ज्योतिष में बनने वाले पांच दुर्लभ योग जो कुंडली में होते हैं खास

ज्योतिष में ग्रहों, नक्षत्रों, भावों, राशियों इत्यादि के आधार पर कई तरह के योग बनते हैं जो कुछ शुभ तो कुछ अशुभ स्थिति को पाते हैं . कुछ योग ऎसे होते हैं जो काफी विशेष रुप से व्यक्ति पर अपना असर डालते हैं. इन योग का असर व्यक्ति के भाग्य एवं उसके कर्म सभी पर अपना प्रभाव डालने वाला होता है. कुंडली में कुछ ग्रह स्थितियां हैं ऎसी होती हैं जो ग्रह की ताकत का संकेत होती हैं. ग्रहों की इन स्थितियों को हमारे ऋषियों ने अलग-अलग नाम दिए हैं, जिन्हें योग कहते हैं. ज्योतिष शास्त्र में ऐसे कई योग हैं, जो कुंडली में महत्वपूर्ण बदलाव लाते हैं. ये सभी योग कुंडली में अन्य ग्रहों की स्थिति के साथ काम करते हैं. योगों की शक्ति ग्रहों की स्थिति, दृष्टि और युति पर आधारित होती है. इसलिए, जब तक पूर्ण कुंडली मजबूत न हो, तब तक किसी भी योग में परिणाम देने की शक्ति नहीं होती है.

लक्ष्मी योग, गजकेसरी योग, धन योग, मांगलिक योग, अंगारक योग जैसे कई प्रसिद्ध और विशेष योग हैं. इन्हें कई कुंडली में देखा जा सकता हैं लेकिन कुछ ऎसे दुर्लभ योग भी होते हैं जो अद्वितीय ग्रह संयोजनों के साथ बनते हैं. आइए उनमें से कुछ को समझने का प्रयास करते हैं : – 

अधिपति योग 

इस योग को धर्म-कर्म अधिपति योग नाम से भी जाना जाता है. यह बहुत ही सुंदर योग है. यह तब बनता है जब दशम या नवम भाव का स्वामी केंद्र या त्रिकोण भाव में संबंध बनाता है. इस योग को लग्न कुंडली या चंद्र लग्न कुंडली से देख सकते हैं. जब किसी व्यक्ति की कुंडली में यह योग बनता है, तो वह एक साधन संपन्न होने के साथ आधिकारिक व्यक्ति बन जाएगा, और कोई भी उसके अधिकार पर सवाल नहीं उठा पाएगा.

करियर राशिफल दशम भाव को कर्म भाव के रूप में जाना जाता है, और नवम भाव को धर्म का घर कहा जाता है. जब धर्म और कर्म के स्वामी केंद्र या त्रिकोण में युति करते हैं, तो यह कुंडली में एक बहुत शक्तिशाली होता, जो व्यक्ति को जीवन में बहुत कुछ हासिल करने में मदद करता है. अगर यह खराब ग्रहों पर बनता है तो ऎसे में यह उस अधिकार में कठोरता को भी शामिल करता है. 

नल योग

नल योग एक बहुत ही दुर्लभ योग है और इसलिए, कम ज्ञात है. यह तब बनता है जब सभी ग्रह द्विस्वभाव राशियों में मौजुद होते हैं. कुंडली में मिथुन राशि, कन्या राशि, धनु राशि और मीन  राशि को द्विस्वभाव राशि कहा जाता है. इस तरह कुंडली में जब ग्रह इन्हीं राशियों में होते हैं तब इस योग का असर दिखाई देता है. यह योग व्यक्ति को बहुत अधिक विद्यावान बनाता है, क्योंकि सभी राशियां बुद्धि ज्ञान के कारक ग्रहों से प्रभावित होती हैं.

बुध और बृहस्पति इन राशियों का स्वामित्व पाते हैं.  बुध तर्क की कुशलता देता है और बृहस्पति उच्च ज्ञान का संकेत देता है. तो स्वाभाविक रूप से, जब सभी ग्रह इन भावों में होंगे, तो व्यक्ति बहुत ज्ञानी होगा. उनका ज्ञान ही उनकी ताकत होगा, जो उन्हें अपने जीवन में ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मदद करेगा. इस का असर ऎसे लोगों की कुंडली में देखा जा सकता है जो उच्च स्तर के कार्यों में मौजूद होते हैं जिनके ज्ञान द्वारा चीजें सही से काम कर रही होती हैं 

कहल योग

कहल एक आश्चर्यजनक योग है जो चौथे और नौवम भाव के स्वामी के आपसी संबंध से बनता है. यदि वे दोनों एक दूसरे के केंद्र हों तो यह योग बनता है. यह योग व्यक्ति को नेता बना देगा, और उसके पास एक वफादार लोग होते हैं ऎसे प्रशंसक होते हैं जो उसकी सफलता में विशेष स्थान रखते हैं. यह योग दर्शाता है कि राजनीति में स्थान पाने के लिए पर्याप्त शक्ति मिलती है और सरकारी अधिकारियों के साथ व्यक्ति के अच्छे संबंध होंगे. इसलिए, वह एक सरकारी अधिकारी हो सकता है. संस्कृत में कहला का अर्थ है ढोल की ध्वनि या बड़ी ध्वनि. इसलिए जब जातक बोलेगा तो उसकी आवाज में इतनी गहराई होगी कि हर कोई उसकी बात सुनेगा अगर यह खराब भाव में बनता है तो यह व्यक्ति को बहुत ही चिड़चिड़े स्वभाव का बना सकता है. फिर भी लोग उन्हें फॉलो करना पसंद करते हैं. 

शुभ कर्तरी और पाप कर्तरी योग

शुभ कर्तरी और पाप कर्तरी योग कुंडली में बनने वाले ऐसे योग हैं जो कुंडली को विशेष बल देते हैं. संस्कृत में शुभ का अर्थ अच्छा, सकारात्मक होता है. कर्तरी का अर्थ काटने से होता है. शुभ कर्तरी योग दो स्थितियों में उत्पन्न होता है. जब कोई ग्रह दो शुभ राशियों के बीच में होता है और जन्म के घर से बारहवें और दूसरे भाव में शुभ ग्रह होते हैं, तो इसका परिणाम शुभ कर्तरी योग में मिलता है. इसके विपरित यदि कोई ग्रह पाप ग्रहों के बीच में है, तो जातक को पाप कर्तरी योग से परेशानी झेलता है. इस योग के दो असर होंगे या तो यह शुभ होगा या खराब होगा. 

शुभ कर्तरी योग व्यक्ति को बुद्धिमान, धनवान और पराक्रमी बनता है. यदि कुंडली में शुभ ग्रहों पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि हो रही हो, तो शुभ कर्तरी योग फल नहीं दे पाता है पूर्ण रुप से. यदि  शुभ  योग है, तो उस भाव के परिणाम बहुत शुभ होंगे और जीवन के शुरुआती दौर से ही इनका फल भोग पाएंगे. 

आदि या अधि योग

जन्म कुंडली में अगर लग्न से छठे भाव, सातवें भाव, आठवें भाव में कोई तीन शुभ ग्रह हों तो अधि योग बनता है. यह साधारण योग नहीं है, इसलिए यह योग बहुत ही दुर्लभ होता है. अधि का अर्थ है अधीनस्थ, और इस योग वाले व्यक्ति के पास बहुत सारे नौकर और अधीनस्थ होंगे जो उसका आदेश लेने के लिए होंगे. वह राजा तुल्य होगा, और आजीवन उन्नति होगी. व्यक्ति के पास घर और धन होगा. यह एक राजयोग है जो उसे अपने पूरे जीवन का आनंद लेने में मदद कर सकता है. प्रत्येक राजयोग जीवन की विपत्तियों से बचने के लिए शक्ति देता है. 

This entry was posted in horoscope, jyotish, vedic astrology and tagged , , , . Bookmark the permalink.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *