जीवन में हर किसी की जिंदगी में किसी न किसी बात को लेकर कोई न कोई परेशानी लगी ही रहती है. परिवार, पैसा, प्यार ऎसे न जाने कितने कारण हैं जो कारण व्यक्ति की लाईफ में लड़ाई झगड़े का कारण बनते हैं. कई बार कुछ विवाद इतने लम्बे खिंच जाते हैं जिन्हें सुलझाने में व्यक्ति एक उम्र तक उनमें ही उलझा रह जाता है. ऎसे में उस व्यक्ति के साथ जुड़ हुए लोग भी परेशानी झेलते हैं.
ऎसे में कई बार प्र्श्न कुण्डली का सहार अभी लिया जाता है. जिससे काफी सटीक नतीजों पर पहुंचा जा सकता है. प्रश्नकर्त्ता का यह प्रश्न भी बहुतायत में पाया जाता है कि विवाद कब तक चलेगा? विवाद का फैसला किसके पक्ष में रहेगा. इन सभी प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए विवाद प्रश्न का सावधानीपूर्वक अध्ययन करना आवश्यक है. आईए विवाद की अवधि के बारे में अध्ययन करें और उन योगों को जाने जिससे विवाद की अवधि के बारे में जानकारी हासिल हो.
विवाद कब तक चलेगा
प्रश्न कुण्डली में जब व्यक्ति अपनी स्मस्या से संबंधित कोई प्रश्न करता है तो, जब उस व्यक्ति ने प्रश्न पूछा था उस समय और दिन की डेट और स्थान से प्रश्न कुण्डली का निर्माण होता है. इस प्रकार कुण्डली के निर्माण के बाद कुण्डली का विस्तार के साथ अध्ययन किया जाता है. प्रश्न कुण्डली में यदि कुछ महत्वपूर्ण योग बन रहे हों तो उनके आधार पर जातक की कुण्डली का फल बताया जाता है.
प्रश्न कुण्डली में अगर कुछ महत्वपूर्ण योग इस प्रकार बन रहे हों तो विवाह से संबंधित प्रश्नों को हल करने में सहायता मिल जाती है.
प्रश्न कुण्डली में यदि लग्नेश या सप्तमेश में से किसी एक का चन्द्रमा के साथ इत्थशाल योग हो रहा हो तो व्यक्ति के जीवन में चल रहा विवाद जल्दी ही समाप्त हो जाता है.
यदि प्रश्न कुण्डली के विवाद प्रश्न में लग्नेश अथवा सप्तमेश का चन्द्रमा से इशराफ हो तो इस योग के कारण विवाद लम्बी अवधि तक चल सकता है. इस कारण व्यक्ति को मानसिक और आर्थिक रुप से भी घाटा उठाना पड़ सकता है. विवाद सुलझाने में विलम्ब अधिक होता है.
प्रश्न कुण्डली में लग्नेश तथा सप्तमेश का शुभ इत्थशाल हो तो जल्दी ही शांति होती है. शुभ इत्थशाल से अर्थ है की शुभ ग्रहों का शुभ स्थान में योग बनना.
प्रश्न कुण्डली में लग्नेश तथा सप्तमेश में यमया या नक्त योग बन रहा हो जल्दी निबटेगा. यमया योग में प्रश्न कुण्डली में लग्नेश और कार्येश में इत्थशाल नहीं है लेकिन किसी अन्य धीरे जलने वाले ग्रह से दोनों का इत्थशाल हो तो यमया योग बनता है. इस योग में किसी वरिष्ठ-बुजुर्ग व्यक्ति की मदद से कार्य बन सकता है.वहीं नक्त योग भी किसी की मध्यस्था द्वारा कार्य की सिद्धि होने की बात को दर्शाता है.
प्रश्न कुण्डली में विवाद से जुड़े प्रश्न में कुण्डली में किसी भी भाव में दो पाप ग्रह स्थित हों और एक-दूसरे पर पूर्ण दृष्टि डाल रहें हों तो हिंसा के बाद और अधिक अशांति होगी. यदि दोनों पाप ग्रह द्वि-स्वभाव राशि में स्थित हों तो हिंसा अधिक होगी. पाप प्रभाव के कारण व्यक्ति को इन विवाद में बहुत अधिक तनाव की स्थिति भी झेलनी पड़ सकती है.
चन्द्रमा का इत्थशाल योग यदि मंगल के साथ है तो दोनों पक्षों में मारपीट होगी. यह स्थिति परेशानी और तनाव में वृद्धि करने वाली होती है. इस कारण गुट बाजी और संघर्ष की स्थिति भी अधिक बढ़ जाती है.
न्याय अथवा फैसला कैसा होगा
प्रश्न कुण्डली द्वारा विवाद के सुलझने कि तारीख और समय को भी जान सकने में बहुत अधिक सक्षम हो सकते हैं. किसी भी फैसले में अंतिम निर्णय कब तक आ सकेगा इस बात को प्रश्न कुण्डली से समझने में बहुत अधिक मदद मिल सकती है.
प्रश्न के समय यदि अधिकतर पाप ग्रह लग्न तथा दशम भाव में हो तो अदालत से नई तारीख मिलती है. वर्तमान तारीख पर फैसला नहीं होता है. इस समय के दौरान आपको अपने केस में डेट के आगे बढ़ते रहने की समस्या से सुलझन अपड़ सकता है.
प्रश्न कुण्डली में यदि दशमेश वक्री है तब भी फैसला वर्तमान तारीख पर नहीं होगा और कोर्ट के स हो या कोई अन्य तरीके से इस विवाह को सुलझाने की प्रक्रिया होती उसमें व्यक्ति को नई तारीख मिलने की संभावना अधिक रहती है.
लग्नेश अथवा सप्तमेश में से जिस भी ग्रह का इत्थशाल दशमेश से होगा, जज उसी का पक्ष लेगा.
प्रश्न के समय दशमेश यदि लग्नेश को देखता है तो प्रश्नकर्त्ता अन्यायी होता है. यदि दशमेश की दृष्टि सप्तमेश पर पड़ती है तब विरोधी पक्ष अन्यायी होगा. यदि द्वित्तीयेश या अष्टमेश का भी संबंध बन रहा है तब फैसले के लिए पैसे का लेन-देन हो सकता है.
प्रश्न कुण्डली में अगर कोई चोरी का प्रश्न हो और उस चोरी को सुलझाने के प्रश्न में यदि अष्टमेश तथा दशमेश का राशि परिवर्तन हो रहा हो तब ऎसी स्थिति में उच्च अधिकारी व्यक्ति भी उस चोरी में शामिल हो सकते हैं अर्थात वह चोर के समर्थ में हो कर उसके साथ मिल सकते हैं.
विवाद प्रश्न में यदि दशम भाव का स्वामी शनि तथा मंगल से दृष्ट हो तो न्याय, दण्डात्मक होगा. शनि न्यय करने वाले हैं ऎसे में कुण्डली में शनि की मजबूत स्थिति होने पर व्यक्ति को बेहतर न्याय मिलने की संभावना भी अधिक बढ़ जाती है.
यदि दशम भाव पर शनि तथा मंगल का एक साथ प्रभाव हो तो सजा कडी़ होगी. यदि चन्द्रमा का शुभ ग्रह से इत्थशाल है तब सजा अधिक कडी़ नहीं होगी.
विवाद प्रश्न में यदि चतुर्थ भाव में शुभ ग्रह हैं तो पूछने वाले के पक्ष में न्याय होगा.
प्रश्न कुण्डली में यदि बुध दशम भाव में स्थित है तो न्याय मिश्रित होगा. इस स्थिति में व्यक्ति न्याय को लेकर बहुत अधिक आशंकित हो सकता है.
प्रश्न कुण्डली में शुभ ग्रहों का शुभ स्थानों में होना बेहतर होता है. इस कुण्डली मे बृहस्पति, शुक्र या सूर्य दशम भाव में हैं या दशम भाव से इनका संबंध बन रहा है तो न्याय धर्म युक्त होगा. केवल सूर्य का संबंध बन रहा है तो थोडा़ दण्ड भी व्यक्ति को मिलेगा.
इसी तरह जब पप ग्रहों का प्रभाव प्रश्न कुण्डली पर अधिक रहता है तो विवाद किसी अच्छे पक्ष की ओर कम ही जाता है. राहु/केतु का संबंध प्रश्न कुण्डली से बन रहा है तो अन्याय होगा.