पदार्थ जिसे अस्थि मज्जा कहा जाता है उस पर नियंत्रण रखता है. कुंडली में मंगल बली हो तो व्यक्ति अपनी उम्र से छोटा दिखेगा, मंगल एक क्रूर ग्रह है, आक्रामक भी है और आसानी से हार नहीं मानता है. ऎसे में वह ज्यादा सोचने का समय भी नहीं देता है. वह केवल क्रिया की प्रतिक्रिया में अधिक विश्वस रखना चाहेगा. 

व्यक्ति को मिलती है विजय की गारंटी

आत्मकारक मंगल के रुप में उच्च स्थिति का शुभस्थ मंगल विजय दिलाने वाला होता है. माना जाता है कि मंगल व्यक्ति को सफलता दिलाने की क्षमता प्रदान करता है, आत्मकारक मंगल की उपस्थिति के कारण व्यक्ति में हर लड़ाई जीतने की प्रबल इच्छा होती है. व्यक्ति अपनी ताकत का प्रदर्शन साबित करने में भी काफी सफल होता है. आत्मकारक मंगल वाले लोग महान योद्धा के रुप में उभर सकते हैं. अपने कार्यों को जल्द से करना और जल्द से जल्द निर्णयों तक पहुंचना ही उसका उद्देश्य भी होता है. आत्मकारक मंगल के मजबूत होने पर व्यक्ति ऎसे कार्यों में अधिक शामिल रहता है जहां शक्ति का प्रदर्शन हो तथा स्वतंत्रता पूर्वक फैसलों को लिया जा सके. 

आत्मकारक होने पर मंगल का प्रभाव व्यक्ति को निडर, ऊर्जावान और आज्ञाकारी भी बनाता है. मंगल ऊर्जा का एक ग्रह है जो एक अच्छे आत्म सम्मान से भरे जीवन को जीने के लिए बहुत आवश्यक होता है. यह जीवन के प्रति एक बहुत ही स्वस्थ और सहज दृष्टिकोण रखता है, कुंडली में शुभ तरह से स्थित मंगल किसी भी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा के लिए आवश्यक बल प्रदान करता है चाहे वह खेल हो या किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधि. आत्मकारक मंगल अच्छी शिक्षा का मौका भी देता है. व्यक्ति में आत्मबल काफी होता है वह दूसरों पर निर्भर और किसी प्रकार की शारीरिक सुरक्षा नहीं चाहता है. आत्मकारक मंगल व्यक्ति के भीतर नेतृत्व का बेहतरीन गुण विकसित करता है. व्यक्ति में समाज को बदलने की क्षमता होती है. 

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