चतुष्पद करण
11 करणों में एक करण चतुष्पद नाम से है. चतुष्पद करण कठोर और असामान्य कार्यों के लिए उपयुक्त होता है. इस करण को भी एक कम शुभ करण की श्रेणी में ही रखा जाता है. ऎसा इस कारण से होता है क्योंकि अमावस तिथि के समय पर आने के कारण इसे गलत कार्यों की प्राप्ति के लिए अधिक उपयुक्त भी कहा गया है.
चतुष्पद में जन्मा जातक
चतुष्पद करण में जन्म लेने वाला व्यक्ति धार्मिक आस्था युक्त होता है. उसे धर्म-कर्म में विशेष रुचि होती है. वह देवता और शिक्षकजनों का सम्मान करता है. और अपने वरिष्ठजनों के अनुभव से लाभ उठाने का प्रयास करता है. ऎसे व्यक्ति को जीवन में वाहनों का सुख प्राप्त होता है. एक से अधिक वाहन वह प्राप्त करता है.
चतुष्पद करण में जन्म लेने वाले लोग शुभ संस्कारों से युक्त एवं धर्म कर्म आदि के प्रति आस्थावान होते हैं, शास्त्रों के अच्छे जानकार होते हैं. चीजों के प्रति तर्क को महत्व भी देते हैं. अपने ज्ञान को दूसरों तक देने की कोशिश भी करते हैं. रचनात्मक एवं कलात्मक गुणों से युक्त होते हैं. अपने से बड़ों से जानकारी ग्रहण करने से पिछे नही हटते हैं. भाग्य का सथ इन्हें मिलता है. चौपाया पशुओं से जातक को लाभ मिलता है.
इसके अतिरिक्त इस योग के व्यक्ति को भूमि-भवन के कार्यो से लाभ प्राप्त होता है. जानवरों कि देखभाल और क्रय-विक्रय से भी उसको उतम आमदनी प्राप्त हो सकती है. अपने बडों के प्रति आस्था और सम्मान भाव रखने के कारण उसे समय पर भाग्य का सहयोग प्राप्त होता है. इस करण में जन्म लेने वाला व्यक्ति मेहनत में कमी करें तो वह आजीविन निर्धन होता है.
चतुष्पद स्थिर सज्ञक करण
चतुष्पद करण को स्थिर करण कहा जाता है. यह चार पैरों वाले पशुओं का प्रतीक है. इसका भी फल सामान्य है और इसकी अवस्था सुप्त अर्थात निष्क्रिय मानी गई है.
चतुष्पद करण कब होता है
अमावस्या तिथि के पूर्वार्ध भाग में चतुष्पाद करण आता है. इस करण को भी शुभता की कमी के कारण ग्रहण नहीं क्या जाता है.
चतुष्पद करण में क्या काम नहीं करें
इस करण में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्यों को नहीं करने की सलाह दी जाती है. किसी भी नए काम की शुरुआत भी इस करण में नहीं करने की सलाह दी जाती है. इस करण अवधि मे कोई भी व्यापारिक कार्य प्रारम्भ करना शुभ नहीं माना जाता है. विवाह संस्कार या मंगनी, नामकरण, या भ्रमण इत्यादि काम इसमें अच्छे नही होते हैं.
चतुष्पद करण में क्या काम करें
इस करण के समय दान के कार्य उत्तम होते हैं. दान और मंत्र जाप करना बहुत उत्तम माना गया है. पुर्वजों के निम्मित किसी को खाने अथवा सामर्थ्य अनुसार वस्तु इत्यादि का दान करना अच्छा माना गया है. इस करण में किसी को प्रताड़ित करना, तंग करना, किसी का काम खराब करने की कोशिश इत्यादि कार्य अनुकूल कहे गए हैं.
अमावस्या को चतुष्पद करण होने के कारण इस समय पर कठोर एवं साधना से युक्त काम किए जा सकते हैं. तंत्र शास्त्रों का अध्य्यन करना, इसमें कार्य करना, तामसिक एवं मारण कर्म इत्यादि इस करण में किए जा सकते हैं. पशुओं को वश में करना उनसे काम करवाने के काम भी इस करण में किए जा सकते हैं. श्राद्ध कर्म यानी तर्पण आदि काम भी चतुष्पद करण में किये जाते हैं, इसमें ये अनुकूल और शुभ माने गए हैं.
चतुष्पद करण कार्यक्षेत्र
चतुष्पद करण में व्यक्ति को चिकित्सा क्षेत्र में विशेष योगदान होता है. इसके अतिरिक्त इस योग के व्यक्ति को भूमि-भवन के कार्यो से लाभ प्राप्त होता है. जानवरों कि देखभाल और क्रय-विक्रय से भी उसको उतम आमदनी प्राप्त हो सकती है. अपने बडों के प्रति आस्था और सम्मान भाव रखने के कारण उसे समय पर भाग्य का सहयोग प्राप्त होता है. इस करण में जन्म लेने वाला व्यक्ति मेहनत में कमी करें तो वह आजीविन निर्धन होता है.