जानिए, पूर्णिमा तिथि और इसके महत्व के बारे में विस्तार से
पूर्णिमा तिथि जिसमें चंद्रमा पूर्णरुप में मौजूद होता है. पूर्णिमा तिथि को सौम्य और बलिष्ठ तिथि कहा जाता है. इस तिथि को ज्योतिष में विशेष बल महत्व दिया गया है. पूर्णिमा के दौरान चंद्रमा का बल अधिक होता है और उसमें आकर्षण की शक्ति भी बढ़ जाती है. वैज्ञानिक रुप में भी पूर्णिमा के दौरान ज्वार भाटा की स्थिति अधिक तीव्र बनती है. इस तिथि में समुद्र की लहरों में भी उफान देखने को मिलता है. यह तिथि व्यक्ति को भी मानसिक रुप से बहुत प्रभावित करती है. मनुष्य के शरीर में भी जल की मात्रा अत्यधिक बताई गई है ऎसे में इस तिथि के दौरान व्यक्ति की भावनाएं और उसकी ऊर्जा का स्तर भी बहुत अधिक होता है.
पूर्णिमा को धार्मिक आयोजनों और शुभ मांगलिक कार्यों के लिए शुभ तिथि के रुप में ग्रहण किया जाता है. धर्म ग्रंथों में इन दिनों किए गए पूजा-पाठ और दान का महत्व भी मिलता है. पूर्णिमा का दिन यज्ञोपवीत संस्कार जिसे उपनयन संस्कार भी कहते हैं किया जाता है. इस दिन भगवान श्री विष्णु जी की पूजा की जाती है. इस प्रकार इस दिन की गई पूजा से भगवान शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं.
महिलाएँ इस दिन व्रत रखकर अपने सौभाग्य और संतान की कामना पूर्ति करती हैं. बच्चों की लंबी आयु और उसके सुख की कामना करती हैं. पूर्णिमा को भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक नामों से जाना जाता है और उसके अनुसार पर्व रुप में मनाया जाता है.
पूर्णिमा तिथि में जन्मा जातक
जिस व्यक्ति का जन्म पूर्णिमा तिथि में हुआ हो, वह व्यक्ति संपतिवान होता है. उस व्यक्ति में बौद्धिक योग्यता होती है. अपनी बुद्धि के सहयोग से वह अपने सभी कार्य पूर्ण करने में सफल होता है. इसके साथ ही उसे भोजन प्रिय होता है. उत्तम स्तर का स्वादिष्ट भोजन करना उसे बेहद रुचिकर लगता है. इस योग से युक्त व्यक्ति परिश्रम और प्रयत्न करने की योग्यता रखता है. कभी- कभी भटक कर वह विवाह के बाद विपरीत लिंग में आसक्त हो सकता है.
व्यक्ति का मनोबल अधिक होता है, वह परेशानियों से आसानी से हार नही मानता है. जातक में जीवन जीने की इच्छा और उमंग होती है. वह अपने बल पर आगे बढ़ना चाहता है. व्यक्ति में दिखावे की प्रवृत्ति भी हो सकती है. जल्दबाजी में अधिक रह सकता है.
व्यक्ति की कल्पना शक्ति अच्छी होती है. वह अपनी इस योग्यता से भीड़ में भी अलग दिखाई देता है. आकर्षण का केन्द्र बनता है. बली चंद्रमा व्यक्ति में भावनात्मक, कलात्मक, सौंदर्यबोध, रोमांस, आदर्शवाद जैसी बातों को विकसित करने में सहयोग करता है. व्यक्ति कलाकार, संगीतकार या ऎसी किसी भी प्रकार की अभिव्यक्ति को मजबूती के साथ करने की क्षमता भी रखता है.
मजबूत मानसिक शक्ति के कारण रुमानी भी होते हैं. कई बार उन्मादी और तर्कहीन व्यवहार भी कर सकते हैं जो इनके लिए नकारात्मक पहलू को भी दिखाती है. व्यक्ति अत्यधिक महत्वाकांक्षी भी होता है.
सत्यनारायण व्रत
पूर्णिमा तिथि को सत्यनारायण व्रत की पूजा की जाने का विधान होता है. प्रत्येक माह की पूर्णिमा तिथि को लोग अपने सामर्थ्य अनुसार इस दिन व्रत रखते हैं. अगर व्रत नहीं रख पाते हैं तो पूजा पाठ और कथा श्रवण जरुर करते हैं. सत्यनारायण व्रत में पवित्र नदियों में स्नान-दान की विशेष महत्ता बताई गई है. इस व्रत में सत्यनारायण भगवान की पूजा की जाती है. सारा दिन व्रत रखकर संध्या समय में पूजा तथा कथा की जाती है. चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है. कथा और पूजन के बाद बाद प्रसाद अथवा फलाहार ग्रहण किया जाता है. इस व्रत के द्वारा संतान और मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है.
पूर्णिमा तिथि योग
पूर्णिमा तिथि के दिन जब चन्द्र और गुरु दोनों एक ही नक्षत्र में हो, तो ऎसी पूर्णिमा विशेष रुप से कल्याणकारी कही गई है. इस योग से युक्त पूर्णिमा में दान आदि करना शुभ माना गया है. इस तिथि के स्वामी चन्द्र देव है. पूर्णिमा तिथि में जन्म लेने वाले व्यक्ति को चन्द्र देव की पूजा नियमित रुप से करनी चाहिए.
पूर्णिमा तिथि महत्व
इस तिथि के दिन सूर्य व चन्द्र दोनों एक दूसरे के आमने -सामने होते है, अर्थात एक-दूसरे से सप्तम भाव में होते है. इसके साथ ही यह तिथि पूर्णा तिथि कहलाती है. यह तिथि अपनी शुभता के कारण सभी शुभ कार्यो में प्रयोग की जा सकती है. इस तिथि के साथ ही शुक्ल पक्ष का समापन होता है. तथा कृष्ण पक्ष शुरु होता है. एक चन्द्र वर्ष में 12 पूर्णिमाएं होती है. सभी पूर्णिमाओं में कोई न कोई शुभ पर्व अवश्य आता है. इसलिए पूर्णिमा का आना किसी पर्व के आगमन का संकेत होता है.