12th भाव क्या है. | Vyay Bhava Meaning | Dwadasha House in Horoscope | 12th House in Indian Astrology

द्वादश भाव मोक्ष स्थान है, इस भाव से व्यक्ति के व्यय देखे जाते है. यह भाव हानियां, व्यय, बायीं आंख, व्यर्थ के अपव्यय, मोक्ष, यौनानन्द, विदेश यात्रायें, गुप्त शत्रु, पाप, अपना स्थान छोडना, बैरियों से भय, मृ्त्यु के उपरान्त की स्थिति, पंजे, नींद में भटकना, विदेश में रहना, साझेदार को परेशानियां, शयन का सुख और शयन से पीडा, मानसिक चिन्तायें, खोई हुई चीज जो पुन: प्राप्त नहीं हो, सकती है. 

नौकरी का समाप्त होना, अस्पताल में भर्ती होना, ऋणों से मुक्ति, पत्नी को खौना, व्यक्ति की मृ्त्यु, त्याग की क्षमता, विवाद, दुर्भाग्य, उद्वार दिखना, अस्पताल, जेल, यात्रायें, खर्चीलें, व्यवसाय,जब्त होना, कारावास, रुकावटें, बन्धन, अलौकिक विषय, विदेश मेंजीवन, अनाथाश्रम, दैवीय ज्ञान, भक्ति, विदेश में नौकरी, सेवा निवृ्ति. 

व्यय भाव का कारक ग्रह कौन सा है. | What are the Karaka Planets of 12th Bhava   

व्यय भाव का कारक शनि है. द्वादश भाव में शनि शोक भाव पृ्कट करते है. मंगल द्वादश भाव से कारगार, शुक्र भौतिक अभिलाषायें, गुरु-ज्ञान, केतु-मोक्ष, राहू-विदेश विदेश यात्राओं का सूचक है.

द्वादश भाव से स्थूल रुप में किस विषय का विश्लेषण करता है. | What does the House of Expenditure  Explain.  

 द्वादश भाव से स्थूल रुप में व्यक्ति की हानियों का विश्लेषण किया जाता है.  

द्वादश भाव से सूक्ष्म रुप में किस विषय का विचार किया जाता है. | What does the House of Expenditure accurately explains.

द्वादश भाव व्यक्ति की विदेश यात्राओं का निरीक्षण करने के लिए प्रयोग किया जाता है.   

द्वादश भाव से कौन से संबन्ध देखे जाते है. | 12th House represents which  relationships 

द्वादश भाव से व्यक्ति के गुप्त शत्रुओं का विश्लेषण किया जाता है  

द्वादश भाव शरीर के कौन से अंगों का कारक भाव है. | 12th House is the Karak House of which body parts. 

द्वादश भाव को पंजें, बायां भाग, जननेन्द्रियों का विश्लेषण करने के लिए प्रयोग किया जाता है. द्रेष्कोणों के अनुसार यह् भाव बायीं आंख, बायां कन्धा, गुदा आदि दर्शाता है.  

द्वादश भाव में द्वादशेश होने पर व्यक्ति को किस प्रकार के फल प्राप्त होते है. | 12th Lord placsed in 12th House 

द्वादश भाव में द्वादशेश हो तो व्यक्ति धनवान होता है. उसमें अत्यधिक व्यय करने की प्रवृ्ति पाई जाती है. इस योग के व्यक्ति की शारीरिक क्षमता कमजोर होती है. स्वभाव में चिडचिडापन पाया जाता है. इसके साथ ही वह सुखों का प्रेमी होता है. आयु बढने पर वह कंजूस हो सकता है. उसे धन- सम्पति से अच्छा लाभ प्राप्त हो सकता है.

व्यक्ति को शयन सुख में आनन्द का अनुभव प्राप्त होता है. इसके साथ ही उसके व्यय धार्मिक और परोपकारी उद्देश्यों पर होते है. इस योग से युक्त व्यक्ति अपनी संतान से अप्रसन्न रहता है. वह अशान्त चित, और घूमने का प्रेमी होता है. उसे पाप युक्त कार्य करने में रुचि हो सकती है. व्यक्ति की आंखों की दृ्ष्टि उत्तम होती है. 

बारहवें भाव और बारहवें भावेश के साथ किस प्रकार के योग बनते है.  | 12th Lord Privartan Yoga Results  

जब कुण्डली में लग्नेश बारहवें भाव से, दूसरे भाव में एक अशुभ ग्रह और दशमेश एकादशेश की युति या दृ्ष्टि हो तो व्यक्ति को लिए गये ऋणों से परेशानी होती है. 

द्वितीयेश अस्त या अशुभ ग्रहों के साथ युति में या आंठवें भाव में हो, तब भी व्यक्ति को ऋण संबन्धी परेशानी रहती है.  

एकादशेश और द्वितीयेश दोनों नीच के और अशुभ होकर स्थित हों तब भी व्यक्ति आर्थिक कारणों से ऋण लेता है. 

लग्नेश की छठे, आंठवें या बारहवें भाव में एक अशुभ ग्रह से युति या त्रिक भाव के स्वामी से दृ्ष्ट, होने पर व्यक्ति को ऋण लेने के बाद परेशानियों का सामना करना पडता है. 

पंचमेश लग्न में बिना किसी शुभ दृ्ष्टि के प्रभाव में हों तो ऋण लेने के स्थिति का सामना करने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.  

लग्नेश अस्त और शत्रु या नीच राशि का या छठे, आंठवें या बारहवें भाव में या त्रिक भाव के स्वामी से दृ्ष्ट होने पर व्यक्ति को अपने परिवार के लिए ऋण लेना पडता है.

जब कुण्डली में दूसरे, पांचवें, नवें और बारहवें भाव में अशुभ ग्रह स्थित हों, तो व्यक्ति को जीवन में कभी किसी कारण वश कारावास में रहना पड सकता है. 

जब कुण्डली में नैसर्गिक शुभ ग्रह द्वादशेश हो, तथा बली अवस्था में स्थित हों, तो व्यक्ति को विदेश स्थानों की आय से धन-सम्पति प्राप्त करने में सफलता मिलती है.