किंस्तुघ्न करण
किंस्तुघ्न करण को कौस्तुभ करण के नाम से भी जाना जाता है. इस करण की महत्ता किसी भी शुभ योग का साथ पाकर और भी बढ़ जाती है. शुक्ल पक्ष की पहली तिथि प्रतिपदा को जब दिन के समय किंस्तुघ्न करण के साथ कोई शुभ योग आए जैसे की हर्ष इत्यादि हो तब यह योग प्रबलता से शुभ फल देता है. शुभ कार्यों को करने के लिये यह करण ग्राह्य है.
किंस्तुघ्न करण कब होता है
शुक्लपक्ष प्रतिपदा के पूर्वार्द्ध में किंस्तुघ्न नामक करण होता है. यह समय नए काम करने और नवीन चीजों के निर्माण को दिखाता है. इस समय को उज्जवल रुप से लिया जाता है, क्योंकि अंधकार के पश्चात प्रकाश का आगमन इसी के साथ आरंभ होता है. यह नव जीवन की प्रेरणा देता है.
किंस्तुघ्न करण - स्वामी
किंस्तुघ्न करण के स्वामी देव वायु हैं. वायु देव की प्रभाव क्षमता हमे इस करण में भी दिखाई देती है. इनके प्रभाव से ये करण तीव्रगामी फल देने वाला होता है. जिस जातक का जन्म इस करण में हुआ हो, और उस व्यक्ति को जीवन में होने वाली विफलताओं से बचने के लिए वायु देव की पूजा करनी चाहिए. यदि जातक किसी प्रकार के शारीरिक कष्ट से परेशान है तो वायु देव की उपासना करे. करण स्वामी की उपासना से देव प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
किंस्तुघ्न करण - स्थिर संज्ञक करण
किंस्तुघ्न करण स्थिर संज्ञक करण और ध्रुव करण कहलाता है. यह करण ऊपर की ओर स्थिति प्राप्त करने वाला होता है. इसमें जातक को जीवन में सदैव आगे बढ़ने की उन्नती की प्रेरण भी मिलती है. इस करण का प्रभाव जोश और उत्साह को बनाए रखने वाला होता है.
किंस्तुघ्न करण में जन्मा जातक
किंस्तुघ्न करण में जिस व्यक्ति का जन्म हो, वह व्यक्ति शुभ कार्यो को करने के लिए तत्पर रहता है. वह अपने पुरुषार्थ से अपने जीवन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल रहता है. तथा इस योग के व्यक्ति के द्वारा किए गये सभी प्रयास सफल होते है. जीवन की अभीष्ट सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए उसे अपनी धार्मिक आस्था को बनाये रखना चाहिए, तथा धर्म कर्म के कार्यो के लिए समय निकालने के साथ साथ अपने पिता का आशिर्वाद समय समय पर प्राप्त करते रहना चाहिए.
जातक शत्रुओं से घबराता नही है वह अपने साहस के बल पर काम करता है और उन्हें परास्त भी कर सकता है. मित्र की सहायत अके लिए भी सदैव आगे रहता है. जातक मनमौजी किस्म का हो सकता है. खेल कुद में रुचि रखने वाला और प्रसन्नता के साथ जीवन को जीने की कोशिशों में लगा रहने वाला होता है.
किस्तुघ्न करण कार्य
सभी प्रकार के शुभ कार्यों के लिए अनुकूल माना जाता है. इस करण के दौरान व्यक्ति ऎसे कामों को कर सकता है जो किसी कारण से रुके पड़े थे. यह करण अवरोध से मुक्ति देता हुआ आगे की ओर प्रस्थान करने की शिक्षा ही देता है. इस करण में जातक जोश के साथ अपने कामों को करता है.
इस करण के समय देव पूजा के कार्य, जप, तप, दान इत्यादि काम भी इस करण के समय पर किए जा सकते हैं. इस करण में कठिन से कठिन कार्य सरलता पूर्वक हो जाते हैं.