वोशी योग - सूर्यादि योग
सूर्य से बनने वाला एक महत्वपूर्ण योग है. वोशी योग एक बहुत ही शुभ योग है. इस योग का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में शुभता और सकारात्मकता लाने वाला होता है. इस योग का प्रभाव होने से जातक को सूर्य से प्राप्त होने वाले शुभ फल भी मिलते हैं.
सूर्यादि योगों में मुख्य रुप से वेशी योग, वोशी योग व उभयचारी योग बनते है. ये तीनों योग सूर्य के आस-पास के दोनों भावों में चन्द्र के अतिरिक्त अन्य कोई ग्रह होने पर बनते है. सूर्यादि योगों में विशेष बात यह है, कि इन योगों में चन्द्र ग्रह की स्थिति को योग निर्माण में शामिल नहीं किया जाता है.
वोशी योग कैसे बनता है
जब कुण्डली में चन्द्र के सूर्य से बारहवें स्थान या पिछले स्थान में कोई ग्रह हो तो इससे वोशी योग बनता है. इस भाव में किसी अन्य ग्रह के साथ चन्द्र भी स्थित हो तो योग भंग हो जाता है. वोशी योग शुभ योग है. इसलिए इस योग से प्राप्त होने वाले फल भी शुभ होते है.
वोशी योग फल
जिस व्यक्ति की कुण्डली में वोशी योग होता है. वह व्यक्ति अति धनवान होता है. साथ ही वह लोकप्रियता प्राप्त करता है. वोशी योग युक्त व्यक्ति स्थिर वाक्य वाला होता है. बडा परिश्रमी होता है. गणित विषय का जानकार होता है. जातक समाज में लोगों के मध्य लोकप्रियता पाता है. अपनों के प्रति उसके मन में स्नेह और लगाव होता है. जातक को सरकार और राज्य की ओर से भी जातक को शुभ फल मिलते हैं.
गुरु वोशी योग फल
गुरु से बनने वाला वेशी योग, गुरु वोशी योग कहलाता है. इस योग की स्थिति बहुत ही शुभ प्रभावदायक होती है. यह योग जातक को धर्म परायण एवं संस्कारों के प्रति निष्ठावान बनाता है. व्यक्ति अपने लोगों के प्रति आदर और प्रेम का भाव भी रखता है. जातक एक दृढ़ निश्चयी व्यक्ति होता है. अपने काम को करने की पूरी क्षमता भी वह रखता है. अपने काम को निष्ठा और सच्चाई के साथ करने की कोशिश भी करता है. जातक को अनेक वस्तु संचय करने का शौक होता है.
बुध वोशी योग फल
बुध की स्थिति से यदि वोशी योग बन रहा हो, तो वह बौद्धिकता और सूझ-बूझ के साथ काम करने वाला होता है. कई बार जातक को अपनी बुद्धि का घमंड भी होता है. वह अपने अहंकार के कारण बहुत सी गलतियां भी करता है. जातक में चालाकी होती है लेकिन वह दूसरों का अहित करने की इच्छा नही रखता. अपने कार्यों से समाज और इस दुनिया के प्रति समर्पण का भाव भी रखता है. व्यक्ति दूसरों की आलोचना प्राप्त करने वाला होता है. यह योग व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में कमी कर सकता है. स्वभाव से कोमल, विनयी होता है.
मंगल वोशी योग फल
मंगल से वोशी योग होने पर व्यक्ति परोपकारी होता है. जातक में मेहनत करने की योग्यता होती है. वह ऎसे काम करने में आगे रहता है जिसमें बाहुबल अधिक होता है. जातक में साहस होता है. वह निडरता के साथ काम करता है. जल्दबाजी में काम करने के कारण वह कई बार स्थिति को सही से समझ नहीं पाने के कारण गलतियां भी कर बैठता है. चोट इत्यादि लगने का डर अधिक बना रहता है.
शुक्र वोशी योग फल
शुक्र से बनने वाला वेशी योग जातक को सांसारिक चीजों के प्रति लगाव रखने वाला बना सकता है. जातक को कला के क्षेत्र में काम करने के मौके मिलते हैं. उसकी प्रतिभा किसी न किसी वस्तु को एक अलग ढंग से प्रस्तुत करने की कोशिशों में लगती है. जातक मिलनसार और सौम्य आचरण करने वाला होता है. जातक को आर्थिक क्षेत्र में लाभ मिलता है, मान सम्मान भी प्राप्त होता है. व्यक्ति की महत्वकांक्षाएं बहुत होती है. पर वह उन्हें शुक्र से वोशी योग का व्यक्ति डरपोक और कामी हो सकता है.
शनि वोशी योग फल
शनि से बनने वाला वोशी योग व्यक्ति को कुछ कठोर और व्यवहारिक बना सकता है. व्यक्ति अपने में अधिक रहन अपसंद कर सकता है. ऎसा योग विपरीत लिंग में अत्यधिक रुचि लेने वाला होता है. आयु से बडा दिखने वाला होता है. तथा उसे लोगों की बेरुखी और कई बार अपमान का सामना भी करना पडता है. व्यक्ति को अपने वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से परेशानी अधिक झेलनी पड़ सकती है. धार्मिक क्षेत्र में अग्रीण होता है और कर्म करने के प्रति भी प्रयासहील होता है. राज्य की ओर से अधिक सहयोग नहीं मिल पाता है.
निष्कर्ष :जातक की कुण्डली में बनने वाला वेशी योग ग्रह की शुभता और ग्रह के स्ट्रांग प्रभाव के कारण ही फल देने में समर्थ होता है. यदि ग्रह नीचस्थ है या फिर पाप प्रभाव में है वक्री है तो इन कारणों से जातक को वेशी योग का पूर्ण शुभ फल शायद नहीं मिल पाए. इस के विपरित यदि यह योग शुभ भावों में हो और ग्रह भी अपनी उच्च स्थिति में हो तो यह स्थिति जातक को शुभ प्रभाव देने में सक्षम होगी.
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- ⚫ कौलव करण