वेदव्यास ऋषि और कश्यप ऋषि ज्योतिष का इतिहास | Saint Vedvyas- Kashyap Rishi – The History of Astrology

ज्योतिष शास्त्र का निर्माण करने में बहुत से ऋषिमुनियों का सहयोग हुआ. इन सभी के प्रयासों से ज्योतिष द्वारा व्यक्ति के भूत, भविष्य और वर्तमान के समय को जानने में बहुत अधिक सहायता मिल पाई है. इन्ही में से वेदव्यास और कश्यप ऋषि का नाम मुख्य रुप से आता है. इन्होंने ज्योतिष से संबंधित बहुत से सूत्रों का निर्माण भी किया था.

ऋषि वेद व्यास को ऋषि पराशर का पुत्र माना गया है. आधुनिक काल में ज्योतिष का जो रुप प्रयोग में लाया जाता है, वह पराशरी ज्योतिष का ही एक अंग है. ऋषि वेदव्यास न केवल ज्योतिष को जन्म देने वाले 18 ऋषियों में से एक है. अपितु इन्हीं के द्वारा महाभारत जैसे महान ग्रन्थ की रचना भी ऋषि व्यास के द्वारा हुई थी. ऋषि वेदव्यास ने महाभारत की प्रत्येक घटना को अपनी लेखनी के प्रभाव से सजीव कर दिया था.

ऋषि वेदव्यास वैदिक काल के महान ऋषियों में से एक थे तथा उन घटनाओं के साक्षी भी रहे जिन्होंने युग परिवर्तन किया. मुनि वेदव्यास जी धार्मिक ग्रंथों एवं वेदों के ज्ञाता थे वह एक महान विद्वान और मंत्र दृटा थे. पौराणिक युग की महान विभूति तथा साहित्य-दर्शन के प्रणेता वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को हुआ माना जाता है. वेदांत दर्शन, अद्वैतवाद के संस्थापक रहे वेदव्यास जी, पत्नी आरुणी से उत्पन्न इनके पुत्र थे महान बाल योगी शुकदेव. गुरु पूर्णिमा का पर्व वेद व्यास जी की जयन्ती के उपलक्ष्य में भी मनाया जाता है.

द्वापर युग में विष्णु व्यास के रूप में अवतरित होकर इन्होंने वेदों के विभाग प्रस्तुत किए हैं. प्रथम द्वापर में स्वयं ब्रह्मा वेदव्यास हुए, दूसरे में प्रजापति, तीसरे द्वापर में शुक्राचार्य , चौथे में बृहस्पति वेदव्यास हुए हैं और इस तरह से इन्द्र, धनंजय, सूर्य, मृत्यु, कृष्ण द्वैपायन अश्वत्थामा आदि अट्ठाईस वेदव्यास हुए हैं. इन्होंने वेदों का विभाजन किया गया तथा व्यास जी ने ही अट्ठारह पुराणों की भी रचना की थी.

वेदों के ज्ञानी- ऋषि वेदव्यास | Scholar of Vedas – Saint Vedvyas

ऋषि वेदव्यास जी के द्वारा वेदों का ज्ञान विस्तार हुआ और इन्होनें श्री देव ब्रह्रा जी की आज्ञा से चार ऋषियों को चार वेदों का ज्ञान वितरीत भी किए. इसी कारण इनका नाम वेदव्यास रखा गया.

जैमिनी ज्योतिष को जन्म देने वाले ऋषि जैमिनी, आचार्य वेदव्यास जी के शिष्यो में से एक थे. ऋषि वेदव्यास के अन्य शिष्य पैल, वैशम्पायन, सुमन्तुमुनि, रोम हर्षण रहे थे.

वेदव्यास द्वारा रचित शास्त्रों के नाम | Names of Shastras Written by Vedvyas

वेदों का विस्तार करने के कारण इन्हें वेदव्यास कहा गया. ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद का ज्ञान इन्होंने अपने शिष्य पैल, जैमिन, वैशम्पायन और सुमन्तुमुनि को प्रदान किया वेद में निहित ज्ञान के अत्यन्त गूढ़ होने के कारण ही वेद व्यास ने पाँचवे वेद के रूप में पुराणों की रचना की जिनमें वेद के ज्ञान को सरल रूप और कथा माध्यम से व्यक्त किया गया.

वेद व्यास जी के शिष्यों ने वेदों की अनेक शाखाएँ और उप शाखाएँ बना दीं. मान्यता है कि भगवान स्वयं व्यास के रूप में अवतार लेकर वेदों का विस्तार किया था अत: व्यासजी की गणना भगवान के चौबीस अवतारों में की जाती है व्यासस्मृति के नाम से इनके द्वारा प्रणीत एक स्मृतिग्रन्थ भी है. पृथ्वी पर विभिन्न युगों में वेदों की व्याख्या व प्रचार करने के लिए अवतीर्ण होते हैं. भारतीय वांड्मय एवं हिन्दू-संस्कृति में व्यासजी का प्रमुख स्थान रहा है. वैदिक ज्योतिष और हिन्दू धर्म शास्त्रों में इनका योगदान महाभारत, पुराण, श्रीमदभागवत, ब्रह्मासूत्र शास्त्र, मीमांसा आदि धर्म शास्त्रों के रुप में आज हमारे सामने है.

कश्यप ऋषि

ऋषि कश्यप का नाम, भारत के वैदिक ज्योतिष काल में सम्मान एक साथ लिया जाता है. ऋषि कश्यप नें गौत्र रीति की प्रारम्भ करने वाले आठ ऋषियों में से एक थे. विवाह करते समय वर-वधू का एक ही गौत्र का होने पर दोनों का विवाह करना वर्जित होता है. विवाह के समय गुण मिलान करते समय इस नियम का प्रयोग आज भी किया जाता है. एक गौत्र के वर-वधू का विवाह करने पर होने वाली संतान में शारीरिक अपंगता रहने के योग बनते है.

ऋषि कश्यप ने ज्योतिष में अन्य अनेक शास्त्रों की रचना की. इनका उल्लेख श्रीमदभागवत गीता में भी मिलता है. भारत में चिकित्सा ज्योतिष के क्षेत्र में भी ऋषि कश्यप ने अपना विशेष योगदान दिया है. प्राचीन काल के श्रेष्ठ ऋषियों में ऋषि कश्यप का नाम लिया जाता है.

कश्यप ऋषि ज्योतिष इतिहास में भूमिका | Kashyap Rishi Role in History of Astrology

ऋषि कश्यप ने कश्यपसंहिता आदि आयुर्वेदीय ग्रन्थों में अनेक सूत्र दिये गए हैं, जिनके माध्यम से व्यक्ति की आयु का निर्णय किया जाता है. इसके अलावा वनस्पति शास्त्र और वैदिक ज्योतिष के लिए भी कश्यप ऋषि ने अनेक शास्त्र बनाये. ऋषि कश्यप का वर्णन पौराणिक और धार्मिक धर्म ग्रन्थों में मिलता है. ऋषि कश्यप के वंशजों ने ही सृ्ष्टि का प्रसार किया था. इनके द्वारा लिखे गये शास्त्रों का वर्णन महाभारत और पुराणों में भी मिलता है.

प्राचीन वैदिक काल के महान ॠषियों में से एक ऋषि थे कश्यप ऋषि. हिंदु धर्म के ग्रंथों में कश्यप ऋषि के बारे में विस्तार पूर्वक उल्लेख प्राप्त होता है, वेदों, पुराणों तथा अन्य संहिताओं में भी यह नाम बहुत प्रयुक्त हुआ है, कश्यप ऋषि को सप्त ऋषियों में स्थान प्राप्त हुआ था इनकी महान विद्वानता और धर्मपरायणता के द्वारा ही यह ऋषियों में सर्वश्रेष्ठ माने गए यह धार्मिक एवं रहस्यात्मक चरित्र वाले महान ऋषि थे.

ऐतरेय ब्राह्मण में इनके बारे में प्राप्त होता है कि इन्होंने ‘विश्वकर्मभौवन’ नामक राजा का अभिषेक कराया था. इसके अतिरिक्त शतपथ ब्राह्मण में प्रजापति को कश्यप कहा गया है, महाभारत एवं पुराणों में कहा गया है कि ब्रह्मा के छः मानस पुत्रों में से एक ‘मरीचि’ थे जिन्होंने अपनी इच्छा से कश्यप नामक प्रजापति पुत्र को उत्पन्न किया था तथा कश्यप ने दक्ष प्रजापति की सत्रह पुत्रियों से विवाह किया.

ऋषि कश्यप के नाम पर गोत्र का निर्माण हुआ है यह एक बहुत व्यापक गोत्र है जिसके अनुसार यदि किसी व्यक्ति के गोत्र का ज्ञान नहीं होता तो उसे कश्यप गोत्र का मान लिया जाता है और यह गोत्र कल्पना इस लिए कि जाती है क्योंकि एक परंपरा के अनुसार सभी जीवधारियों की उत्पत्ति कश्यप से हुई मानी गई है अत: इस कारण कश्यप ऋषि को सृष्टि का जनक माना गया है.

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