गरूड -करिका-ध्वजा-चन्द्रादि योग | Garuda Yoga | Chandradhi Yoga | Karika Yoga | How is Dhwaja Yoga Formed
कुण्डली में अशुभ योग जितने कम हो, उत्तम रहता है, और शुभ योग अधिक हो तो व्यकि के धन, संपति, और सुख में वृ्द्धि करते है. शुभ योग अधिक होने से अशुभ योगों भी कई बार निष्क्रय हो रहे होते है. शुभ योगों की श्रेणी में से एक योग है. गरूड योग.
गरूड कैसे बनता है. | Garuda Yoga Results
जब व्यक्ति का दिन का जन्म हो, चन्द्र शुक्ल पक्ष का हो, व नवांश कुण्ड्ली में चन्द्र राशिश उच्च स्थान प्राप्त हो, तो गरूड योग बनता है. गरुड योग में जिस व्यक्ति का जन्म हुआ हो, वह अच्छे संस्कारों से युक्त होता है. सात्विक विचारों वाला और मृ्दुभाषी होता है. इसके साथ ही वह शक्तिशाली तथा दृढ संकल्प शक्ति युक्त होता है. उसके इस गुण के कारण उसके विरोधी उससे घबराते है. इस योग के व्यक्ति पर विषैले पदार्थों का शीघ्र प्रभाव होने की संभावना रहती है.
चन्द्राधि योग | Chandradhi Yoga
चन्द्राधि योग चन्द्र और अन्य तीन ग्रहों के योग से बनता है. इस योग का निर्माण शुभ ग्रहों से होने के कारण इस योग से मिलने वाले फल भी शुभ होते है. एक अन्य मत के अनुसार चन्द्राधि योग बुध, शुक्र और गुरु से बनता है. इसमें बुध छठे, शुक्र सांतवें और गुरु आंठवें भाव में होने पर यह योग बनता है.
चन्द्राधि योग कैसे बनता है | How is Chandradhi Yoga Formed
जब चन्द्रमा से छठे, सांतवें और आंठवें स्थान में शुभ ग्रह हो तो चन्द्राधि योग बनता है. चन्द्राधी योग वाला व्यक्ति सरकारी विभाग में उच्च स्थान प्राप्त करने में सफल रहता है. इस योग से युक्त व्यक्ति में जीवन की विपरीत परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता सामान्य से अधिक पाई जाती है. यह योग व्यक्ति को उच्च पद, अप्रत्याशित लाभ और प्रतियोगियों पर विजय प्राप्त करने में सहयोग करता है.
कारिका योग | Karika Yoga
किसी भी व्यक्ति की कुण्डली में बनने वाले योगों के फल, संबन्धित ग्रहों की दशा अवधि में प्राप्त होते है. कभी-कभी यह भी देखने में आता है, कि व्यक्ति की कुण्डली में उत्तम राजयोग व धन योग होते है, पर इन ग्रहों की दशा प्राप्त न होने के कारण व्यक्ति इन शुभ योगों का लाभ नहीं उठा पाता है.
कारिका योग फल | Karika Yoga Results
जब कुण्डली में ग्यारहवें अथवा दशम में अथवा लग्न के सामने अर्थात सप्तम भाव में सभी ग्रह हो, तो कारिका योग बनता है. कारिया योग से युक्त व्यक्ति अगर प्रकृ्ति से नीच भी हो तो तब भी वह उच्च पद प्राप्त करता है. तथा जिस भी क्षेत्र में वह कार्य कर रहा होता है, उस क्षेत्र में उसे उच्च स्थान प्राप्त होने के योग बनते है.
कारिका योग एकादस भाव में बने तो व्यक्ति को आय क्षेत्रों में सहयोग प्राप्त होता है. यह योग दशम भाव में बनने पर व्यक्ति को कैरियर के क्षेत्र में सफलता मिलती है, परन्तु यह योग लग्न भाव में बने तो व्यक्ति को इस योग से मिलने वाले फल स्वास्थय संबन्धी होते है.
व सप्तम भाव में कारिका योग बनने पर व्यक्ति को व्यापार और वैवाहिक जीवन में सहयोग प्राप्त होता है.
ध्वज योग | Dhwaja Yoga
ध्वज योग से युक्त व्यक्ति को एक कुशल नेता बनाने में सहयोग करता है. यह योग अपने नाम के अनुसार व्यक्ति को जिम्मेदारियों रुपी ध्वजा उठाये रख, आगे रहने की योग्यता देता है.
ध्वज योग कैसे बनता है | How is Dhwaja Yoga Formed
कुण्डली में अगर आंठवें स्थान में सभी क्रूर ग्रह हो, तथा लग्न में सभी सौम्य ग्रह हो, तो ध्वज योग बनता है. यहां क्रूर ग्रर्हों में सूर्य, राहू, केतु, शनि, मंगल को शामिल किया गया है. तथा शेष सभी ग्रह सौम्य ग्रह माने गए है.
इस योग से युक्त व्यक्ति अपने वर्ग का नेता है, उसमें नेतृ्त्व करने की योग्यता होने के साथ साथ उत्तम नायक के गुण भी होता है. जिस भी क्षेत्र, वर्ग या सभा में होता है, वही आकर्षण का केन्द्र होता है. सफलता और उन्नति के पक्ष से यह शुभ योग है. इस योग से मिलने वाले फल शुभ रुप में व्यक्ति को प्राप्त होते है. अष्टम भाव में क्रूर ग्रह होने और लग्न भाव में सौम्य ग्रहों का प्रभाव होने के कारण यह योग व्यक्ति की आयु में भी बढोतरी करने में सहयोग करता है. इस योग से स्वास्थय सुख भी प्रबल होता है.