मिथुन लग्न के लिए कौन बनता है मारक

कुंडली का प्रत्येक लग्न किसी न किसी मारक ग्रह से प्रभावित अवश्य होता है. मिथुन लग्न की कुंडली होने पर इस कुंडली के दूसरे भाव और सातवें भाव का स्वामी मारक बनता है. मिथुन लग्न के लिए, द्वितीय भाव में कर्क राशि आती है ओर कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा होता है. मिथुन लग्न के लिए सातवें भाव में धनु राशि आती है ओर धनु राशि का स्वामी बृहस्पति होता है. तो, मिथुन लग्न के लिए चंद्रमा और बृहस्पति ग्रह इनके मारक स्वामी या मारक ग्रह बन जाते हैं. 

मिथुन लग्न के लिए मारक भाव में स्थिति ग्रह स्थिति  

मिथुन लग्न के लिए द्वितीय एवं सप्तम भाव और इसके स्वामी मारक बनते हैं. इसी प्रकार यदि द्वितीय भाव कर्क राशि में कोई ग्रह बैठा हुआ है या फिर सप्तम भाव में धनु राशि में कोई ग्रह बैठा होता है तो वह इस कुंडली में मारक ग्रह का प्रभाव भी देता है. इन भाव में स्थिति ग्रह भी मारक ग्रह माने जाएंगे क्योंकि उनकी दशाएं भी मारक भावों को सक्रिय करने वाली होती हैं. 

मारक ग्रह का प्रभाव 

मारक ग्रह के शुभ और अशुभ फलों को जानने के लिएआवश्य है कि ग्रह की प्रकृत्ति को समजा जाए. सबसे पहले मिथुन लग्न के लोगों के लिए अच्छी बात यह है कि उनके दोनों मारक ग्रह यानी चंद्रमा और बृहस्पति शुभ ग्रह का स्थान पाते हैं. इसलिए, मारक ग्रह होते हुए भी कुछ राहत देने में भी सक्षम होते हैं. किंतु बुध के साथ चंद्रमा और बृहस्पति का संबंध विवादास्पद रहा है जिसके कारण ये स्थिति चिंता भी दर्शाती है. 

बृहस्पति – बृहस्पति ग्रह मिथुन लग्न के लोगों के लिए दशम भाव अर्थात मीन राशि का स्वामित्व भी पाता है. यह लाभ की एक और स्थिति को दर्शाता है. किंतु यहां बृहस्पति को केन्द्राधिपति दोष भी लगता है तो स्थिति मिलेजुले फल दर्शाती है जो तटस्थ रुप से भी दिखाई देती है. 

चंद्रमा – चंद्रमा केवल द्वितीय घर का ही अधिपति होता है इस कारण से साधारण रहता है. यह समय भी मिलाजुला फल देता है. 

मारक भावों में बैठे ग्रहों की प्रकृति 

मिथुन लग्न में मारक भाव में बैठे हुए ग्रह की प्रकृति भी देखने होती है. इन ग्रहों की प्रकृति को देखने की जरूरत है जो मारक घरों में हैं क्योंकि उसी के आधार पर फल प्राप्ति होती है. यदि वे प्राकृतिक रुप से शुभ ग्रह है तो अपनी दशा अंतरदशा में परेशानी कम ही देगा. लेकिन यदि ये ग्रह अशुभ प्रकृति का है तो ऎसे में स्थिति कष्ट को दिखाने वाली है. ये ग्रह जितने अधिक पापी स्वभाव रखते हैं, उतनी ही अधिक संभावना है कि इनकी दशाएं व्यक्ति के लिए कठिनाई दिखा सकती हैं और ऎसे में इन दशाओं के दौरान अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता होती है.

मारकेश की स्थिति 

मारक दशा को जानने का एक अन्य सबसे महत्वपूर्ण कारक वह है जिसमें चंद्रमा और बृहस्पति, मिथुन लग्न में कहा पर बैठे हैं और किस स्थिति में मौजूद हैं क्योंकि यह तथ्य ही  इसके परिणाम  और ताकत को दर्शाते हैं. 

चंद्रमा की दशा 

मिथुन लग्न के लिए मारकेश चंद्रमा अगर अपने स्वयं के घर में स्थित हो, मित्र राशि में स्थित हो, तटस्थ अवस्था में हो, मूल त्रिकोण या उच्च राशि में स्थिति हो तो ऎसे में व्यक्ति कुछ सकारात्मकता फल प्राप्त कर सकता है. मारक दशा के समय कुछ स्थिति संभली रहेगी. इस दशा के दौरान भी लाभ प्रदान कर सकता है क्योंकि यह एक शुभ ग्रह है और यह इन राशियों में अच्छी स्थिति मे होने के कारण बेहतर परिणाम दे सकता है. 

अगर इसके विपरित चंद्रमा किसी शत्रु राशि में हो, नीच अवस्था में हो, पप प्रभाव में हो, पाप करतारी योग में हो तो  ये स्थिति ग्रह को कमजोर करती है. यह समय दर्शाता है कि व्यक्ति को अपनी दशा से निपटने के लिए बहुत अधिक जागरूकता और सावधानी की आवश्यकता होगी.  उदाहरण के लिए, यदि चंद्रमा छठे भाव में वृश्चिक में होगा तो वह बीमारियों के घर में नीच का होगा इस कारण से व्यक्ति को दशा के दौरान स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जो चंद्रमा को मारक ग्रह के रूप में सक्रिय करती है, बीमारी के घर में कमजोर चंद्र होने से स्वास्थ्य के मामलों के बारे में अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होगी. 

बृहस्पति दशा 

मिथुन लग्न के लिए मारकेश बृहस्पति का असर जानने के लिए देखते हैं कि बृहस्पति कैसी अवस्था में कुंडली में स्थित है बृहस्पति अगर कुंडली में स्वयं की राशि में है, मित्र राशि में है, मूल त्रिकोण राशि में है, उच्च राशि में हो तो इस स्थिति में परेशानी कम देगा. इसके विपरित अगर बृहस्पति शत्रु राशि में, निर्बल स्थिति में. पाप कर्तरी में होगा तो यह स्थिति दशा के खराब फल अधिक दे सकती है. 

मारक घरों में स्थित ग्रहों का प्रभाव 

मारक भाव में स्थित ग्रहों की शुभता अशुभता या ताकत की जांच करने की आवश्यकता होती है. शुभ ग्रह का होना दर्शाता है कि व्यक्ति बिना किसी नुकसान के मारक दशा के माध्यम से आगे बढ़ सकता है. लेकिन अगर अशुभ ग्रह है तो इस दशा में अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होगी. उदाहरण के लिए, दूसरे घर में कर्क राशि में सूर्य का होना परेशानी अधिक नहीं देगा, लेकिन अगर मंगल दूसरे घर में कर्क राशि में है जहां मंगल नीच का होगा तो व्यक्ति को मारक दशा के दौरान सतर्क रहने की जरूरत होगी. 

दशाएं मारक भाव को कैसे सक्रिय करती है 

मिथुन लग्न के लिए मारक भाव चंद्रमा या बृहस्पति या किसी भी ग्रह की दशा के दौरान सक्रिय हो सकते हैं. जो दूसरे घर में कर्क राशि या सातवें घर धनु राशि में है. साथ ही, राशि, नक्षत्र के स्वामी की दशा जिसमें चंद्रमा या बृहस्पति स्थित हों, उन्हें मारक दशा को सक्रिय करने का योगदान मिलेगा. उदाहरण के लिए, यदि बृहस्पति तुला राशि में चित्रा नक्षत्र का है तो शुक्र दशा या मंगल दशा भी बृहस्पति और मारक घरों को सक्रिय कर सकती है. इसी तरह, मारक घरों में ग्रहों के लिए, उनकी राशि , नक्षत्र स्वामी दशा मारक परिणाम ला सकती है. इसके साथ ही प्रमुख स्तरों पर दशाओं को ध्यान में रखना होगा, जिसमें महादशा – अंतर्दशा – प्रत्यंतर दशा का समय महत्वपूर्ण होता है. 

This entry was posted in astrology yogas, horoscope, planets, vedic astrology. Bookmark the permalink.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *