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वक्री मंगल कर्क राशि में नव ग्रहों में मंगल को जोश और साहस का ग्रह माना जाता है. मंगल जब भी गोचर में बदलाव करता है उसका असर सभी पर होता है. जब मंगल कर्क राशि में वक्री होता है तो ये स्थिति मिलेजुले असर दिखा सकती है. कुछ
सिंह लग्न के लिए बाधक ग्रह और उसका प्रभाव सूर्य सिंह लग्न को शक्ति प्रदान करता है, जो स्वयं में केन्द्रित होने से ही मिलती है. सिंह लग्न के लिए नवम भाव बाधक बनता है और नवम भाव का स्वामी बाधकेश बनता है. सिंह लग्न में
कुंडली में ग्रह राशि भाव दृष्टि सूत्र ज्योतिशष में ग्रहों की दृष्टि विशेष प्रभाव रखती है. राशि दृष्टि को समझ कर कुंडली के मुख्य पहलूओं पर विचार कर पाना संभव होता है. ग्रह दृष्टि का प्रभाव विशेष प्रभाव देता है. ग्रह
कर्क लग्न के लिए बाधक शुक्र और बाधकेश प्रभाव कर्क लग्न के लिए बाधक शुक्र बनता है. शुक्र कर्क लग्न के लिए बाधकेश होता है. शुक्र एक अनुकूल शुभ ग्रह होने पर भी कर्क लग्न के लिए बाधक का काम करता है. शुक्र की स्थिति कई
मिथुन लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्ति के लिए सातवां भाव बाधक बनता है. मिथुन लग्न के लिए सातवें भाव का स्वामी बाधकेश हो जाता है. गुरु का प्रभाव अनुकूल होने पर भी बाधक के कारण वह अपना संपूर्ण प्रभाव देने में सक्षम नहीं
वृषभ लग्न की कुंडली में बाधकेश शनि का प्रभाव वृषभ लग्न के लिए नवम भाव बाधक का काम करता है. नवम भाव का स्वामी बाधकेश कहलाता है. बाधकेश के रुप में भाग्य भाव की स्थिति कुछ अलग तो लगती है लेकिन इसका प्रभाव बाधक बन ही जाता
शनि वृश्चिक राशि वालों के लिए तीसरे और चतुर्थ भाव का स्वामी ग्रह है. मीन राशि में शनि का प्रवेश होने पर यह यह वृश्चिक राशि वालों के पंचम भाव में गोचर करता है. शनि का वृश्चिक राशि वालों के लिए केन्द्र भाव के स्वामी होते
मेष लग्न के लिए बाधक ग्रह मेष लग्न के लिए ग्यारहवां भाव बाधक भाव होता है और इस भाव का स्वामी शनि होता है. शनि यहां बाधक ग्रह की भूमिका निभाता है. शनि की दशा या अंतर्दशा के दौरान व्यक्ति को करियर, आर्थिक स्थिति और
मीन लग्न के लिए बाधक ग्रह सातवें भाव का स्वामी होता है. सातवें भाव में आने वाली कन्या राशि का स्वामी बुध मीन लग्न के लिए बाधक का काम करता है. मीन लग्न के लिए बुध की स्थिति बाधक के रुप में अपना असर दिखाती है. बाधक की
मीन राशि में अब शनि का गोचर लाएगा शनि साढ़ेसाती और शनि ढ़ैया प्रभाव. शनि लोगों के सामने आने वाले कल की रुपरेखा रखेगा. नई जिम्मेदारियों को संभालने और योजनाओं को क्रियान्वित करने का आत्मविश्वास देगा. मीन में जब शनि कुंभ
दूसरे भाव में चंद्रमा : धनवान योग कुंडली के दूसरे भाव में चंद्र चंद्रमा की शुभता हर भाव को विशेष बनाती है. चंद्रमा का प्रभाव कुंडली में वो स्थान रखता है जिसके द्वारा कुंडली को बल मिलता है. कुंडली में दूसरे भाव का
मीन राशि स्वामी बृहस्पति का गोचर वार्षिक राशिफल के लिए होता है बेहद विशेष. बृहस्पति की स्थिति के अलावा अन्य ग्रहों का गोचर करियर से लेकर जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर डालेगा अपना असर. इस समय नौकरी में बदलाव के साथ साथ घर
कुंभ राशि वालों के लिए यह वर्ष नई उड़ान भरने का और अपने सपनों को पूरा करने का समय होगा. यह आपके लिए एक रोमांचकारी वर्ष हो सकता है. वैसे शनि का प्रभाव आप पर रहेगा साढ़ेसाती आप पर असर डालने वाली है लेकिन अब इस साल से
मकर राशि अपने व्यक्तित्व और दृढ़ता के लिए जानी जाती है. इस राशि के जातकों दक्षता और कुशलता बेहतरीन होती है. मकर राशि शनि के प्रभाव की राशि और इसी कारण 2025 इन राशियों के लिए होने वाला है बेहद विशेष. इस बार एक बार फिर से
धनु राशिफल बृहस्पति की राशि है. यह एक बेहद ही आकर्षक, एकाग्र, परिश्रमी और साहस से ओत-प्रोत राशि है. गुरु का गोचर जब भी बदलाव में आता है धनु राशियों के लिए विशेष परिणाम देने वाला होता है. इस साल भी गुरु एक राशि से निकल
ज्योतिष में कई भाव मंगल ग्रह के लिए खास माने गए हैं. मंगल की स्थिति जिन भावों में होती है उस अनुरुप फल मिलते हैं, लेकिन जब मंगल कुछ खास भाव स्थान में होता है तब उसका फल बिलकुल ही अलग तरह से मिलता है. दूसरे भाव में मंगल
वृश्चिक राशिफल 2025 : गुरु और राहु का असर देगा बदलाव के संकेत वृश्चिक राशिफल राशि चक्र की आठवीं राशि है. वृश्चिक राशि के लिए नए साल की शुरुआत बेहद विशेष होती है. इस साल काम को करने के लिए कमर कस लेने की आवश्यकता होगी.
तुला राशि बेहद आकर्षक एवं प्रतिभाशाली राशि है. इस राशि के स्वामी शुक्र हैं और इस तुला राशि के लिए शनि देव योगकारक होते हैं. शुक्र के स्वामित्व वाली तुला राशि के लिए इस साल का समय अच्छा रहेगा. इस साल तुला राशि वाले अपने
कन्या राशि राशि चक्र में छठे स्थान पर आती है, कन्या राशि के स्वामी बुध हैं और बुध का प्रभाव ही कन्या राशि के लिए विशेष होता है. वार्षिक राशिफल के अनुसार बुध ग्रह की स्थिति, बुध के वक्री अस्त मार्गी, उदय, होने वाले
सिंह राशि सूर्य के स्वामित्व की राशि है ओर बेहद प्रभावशालि राशियों कि श्रेणी में स्थान पाती है. सिंह राशि वालोम के लिए वार्षिक राशिफल की स्थिति राशि स्वामी सूर्य की स्थिति के साथ साथ अन्य ग्रहोम के गोचर पर निर्भर करती
कर्क राशि के लिए शनि सातवें भाव और आठवें भाव का स्वामी है. यह आपकी जन्म कुंडली में नवम भाव (भाग्य भाव) में प्रवेश करेगा. शनि को सभी 12 राशियों का चक्कर लगाने में लगभग 30 वर्ष लग जाते हैं. अब समय आ गया है कि यह ग्रह अपनी
मिथुन राशिफल 2025 मिथुन राशि बुध के स्वामित्व की राशि है. नए वर्ष की स्थिति में बुध की स्थिति एवं अन्य ग्रहों के साथ बुध के युति योग के अलावा दृष्टि योग का असर भी राशिफल में अपनी खास भूमिका दिखाए. राशि चक्र की इस तीसरी
ज्योतिष के क्षेत्र में, कई तरह के योग काम करते हैं. इनका असर मानव जीवन पर गहराई से पड़ता है. इसका असर ही समझ को आकार देती हैं. ऐसी ही एक अवधारणा दिलचस्प 'सम सप्तम योग' है, जो ग्रहों का एक शक्तिशाली संरेखण है जो किसी
ज्योतिष में, लग्न की स्थिति व्यक्ति के लिए बेहद महत्व रखती है. लग्न का असर जीवन के सूक्ष्म से सूक्ष्म कार्य पर भी अपना विशेष असर डालता है. लग्न आपके सेहत, आपके विचारों आपकी काम करने की इच्छा, आप क्या सोच रहे हैं कैसे
जीवन में धन की स्थिति को लेकर हर कोई किसी न किसी रुप में प्रयासरत देखा जा सकता है. आर्थिक प्रगति की इच्छा सभी के भीतर मौजूद रहती है. लेकिन हर कोई एक जैसी स्थिति को नहीं पाता है. कहीं धन की कमी इतनी बनी रहती है कि
कुंडली में मौजूद आपके लिए शुभ है या अशुभ इस बात को जानने के लिए जरुरी है की, इसके द्वारा मिलने वाले प्रभावों को समझ लिया जाए. शुक्र के कारक तत्वों की प्राप्ति जीवन में किस रुप में होती है उसके द्वारा इस बात को जान पाना
ग्रहों की शक्ति कई तरह से हमारे समक्ष हम कई तरह के सूत्रों को उपयोग में लाते हैं. ग्रहों की शक्ति के लिए नवमांश कुंडली भी एक बेहद मजबूत सूत्र की तरह काम करता है. वैदिक ज्योतिष में अत्यधिक महत्व दिया गया है. प्रत्येक
ज्योतिष के अनुसार कई ऎसे योग हैं, जिनके अनुसार व्यक्ति की संतती के बारे में जाना जा सकता है. शादी के बाद किसी भी व्यक्ति के जीवन में वंश वृद्धि का प्रयास बना रहता है. कई दंपतियों को समय पर अपनी संतान का सुख मिल जाता है
ज्योतिष में बुध की स्थिति हमारे संचार, बुद्धि और अनुकूलन क्षमता के लिए बहुत विशेष होती है. संचार और मानसिक कौशल पर इसका बेहतरीन नियंत्रण होता है. बुध व्यक्ति के सोचने और काम करने की प्रवृत्ति को गहराई से प्रभावित करने
मकर लग्न शनि के स्वामित्व का लग्न है, इस लग्न के प्रभाव में जब जो ग्रह आता है वह अपने भाव स्वामित्व के आधार पर असर दिखाता है. इस लग्न के लिए शुक्र पंचम और दशम का स्वामी है इस कारण से ण शुक्र मकर लग्न के लिए राजयोग कारक
वैदिक ज्योतिष में ग्रहों की स्थिति बहुत असर दिखाती है. सभी ग्रह कुंडली में अपनी अपनी स्थिति के अनुसार परिणाम दिखाते हैं. कुछ ग्रह कुंडली में शुभ ग्रह दिखाते हैं तो कुछ ग्रह खराब फल देते हैं. वहीं कुछ ग्रह अपनी अवस्था के
दान करने के लिए प्रत्येक ग्रह से जुड़ी चीजों का ज्ञान होना बहुत जरूरी है. यदि ग्रह की शांति के लिए दान करना शुभ है तो कई बार दान की स्थिति नकारात्मक फलों को भी देने वाली हो जाती है. इसके लिए जरूरी है की समझा जाए कि दान
कन्या लग्न के प्रभाव से व्यक्ति में संघर्षों से लड़ने की क्षमता होती है. यह राशि पृथ्वी तत्व की राशि मानी जाती है इसलिए यह परिस्थिति से उबरने में सक्षम होती है. बुध इसके लग्न का स्वामी होता है. बुध बौद्धिक क्षमता का
बुध के साथ चंद्रमा की युति दो शुभ ग्रहों की युति का योग होती है. चंद्रमा और बुध दोनों को ही ज्योतिष शास्त्र में शुभ ग्रहों के रुप में देखा जाता है. इसके अलावा इन दोनों ग्रहों का आपसी संबंध भी बहुत विशिष्ट माना गया है.
शुक्र के सिंह राशि में प्रवेश के साथ ही कई तरह के बदलाव सभी को दिखाई देंगे. सिंह राशि में शुक्र का प्रवेश नई संभावनाओं को देने वाला होगा. जिस समय शुक्र सिंह राशि में गोचर करेगा उस समय एक प्रकार की सौम्यता की कमी दिखाई
ज्योतिष शास्त्र आपको आपके भावी पति-पत्नी के स्वभाव और विशेषताओं को देखने में मदद करता है और यह आपको यह जानने में भी मदद करता है कि आपका अपने पति या पत्नी के साथ किस प्रकार का संबंध होगा. ज्योतिष शास्त्र के पास कुंडली से
विवाह मिलान से जुड़े ज्योतिषीय नियमों में एक नियम भकूट भी है. भकूट का उपयोग वैवाहिक सुख को देखने हेतु विशेष रुप से किया जाता है. विवाह मिलान में भकूट मिलान का बेहद महत्व होता है. भकूट की स्थिति पर ध्यान देते हुए दोनों
कुंडली में अस्त ग्रह की स्थिति कई मायनों में असर दिखाती है. अस्त अगर शुभ ग्रह हुआ है तो उसके फल पाप ग्रह के अस्त होने से विपरित होंगे. अस्त ग्रह सामान्य रह सकता है तो कहीं वह विद्रोह की स्थिति को भी दिखाता है. अपने
ज्योतिष शास्त्र कहता है कि राज योग एक ऐसा योग है जो व्यक्ति को राजा जैसा भाग्य प्रदान करता है, इस कारण से ही इसे राजयोग कहा गया है. जिसकी कुंडली में यह योग होता है उस व्यक्ति को कई तरह के फल प्राप्त होते हैं. लेकिन
अष्टकवर्ग में त्रिकोण शोधन एक महत्वपूर्ण शोधन होता है. यह ग्रह की स्थिति एवं उसकी क्षमता को दर्शाता है. अष्टकवर्ग के सिद्धांतों का सही प्रकार से उपयोग करने के बाद कुण्डली की विवेचना करने में ओर उसके परिणाम समझने में
कर्क लग्न को एक अत्यंत ही शुभ लग्न के रुप में जाना जाता है. यह चंद्रमा के स्वामित्व की राशि का लग्न होता है. इस पर चंद्रमा के गुणों के साथ राशि गुणों का भी गहरा असर देखने को मिलता है. कर्क लग्न में ग्रहों की दशाओं का
नक्षत्रों की भूमिका को ज्योतिष में बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. यदि ज्योतिष में कृष्णमूर्ति पद्धिति की बत की जाए तो उसमें नक्षत्रों का ही बोलबाला रहा है. हर प्रकार की भविष्यवाणि में नक्षत्र की स्थिति अत्यंत विशेष स्थान
वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा का महत्व बहुत ही व्यापक रुप से माना गया है. यह मन, भावना, संवेदनशीलता को सबसे अधिक प्रभावित करने वाला ग्रह है. सूर्य के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण ग्रह चंद्रमा माना जाता है. यह दोनों कुंडली की
करियर किसी भी क्षेत्र में हो उसमें सफलता की चाह ओर एक अच्छी प्रगत्ति को पाने का संघर्ष सभी के द्वारा जारी रहता है. ऎसे में कौन सा करियर विकल्प रुचियों के अनुरूप हो और उसमें सफलता का प्रयास भी सकारात्मक रुप से मिल पाए
कुंडली में यदि आठवें भाव को एक चुनौतिपूर्ण स्थान माना गया है वहीं शनि की आठवें भाव उपस्थिति को बेहद अनुकूल माना गया है. वैदिक ज्योतिष में एक विशेष स्थान माना जाता है. आठवां घर परंपरागत रूप से परिवर्तन, मृत्यु, छिपे हुए
कारकांश आत्मकारक और नवमांश का आपसी संबंध दर्शाता है. इस कुंडली की मजबूती और नवांश की शक्ति के आपसी संबंध की भी व्याख्या करने वाला होता है. कारकांश D9 में वह राशि है जहां D1 का आत्मकारक ग्रह स्थित है, जिस प्रकार नवांश
मीन लग्न में सभी ग्रहों का प्रभाव मीन लग्न को एक शुभ, कोमल उदार लग्न के रुप में जाना जाता है. मीन लग्न का स्वामी बृहस्पति होता है जो ज्ञान का सूचक है. इस लग्न में जन्मे व्यक्ति का व्यवहार एवं गुणों पर मीन राशि के गुण और
राहु एक ऎसा छाया ग्रह है जो अपनी शक्ति के द्वारा किसी भी ग्रह को प्रभावित कर पाने में सक्षम होता है. यह एक ऎसा ग्रह है जिसका असर व्यक्ति के जीवन में उन घटनाओं को लाने के लिए जिम्मेदार होता है जिनके होने पर जीवन में हर
ज्योतिष अनुसार स्वास्थ्य के विषय में कई तरह के मुद्दों को समझ पाना संभव होता है. यदि सेहत अच्छी हो तो व्यक्ति एक लम्बी आयु का सुख अच्छे स्वास्थ्य के रुप में देख पाता है. स्वास्थ्य ही धन है, अच्छे स्वास्थ्य के बिना, कुछ
बुध को वैश्य वर्ग का माना गया है, अर्थात व्यापार से संबंधित ग्रह के रुप में बुध को विशेष रुप से देखा जाता है. बुध की स्थिति कुंडली में एक अच्छे वाणिज्य को दर्शाने वाली होती है. बुध एक ऎसा ग्रह है जो बिड़ पर अपना गहरा
आत्मकारक ग्रह जीवन में इच्छाओं के साथ आकांक्षा को दर्शाता है. यह ग्रह मुख्य ग्रह है जिसके माध्यम से कुंडली के अन्य ग्रहों के बल का आंकलन किया जाता है. यदि आत्मकारक कमजोर या पीड़ित है, तो जीवन में गलत निर्णय अधिक हो सकते
शनि का प्रभाव प्रत्येक लग्न के लिए विशेष होता है. किसी लग्न में शनि बेहद खराब हैं तो किसी के लिए बेहद उत्तम होते हैं वहीं किसी के लिए सम भाव के साथ दिखाइ देते हैं. अब शनि हम पर कैसा असर डालता है वह कई बातों के आधार से
छठे भाव में सूर्य आपको संघर्षों को सुलझाने और शत्रुओं पर विजय दिलाएगा. आप अपने प्रतिस्पर्धियों के साथ विलय करेंगे और सौहार्दपूर्ण तरीके से एक साथ काम करेंगे. छठे भाव में स्थित सूर्य आपको संघर्षों को सुलझाने और शत्रुओं
तीसरे भाव में सूर्य का होना प्रबलता का सूचक होता है यह सुखद स्थिति कहीं जा सकती है. एक नियम के रूप में, तीसरे भाव में सूर्य वाले लोग बहिर्मुखी होते हैं, लेकिन इनका अंतर्मन इतना प्रबल होता है की इनके भीतर को जान पाना
सूर्य की स्थिति का प्रभाव जीवन के हर क्षेत्र में बेहद उपयोगी माना गया है. जन्म कुंडली में दूसरे भाव का प्रभाव और यहां सूर्य की स्थिति का होना बहुत अच्छे प्रभाव देने वाला होता है. जन्म कुंडली के दूसरे भाव का सूर्य
कुंडली में धनयोग कई तरह से बनता है लेकिन जब बात आती है राहु की तो इसके कारण जब धन योग बनता है, तो उसके मायने काफी अलग दिखाई देते हैं. राहु के साथ गुरु की स्थिति को भी इस योग में देखा जाता है. राहु के साथ गुरु का योग ही
सूर्य ग्रह आत्मा का प्रतीक है और शुक्र सौंदर्य एवं भोग का. इन दोनों ग्रहों का संबंध जीवन के कई पड़ावों पर अपना असर दिखाता है. एक अग्नि तत्व ग्रह है और दूसरा जल तत्व से भरपूर अब इन का प्रभाव एक साथ होता है तो उसके कारण
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, राहु या केतु जैसे पाप ग्रहों के साथ बृहस्पति की युति को चांडाल दोष कही जाती है. इस दोष को गुरु चांडाल दोष के नाम से भी जाना जाता है. बृहस्पति ग्रह को गुरु के रूप में जाना जाता है और इस योग में
सभी 12 लग्नों के लिए बुध की दशा अच्छे और बुरे हर प्रकार के असर दिखाती है, लेकिन इस अच्छे और खराब की स्थिति का प्रभाव किस तरह से मिलागा उसका संबंध बुध की लग्न के साथ शुभता और अशुभता पर निर्भर करता है. ग्रहों में बुध ग्रह
शनि का उदय और अस्त होना शनि चाल में सबसे महत्वपूर्ण समय की स्थिति होती है. ज्योतिष में सभी ग्रहों का अस्त होना सूर्य की स्थिति से देखा जाता है. अब जब शनि सूर्य से अस्त होता है तो यहां इसकी स्थिति अन्य ग्रहों से बहुत
ज्योतिष के अनुसार शुभ या अशुभ ग्रहों के विशेष योग से एक प्रकार की युति बनती है जिसे योग कहते हैं. यह योग कई तरह से देखने को मिलते हैं इसमें योग कई प्रकार के होते हैं. कुछ योग शुभ होते हैं तो कुछ अशुभ तो कई बार शुभ अशुभ
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को शक्ति और प्रभाव का कारक माना जाता है. इसकी शक्ति जहां भी मौजूद होती है वहां जीवन और प्रगति को दर्शाती है. यह आशावाद और चमक का प्रतीक है और क्रोध का भी इसकी शक्ति के समय सभी ग्रहों का तेज
बुध और सूर्य से निर्मित बुधादित्य योग एक अत्यंत शुभ योगों की श्रेणी में स्थान पाता है. बुध ग्रह एवं आदित्य अर्थात सूर्य जब दोनों ग्रह एक साथ होते हैं तो इनका योग बुधादित्य योग का कारण बनता है. कुंडली में बुधादित्य योग
वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति एक पवित्र समुद्र है, जिसके कारण यह विस्तार का स्वरुप भी है. यह आध्यात्मिकता नैतिकता का आधार होता है. ज्योतिष में बृहस्पति को एक मजबूत शुभ ग्रह माना जाता है. इसे देवगुरु भी कहा जाता है. ग्रह का
शनि और मंगल को शत्रु ग्रह के रूप में जाना जाता है, इसलिए इन दोनों की कोई भी युति अच्छी नहीं मानी जाती है. यह एक कठिन स्थिति को दर्शाती है. मंगल को अग्नि तत्व युक्त ग्रह कहा जाता है. मंगल स्वभाव से बहुत हिंसक होता है और
बृहस्पति एक बहुत ही शुभ ग्रह है इसकी महत्ता के बारे में जन्म कुंडली में यदि हम देखें तो यदि ये शुभ हैं तो व्यक्ति के लिए सभी काम सकारात्मक रुप से होते चले जाते हैं. किंतु यदि ये सकारात्मक नहीम है तो काम के क्षेत्र में
कुंडली में एक ग्रह के रूप में चंद्रमा सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ऎसा इस कारण होता है क्योंकि इसके गोचर की अवधी ओर इसका मानसिकता के साथ संबंध होना. जीवन के रोजमर्रा में होने वाले बदलावों को चंद्रमा की स्थिति से
वैदिक ज्योतिष कर्म और पुनर्जन्म के दर्शन पर आधारित है. जन्म कुंडली द्वारा व्यक्ति अपने जीवन और कर्म सिद्धांत की स्थिति को काफी गहराई के द्वारा जांच सकता है. जन्मों की इस यात्रा को समझने में ज्योतिष हमारी बहुत मदद कर
सातवें भाव में बैठा सुर्य बहुत अधिक महत्वपुर्ण प्रभाव डालने वाला माना गया है. सूर्य का असर कुंडली के सातवें घर में जाना मिलेजुले असर दिखाने वाला होता है. जब सूर्य कुण्डली के सप्तम भाव में होता है. इसका असर जीवन साथी पर
ज्योतिष शास्त्र में मानसिक विकार से संबंधित योगों का वर्णन मिलता है. ज्योतिष अनुसार मस्तिष्क में उत्पन्न होने वाले विकार एवं नकारात्मक सोच के पीछे ज्योतिषिय कारण बहुत असर डालते हैं. मानसिक रुप से चंद्रमा का प्रभाव बहुत
कुंडली विषण एक बहुत विस्तृत प्रक्रिया है, और कुंडली में सभी सूक्ष्म बातों को देखना होता है. इन विवरणों में शुभ और अशुभ ग्रहों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह एक कठिन काम है क्योंकि कोई ग्रह एक ही समय पर शुभ भी होगा
सूर्य और केतु का योग ज्योतिष अनुसार काफी महत्वपूर्ण होता है. यह योग कुंडली में जहां बनता है उस स्थान पर असर डालता है. इस योग को वैसे तो अनुकूलता की कमी को दिखाने वाला अधिक माना गया है. इस योग में मुख्य रुप से दो उर्जाओं
सूर्य एक शक्तिशाली ग्रह है जो शक्ति और आत्मा के लिए कारक रुप में विराजमान है. इस महादशा में जीवन को गति मिलती है. व्यक्ति को ऊर्जा मिलती है जिसके द्वारा वह अपने कार्यों को करता है. सूर्य महादशा 6 साल के लिए होती है.
ज्योतिष में शनि ओर केतु दोनों को ही पाप ग्रह की उपाधी प्राप्त है, ऎसे में जब दो पप ग्रह एक साथ होंगे तो इनका युति योग जातक के जीवन में कई तरह अपना असर डालेगा. शनि ग्रह को आदेश, कानून, अनुशासन, न्याय और रूढ़िवादी का
विंशोत्तरी महादशा प्रणाली की गणना के अनुसार मनुष्य के जीवन में 9 ग्रह और 9 महादशाएं होती हैं. वैदिक ज्योतिषीय गणना के अनुसार चंद्र महादशा का समय दस वर्ष का होता है. चंद्रमा की महादशा का पुर्ण भोग्यकाल दस साल के समय अवधि
बारहवें भाव में शुक्र क्यों माना जाता है विशेष जन्म कुंडली में बारहवें भाव में शुक्र की स्थिति की कई मायनों में अनुकूल रुप से देखा जाता है. यह अत्यधिक कल्पनाशील शक्ति लाता है. व्यक्ति को चुलबुला, मोहक और आकर्षक बनाता
कुम्भ राशि शनि देव की राशि है, कुम्भ राशि में जब भी किसी ग्रह का संपर्क होता है तो वह एक महत्वपूर्ण समय होता है. मनुष्य के जीवन में धन, ऐश्वर्य और सुखों की प्राप्ति के कारक रुप में शुक्र ग्रह को अग्रीण स्थान प्राप्त है.
नव ग्रहों का ज्योतिष शास्त्र एवं जीवन पर असर देखा जा सकता है. शनि का प्रभाव इन सभी ग्रहों के प्रभाव को कम करने अथवा प्रभावित करने में सक्षम होता है. शनि ग्रह के रूप में, लोगों की नियति में सबसे महत्वपूर्ण है. शनि ग्रह
मंगल का प्रभाव कुंडली के हर भाव में बहुत विशेष होता है. इस ग्रह की स्थिति जातक को काफी प्रभावित करने वाली होती है. मंगल जिस भी भाव में होता है वह अपने प्रभाव को अलग-अलग तरह से दिखाता है. मंगल का असर पहले घर में होना
ज्योतिष में सभी ग्रहों और राशियों का अपना महत्व होता है. वैदिक ज्योतिष में किसी भी अन्य भाव की तुलना में ग्यारहवें भाव का अधिक महत्व है. ग्यारहवां भाव स्थान राहु के लिए अच्छे परिणाम देने वाला होता है. इस आधुनिक युग में
ज्योतिष शास्त्र मे शनि का संबंध धीमी गति और लम्बे इंतजार से रहा है. शनि को एक पाप ग्रह के रुप में भी चिन्हित किया जाता रहा है. शनि को बुजुर्ग और अलगाववादी ग्रह कहा गया है. शनि मंद गति से चलने वाला ग्रह है और यह एक राशि
कुंभ राशि में बुध ग्रह का होना बहुत सी विशेषताओं को लिए होता है. कुम्भ की विशेषताओं में बुद्धि, रचनात्मकता और परिवर्तन की इच्छा शक्ति शामिल होती है. कुम्भ राशि का दुनिया पर एक बड़ा प्रभाव पड़ता है. यह सुधार की तलाश करने
ज्योतिष में कई तरह के योग ऎसे हैं जो जीवन में भाग्य के निर्माण के लिए बाधा का कार्य करने वाले होते हैं इन्ही में से एक अमावस्या दोष के रुप में जाना जाता है. इस दोष का प्रभाव व्यक्ति के भविष्य निर्माण में व्यवधानों का
राहु की महादशा लोगों के जीवन को कई अलग-अलग तरह से प्रभावित कर सकती है. यह कुछ के लिए अच्छे तो बहुतों के लिए खराब हो सकती है. राहु दशा के फल शुभ होंगे या अशुभ, यह पूरी तरह से राहु के कुंडली में स्थिति के अनुसार तय होता
अपने करियर में जब कोई व्यक्ति चिकित्सा से जुड़े कार्य को चुनता है तो ऎसा होना उसकी कुंडली के कुछ विशेष योगों के द्वारा ही संभव हो पाता है. आज के समय में चिकित्सा के क्षेत्र में इतनी अधिक शाखाएं हैं जिन्हें लेकर कई तरह
ज्योतिष शास्त्र जन्म कुंडली का विश्लेषण में बहुत सी चीजों पर आधारित होता है. कुंडली में कुछ स्थान शुभ होते हैं तो कुछ स्थान अशुभ माने जाते हैं. शुभता एवं शुभता की कमी के कारण ग्रहों का असर काफी गहरे प्रभाव डालने वाला
ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को प्रेम और विलासिता का ग्रह माना गया है. जबकि पश्चिमी ज्योतिष में शुक्र को एक स्त्री के रूप में चित्रित किया जाता है. वैदिक ज्योतिष अनुसार शुक्र ग्रह का संबंध शुक्राचार्य हैं, जो दैत्यों के
जन्म कुंडली में ग्रह भाव और राशि का प्रभाव काफी महत्वपूर्ण होता है. ग्रहों के क्षेत्र में कारक तत्वों का आधार ही व्यक्ति के लिए विशेष परिणाम देने वाला होता है. ग्रहों में उनका दिशा बल भी बहुत कार्य करता है. कमजोर ग्रह
विवाह मिलान में नक्षत्र मिलान एक सबसे महत्वपूर्ण कारक बनता है. नक्षत्रों का एक साथ शुभता लिए होना विवाह के सुखमय होने का आधार भी बनता है. जब हम अपने सहयोगी एवं मित्र स्वरुप नक्षत्र से मिलते हैं तो इस स्थिति में हमारे
ज्योतिष शास्त्र की एक शाखा जैमिनी ज्योतिष भी जिसे ऋषि जैमिनी के नाम से ही जाना जाता है. जैमीनी ज्योतिष अनुसार अमात्यकारक ग्रह कुंडली में अहम स्थान रखता है. सभी नव ग्रहों में किसी न किसी को अमात्यकारक का स्थान प्राप्त
सेहत से जुड़े कई कारकों का वर्णन वैदिक ज्योतिष में मिलता है. सेहत जीवन का एक महत्वपुर्ण मुद्दा है जिसे लेकर कइ बर हम सजग तो कई बार लापरवाह भी दिखाई देते हैं किंतु कुल मिलाकर सेहत को बेहतर बनाए रखने के लिए प्रत्येक
ज्योतिष में ग्रहों, नक्षत्रों, भावों, राशियों इत्यादि के आधार पर कई तरह के योग बनते हैं जो कुछ शुभ तो कुछ अशुभ स्थिति को पाते हैं . कुछ योग ऎसे होते हैं जो काफी विशेष रुप से व्यक्ति पर अपना असर डालते हैं. इन योग का असर
कुंडली का प्रत्येक लग्न किसी न किसी मारक ग्रह से प्रभावित अवश्य होता है. मिथुन लग्न की कुंडली होने पर इस कुंडली के दूसरे भाव और सातवें भाव का स्वामी मारक बनता है. मिथुन लग्न के लिए, द्वितीय भाव में कर्क राशि आती है ओर
विदेश में जाना, विदेश यात्रा करना आज के समय में इसका काफी प्रचलन बढ़ गया है. विदेश में यात्रा के अवसर कई तरह से मिल जाते हैं लेकिन जब बात आती है विदेश में ही रहने की तब चीजें काफी मुश्किल सी दिखाई देती हैं. कई
नौकरी में सफल होने के लिए, करियर से संबंधित विचार बहुत जल्द ही कम उम्र में शुरू हो जाता है. करियर बनाने की दिशा में शिक्षा क्षेत्र का चयन पहला कदम होता है. जो इस बात को निर्धारित करने में मदद करता है कि व्यक्ति शिक्षा
किसी भी भाव के वर्षफल कुंडली में लग्न बनए का फल वर्ष कुंडली को हर वर्ष के लिए देखा जाता है. वर्षफल कुंडली में प्रत्येक वर्ष का भविष्यफल देखा जाता है. वर्ष फल कुंडली को ताजिक शास्त्र में उपयोग किया जाता है. वर्ष कुंडली
ज्योतिष के सिद्धांत अनुसार राशियों के द्वारा किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व को समझने में बहुत से विशेष बातों का आसानी से पता चल सकता है. अगर आपको अपने भावी साथी से केवल उनकी जन्म तिथि की जानकारी ही मिल पाती है तब आप उनके
मीन राशि के लिए जुलाई माह में ग्रहों की स्थिति इस प्रकार रहेगी. राशि स्वामी बृहस्पति का मीन राशि गोचर होगा इसके पश्चात 28 जुलाई को बृहस्पति मीन राशि में वक्री होकर गोचर करेंगे. मंगल का गोचर मेष राशि में होगा. माह आरंभ
कुंभ राशि के लिए जुलाई माह में ग्रहों की स्थिति इस प्रकार रहेगी. राशि स्वामी शनि का वक्री अवस्था में ही गोचर कुंभ राशि में होगा और 12 जुलाई को शनि वक्री अवस्था में मकर राशि में प्रवेश करेंगे तथा वहीं गोचरस्थ रहेंगे. माह
मकर राशि के लिए जुलाई माह में ग्रहों की स्थिति इस प्रकार रहेगी. राशि स्वामी शनि का वक्री अवस्था में ही गोचर कुंभ राशि में होगा और 12 जुलाई को शनि वक्री अवस्था में मकर राशि में प्रवेश करेंगे तथा वहीं गोचरस्थ रहेंगे. माह
धनु राशि के लिए जुलाई माह में ग्रहों की स्थिति इस प्रकार रहेगी. राशि स्वामी बृहस्पति का मीन राशि गोचर होगा इसके पश्चात 28 जुलाई को बृहस्पति मीन राशि में वक्री होकर गोचर करेंगे मंगल का गोचर मेष राशि में होगा. माह आरंभ
वृश्चिक राशि के लिए जुलाई माह में ग्रहों की स्थिति इस प्रकार रहेगी. राशि स्वामी मंगल का गोचर मेष राशि में होगा. माह आरंभ में सूर्य का गोचर मिथुन में होगा उसके पश्चात माह मध्य 16 जुलाई से कर्क में राशि में गोचरस्थ आरंभ
तुला राशि के लिए जुलाई माह में ग्रहों की स्थिति इस प्रकार रहेगी. राशि स्वामी शुक्र माह आरंभ में वृषभ में होंगे इसके बाद 13 जुलाई को मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे. माह आरंभ में सूर्य का गोचर मिथुन में होगा उसके पश्चात माह
मिथुन राशि के लिए जुलाई माह में ग्रहों की स्थिति इस प्रकार रहेगी. राशि स्वामी बुध वृष राशि में गोचरस्थ होंगे, 2 जुलाई को बुध वृष से निकल कर मिथुन में होंगे 16 जुलाई को कर्क में जाकर गोचरस्थ होंगे. 5 जुलाई को पूर्व में
सिंह राशि के लिए जुलाई माह में ग्रहों की स्थिति इस प्रकार रहेगी. राशि स्वामी सूर्य माह आरंभ में मिथुन में गोचर करेंगे, उसके पश्चात माह मध्य 16 जुलाई से कर्क में राशि में प्रवेश करेंगे तथा गोचरस्थ रहेंगे. माह आरंभ में
कर्क राशि के जातकों के लिए आर्थिक क्षेत्र में उतार-चढ़ाव बना रहने वाला है. कुछ न कुछ ऐसे मौके सामने दिखाई देंगे जिनके कारण आप लाभ ओर हानि दोनों को देखेंगे. इस समय के दौरान स्थितियां काफी मिलेजुले असर की होगी. अपने लिए
मिथुन राशि के लिए जुलाई माह में ग्रहों की स्थिति इस प्रकार रहेगी. राशि स्वामी बुध वृष राशि में गोचरस्थ होंगे, 2 जुलाई को बुध वृष से निकल कर मिथुन में होंगे 16 जुलाई को कर्क में जाकर गोचरस्थ होंगे. 5 जुलाई को पूर्व में
वृषभ राशि के लिए जुलाई माह में ग्रहों की स्थिति इस प्रकार रहेगी. राशि स्वामी शुक्र माह आरंभ में वृषभ में होंगे इसके बाद 13 जुलाई को मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे. माह आरंभ में सूर्य का गोचर मिथुन में होगा उसके पश्चात माह
मेष राशि के लिए जुलाई माह में ग्रहों की स्थिति इस प्रकार रहेगी. राशि स्वामी मंगल का गोचर मेष राशि में होगा. माह आरंभ में सूर्य का गोचर मिथुन में होगा उसके पश्चात माह मध्य 16 जुलाई से कर्क में राशि में गोचरस्थ आरंभ होगा.
माह के आरंभ में मीन राशि के लिए ग्रहों की स्थिति इस प्रकार रहने वाली है. राशि स्वामी गुरु माह के आरंभ में मीन राशि में गोचरस्थ होंगे. मंगल का गोचर भी मीन राशि में होने से गुरु मंगल युति का निर्माण होगा. सूर्य माह आरंभ
माह के आरंभ में कुंभ राशि के लिए ग्रहों की स्थिति इस प्रकार रहने वाली है. राशि स्वामी शनि का गोचर अपनी स्वराशि कुंभ में होगा. इसी समय शनि कुंभ राशि में वक्री भी होंगे. गुरु माह के आरंभ में मीन राशि में गोचरस्थ होंगे.
माह के आरंभ में मकर राशि के लिए ग्रहों की स्थिति इस प्रकार रहने वाली है. राशि स्वामी शनि का गोचर कुंभ राशि में होगा. जून को शनि कुंभ राशि में वक्री होंगे. गुरु माह के आरंभ में मीन राशि में गोचरस्थ होंगे. मंगल का गोचर भी
माह के आरंभ में धनु राशि के लिए ग्रहों की स्थिति इस प्रकार रहने वाली है. राशि स्वामी गुरु(बृहस्पति) माह के आरंभ में मीन राशि में गोचरस्थ होंगे. मंगल का गोचर भी मीन राशि में होने से गुरु मंगल युति का निर्माण होगा ओर इस
माह के आरंभ में वृश्चिक राशि के लिए ग्रहों की स्थिति इस प्रकार रहने वाली है. राशि स्वामी मंगल माह के आरंभ में मीन राशि में गोचरस्थ होगा. मीन राशि में मंगल का युति संबंध बृहस्पति से होगा, 27 जून को मंगल मेष राशि में
माह के आरंभ में तुला राशि के लिए ग्रहों की स्थिति इस प्रकार रहने वाली है. राशि स्वामी शुक्र माह आरंभ में मेष राशि में राहु के साथ युति संबंध में गोचरस्थ होगा. 18 जून को शुक्र वृष राशि में प्रवेश करेंगे जहां बुध के साथ
माह के आरंभ में कन्या राशि के लिए ग्रहों की स्थिति इस प्रकार रहने वाली है. राशि स्वामी बुध माह आरंभ में वृष राशि में होंगे. बुध पूरे माह वृष राशि में गोचरस्थ होंगे 3 जून को बुध वक्री अवस्था से मार्गी होकर गोचरस्थ होंगे.
कर्क राशि वालों के लिए माह का आरंभिक समय आर्थिक स्थिति के लिए सामान्य रह सकता है. आय के स्त्रोत बने रह सकते हैं. ( frogbones ) उत्साह बना रहेगा. कुछ मामलों में स्थिति एकाग्रता की कमी से परेशान हो सकती है. घरेलू स्तर पर
राशि स्वामी के द्वादश भाव स्थन में होने के कारण वित्तीय मामलों में आपको खर्चों की अधिकता देखने को मिल सकती है. इस समय आपका धन स्वास्थ्य, यात्रा, जीवनसाथी एवं बाहरी कार्यों पर अधिक व्यय होता दिखाई देता है. कुछ कानूनी
वृष राशि वालों के लिए इस माह ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार होगी. राशि स्वामी शुक्र मेष राशि में गोचर करेंगे. शुक्र की युति इस समय मेष राशि में राहु के साथ होगी. 18 जून को शुक्र का राशि परिवर्तन वृष राशि में होगा तब
माह के आरंभ में मेष राशि के लिए ग्रहों की स्थिति इस प्रकार रहने वाली है. राशि स्वामी मंगल माह आरंभ में मीन राशि में गोचरस्थ होंगे. मीन राशि में मंगल का युति संबंध बृहस्पति से होगा, इसके पश्चात माह के आखिर में मंगल मीन
इस माह आपके पास कुछ सकारात्मक अवसर होंगे, राशि स्वामी की मजबूत स्थिति के चलते आप कुछ अच्छे लाभ को प्राप्त कर पाने में सक्षम होंगे. आप अपनी मेहनत का कुछ लाभ इस समय प्राप्त कर पाएंगे. आपके परिश्रम का बेहतर फल आप को
कुंभ राशि वालों के लिए इस माह ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार होगी. राशि स्वामी शनि का गोचर कुंभ राशि में होगा. बुध का गोचर माह के आरंभ में वृष राशि में होगा. 10 मई में बुध वृषभ राशि में वक्री होकर गोचर करेंगे. 14 मई को
मकर राशि वालों के लिए इस माह ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार होगी. राशि स्वामी शनि का गोचर कुंभ राशि में होगा. बुध का गोचर माह के आरंभ में वृष राशि में होगा. 10 मई में बुध वृषभ राशि में वक्री होकर गोचर करेंगे. 14 मई को
धनु राशि वालों के लिए इस माह ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार होगी. राशि स्वामी बृहस्पति का गोचर मीन राशि में होगा. बुध का गोचर माह के आरंभ में वृष राशि में होगा. 10 मई में बुध वृषभ राशि में वक्री होकर गोचर करेंगे. 14 मई
वृश्चिक राशि वालों के लिए इस माह ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार होगी. माह के आरंभ में मंगल का गोचर इस समय पर कुंभ राशि में हो रहा होगा. मंगल की शनि के साथ युति इस समय कुंभ राशि में बन रही होगी. 17 मई मंगल का राशि
तुला राशि वालों के लिए इस माह ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार होगी. माह आरंभ में राशि स्वामी शुक्र मीन राशि में गोचर करेंगे. 23 मई शुक्र का राशि परिवर्तन मेष राशि में होगा. बुध का गोचर माह के आरंभ में वृष राशि में होगा.
कन्या राशि वालों के लिए इस माह ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार होगी. राशि स्वामी बुध का गोचर माह के आरंभ में वृष राशि में होगा. 10 मई में बुध वृषभ राशि में वक्री होकर गोचर करेंगे. 14 मई को बुध की युति सूर्य के साथ वृषभ
सिंह राशि वालों के लिए इस माह ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार होगी. राशि स्वामी सूर्य का गोचर माह के आरंभ में मेष राशि में होगा यहां पर सूर्य का युति संबंध राहु के साथ होगा. माह मध्य के बाद सूर्य का राशि परिवर्तन वृषभ
कर्क राशि वालों के लिए इस माह ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार होगी. राशि स्वामी चंद्रमा का गोचर माह के आरंभ में मेष राशि में होगा. बुध का गोचर माह आरंभ में वृष राशि में होगा. 10 मई में बुध वृषभ राशि में वक्री होकर गोचर
मिथुन राशि वालों के लिए इस माह ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार होगी. राशि स्वामी बुध का गोचर माह के आरंभ में वृष राशि में होगा. 10 मई में बुध वृषभ राशि में वक्री होकर गोचर करेंगे. 14 मई को बुध की युति सूर्य के साथ वृषभ
वृष राशि वालों के लिए इस माह ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार होगी. राशि स्वामी शुक्र मीन राशि में गोचर करेंगे. शुक्र की युति इस समय मीन राशि में बृहस्पति के साथ होगी. मंगल और शनि का गोचर इस समय पर कुंभ राशि में हो रहा
इस माह के आरंभ राशि स्वामी कुंभ राशि में गोचरस्थ होंगे तथा शनि के साथ युति संबंध होंगे. गुरु और शुक्र का गोचर इस समय मीन राशि में होगा. वृष राशि में बुध का गोचर होगा. सूर्य का गोचर मेष राशि में होगा. राहु का गोचर भी मेष
मीन राशि वालों के लिए इस माह ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार की होगी. राशि स्वामी बृहस्पति माह के आरंभ में कुंभ में होंगे लेकिन माह मध्य से अपनी मीन राशि में गोचर करेंगे. आरंभ में शुक्र और गुरु का युति संबंध कुंभ राशि
माह के इस समय पर राशि स्वामी इस समय मंगल के साथ स्थित है, आप में उत्साह और प्रयास बहुत अधिक होगा. इस समय के दौरान आप परिश्रमी अधिक रह सकते हैं. नई योजनाओं में आप व्यस्त रह सकते हैं खर्चों की अधिकता का भी समय है और साथ
मकर राशि के लिए इस समय के दौरान आर्थिक लाभ वृद्धि और काम-काज में वृद्धि का समय होगा. इस समय शनि का प्रभाव आपको उत्साहित बनाने वाला होगा. आप परिवार के लिए काफी प्रयासशील हो सकते हैं. नई चीजों को लेकर आप सोच विचार में
धनु राशि वालों के लिए ये माह काफी महत्व रखने वाला है क्योंकि राशि स्वामी की स्थिति इसी माह बदलने वाली है. एक लम्बे समय से कुंभ राशि में गोचर करने के बाद बृहस्पति अपनी स्वराशि मीन में प्रवेश करेंगे जिसके चलते इस माह के
वृश्चिक राशि वालों के लिए इस माह ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार की होगी. राशि स्वामी मंगल मकर राशि में शनि के साथ स्थित होंगे. शुक्र और गुरु का युति संबंध कुंभ राशि में दिखाई देगा. सूर्य बुध का संबंध मीन राशि में होगा
तुला राशि वालों के लिए इस माह ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार की होगी. राशि स्वामी शुक्र कुंभ राशि में गोचर करेंगे. मंगल मकर राशि में शनि के साथ स्थित होंगे. सूर्य बुध का संबंध मीन राशि में होगा माह मध्य के पश्चात ग्रहों
कन्या राशि वालों के लिए इस माह ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार की होगी. राशि स्वामी बुध माह के आरंभ में कमजोर स्थिति में मीन राशि में होंगे लेकिन सप्ताह के दौरान ही राशि परिवर्तन होने से मेष में होंगे. इसी प्रकार आरंभिक
कर्क राशि वालों के लिए इस माह ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार की होगी. माह के शुरु में राशि स्वामी सूर्य का गोचर मीन राशि में होगा माह मध्य के बाद मेष में प्रवेश होगा. बुध माह के आरंभ में कमजोर स्थिति में मीन राशि में
कर्क राशि वालों के लिए इस माह ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार की होगी. राशि स्वामी चंद्रमा का गोचर भी प्रभावी होगा. बुध माह के आरंभ में कमजोर स्थिति में मीन राशि में होंगे लेकिन सप्ताह के दौरान ही राशि परिवर्तन होने से
मिथुन राशि वालों के लिए इस माह ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार की होगी. राशि स्वामी बुध माह के आरंभ में कमजोर स्थिति में मीन राशि में होंगे लेकिन सप्ताह के दौरान ही राशि परिवर्तन होने से मेष में होंगे. इसी प्रकार आरंभिक
वृष राशि वालों के लिए इस माह ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार की होगी. राशि स्वामी शुक्र कुंभ राशि में गोचर करेंगे. मंगल मकर राशि में शनि के साथ स्थित होंगे. सूर्य बुध का संबंध मीन राशि में होगा माह मध्य के पश्चात ग्रहों
मेष राशि वालों के लिए इस माह ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार की होगी. राशि स्वामी मंगल मकर राशि में शनि के साथ स्थित होंगे. शुक्र और गुरु का युति संबंध कुंभ राशि में दिखाई देगा. सूर्य बुध का संबंध मीन राशि में होगा माह
मीन राशि वालों के लिए यह माह आपके लिए व्यस्तता वाला रह सकता है. बृहस्पति सूर्य का योग आपकी विचारधारा में बदलाव होगा.ज्इस समय राशि स्वामी की स्थिति प्रतिष्ठा ओर समाज में स्थिति को बेहतर बनाने की कोशिशों में होगी. इस समय
कुंभ राशि वालों के लिए मार्च का समय लाभ और खर्च दोनों ही स्थितियों के साथ आगे बढ़ने वाला होगा. इस समय उत्साह का संचार रहेगा तथा नवीन प्रतिभा भी विकसित होगी. प्रयासों के द्वारा लाभ प्राप्ति होगी तो साथ ही अचानक से बाहरी
मकर राशि वालों के लिए मार्च माह का समय कुछ उत्साह में वृद्धि वाला और नए अवसर को दिलाने वाला होगा. इस समय के दौरान राशि स्वामी की मजबूत स्थिति के साथ ही सुख और लाभ की स्थिति भी मजबूत अवस्था में दिखाई देगी, तो अनुकूल अवसर
धनु राशि वालों के लिए इस माह का समय आर्थिक लाभ की स्थिति के लिए अनुकूल रह सकता है. इस समय पर आप के काम में नए बदलाव और लोगों के साथ मेल जोल की स्थिति आपके लिए परेशानी और भागदौड़ वाली होगी. इस समय के दौरान आप घर के लोगों
इस माह के आरंभ में राशि स्वामी मंगल एक मजबूत स्थिति में होंगे. मंगल की प्रबल स्थिति के कारण आप का व्यक्तित्व और कार्यशैली इससे प्रभावित भी होंगे. परिश्रम द्वारा अपने लिए नए मार्ग बनाएंगे. मेहनत एवं उत्साह में वृद्धि का
तुला राशि वालों के लिए इस माह का आरंभ घरेलू क्षेत्र में व्यस्तता को दर्शात है. इस समय घर पर कुछ बदलाव और नई चीजों को लाने में भी आप आगे रह सकते हैं. अपनों के साथ आप कुछ अधिक समय व्यतीत कर पाएंगे लेकिन जिम्मेदारियों में
कन्या राशि वालों के लिए इस माह का आरंभिक समय कुछ सकारात्मक होगा. कुछ नवीन कामों की शुरुआत का समय होगा. अपनी पसंद के कुछ कार्यों में दूसरों का सहयोग आपको बेहतर मौके दिलाने में सहायक बन सकता है. खेलकूद से जुड़े छात्रों को
सिंह राशि वालों के लिए ये समय सामाजिक रुप से और आर्थिक रुप से आपको आगे बढ़ने वाला हो सकता है. आप नेतृत्व करने में आगे रह सकते हैं और आपकी लीडरशिप को दूसरे महत्व भी देंगे. इस समय आर्थिक क्षेत्र में आप कोशिशों द्वारा आगे
कर्क राशि वालों के लिए मार्च का समय काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है इस समय इनके सप्तम भाव में स्थिति मंगल का रुचक योग शनि का शश योग इन के लिए काफी प्रभावशाली समय बनने वाला है. सामाजिक रुप से और साथ ही पार्टनर के साथ
मार्च के आरंभ में राशि स्वामी चतुर्ग्रही योग में शामिल रहेगा ओर ऎसे में आप का उत्साह भी कुछ अलग ही होगा. अपनी मर्जी से आगे रहने वाले हैं. अपनी कोशिशों से आर्थिक लाभ पाने में सफल हो सकते हैं. सप्ताह के दूसरे भाग में ही
वृष राशि वालों के लिए ये समय शुक्र का असर शनि और मंगल की युति के साथ होगा. इस समय के दौरान आप काफी व्यस्तता वाले रह सकते हैं. आर्थिक क्षेत्र में आप अपने प्रयासों से आगे बढ़ सकते हैं. इस समय आपके पास काफी संभनाएं रह सकती
मेष राशि वालों के लिए इस समय मंगल की स्थिति मकर राशि में होगी और यह एक उत्तम एव मजबूत स्थिति को दर्शाती है. यह आपके साहस और आपकी क्षमता को आगे बढ़ाने में सहायक बनेगा. अपनी संकल्प शक्ति में भी आप मजबूती के साथ दिखाई
मीन राशि वालों के लिए यह महीना मिले-जुले परिणाम देने वाला है. कार्यस्थल पर आप अपने को व्य्सत पाएंगे लेकिन शरीर की थकान और मानसिक उलझनों से खुद को निकाल पाना आपके लिए मुश्किल रह सकता है. अपने काम में आपको अभी से कुछ नए
इस समय पर स्थिति आपके लिए कुछ सकारात्मक पक्ष की ओर दिखाई दे सकती है. आप अपनी मेहनत द्वारा लाभ प्राप्ति के अच्छे विकल्प को प्राप्त कर सकते हैं. गुरु का गोचर राशि पर होने तथा व्ययेश की मजबूत स्थिति से लाभ एवं खर्च की
इस समय के दौरान राशि स्वामी की युति माह आरंभ में मकर राशि में सूर्य एवं बुध के साथ होगी. इसके पश्चात माह मध्य के बाद सूर्य के स्थान बदलाव के साथ ही बुध शनि संबंध दृष्टिगोचर होगा. इस समय पर चीजों में काफी व्यस्तता का
इस माह राशि स्वामी की स्थिति परिश्रम ओर यात्राओं को दर्शाती है और साथ ही इस समय मंगल शुक्र का आपकी राशि पर गोचर करना उत्साह ओर नई चीजों से जुड़ने का समय भी दिखाता है. इस समय पर घरेलू ओर बाहरी दोनों ओर की स्थिति कुछ अधिक
राशि स्वामी के दूसरे भाव में शुक्र के साथ युति संबंध का प्रभाव धनार्जन के क्षेत्र में नए मौके दिलाने वाला होगा, लेकिन इस समय अपनी जिद ओर क्रोध से कुछ दिक्कतें भी आ सकती हैं. कमाई के मामले में आपको मिले-जुले परिणाम
इस माह आप लोगों के लिए काफी फेरबदल वाला हो सकता है इस समय राशि स्वामी की स्थिति आप की मानसिक विचारधारा को प्रभावित करने वाली होगी. कुछ मामलों में आप दूसरों से अलग काम करने के पक्ष में भी होंगे. अपने लाभ को लेकर चिंता तो
कन्या राशि वालों के लिए इस माह राशि स्वामी की स्थिति प्रयास की अधिकता के साथ साथ कुछ् सकारात्मक प्रभाव भी देगी. अभी के समय में राशि स्वामी की मजबूती बहुत अधिक न हो पाने से वृथा की भागदौड़ ओर खर्च की अधिकता बनी रह सकती
मीन राशिफल 2024 - पैसा और वित्तीय स्थिति जनवरी 2024 से मार्च 2024 तक समय वित्तिय मामलों के लिए तिमाही का ये समय अनुकूल रह सकता है. इस समय पर कुछ आर्थिक लाभ की प्राप्ति होती दिखाई देती है. तिमाही के आरंभिक समय पर काम के
कुंभ राशिफल 2024 – पैसा और वित्तीय स्थिति जनवरी 2024 से मार्च 2024 तक समय तिमाही का ये समय आर्थिक लाभ के लिए शुरुआती स्तर पर आगे बढ़ने का है. गुरु का गोचर किसी की हेल्प द्वारा लाभ प्राप्ति के लिए कैसे आगे बढ़ा जाए इस
मकर राशिफल 2024 - पैसा और वित्तीय स्थिति जनवरी 2024 से मार्च 2024 तक समय तिमाही की शुरुआत खर्चों एवं नई चीजों की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण रह सकती है. इस समय के दौरान शनि, बुध, सूर्य का प्रभाव अचानक से होने वाले खर्चों
धनु राशिफल 2024 - पैसा और वित्तीय स्थिति जनवरी 2024 से मार्च 2024 तक समय तिमाही का आरंभिक समय आर्थिक पक्ष के लिए सामान्य रह सकता है. इस समय पर आप अपनी पुरानी बचत का भी उपयोग कर सकते हैं. भाग्य का सहयोग आर्थिक स्थिति को
वृश्चिक राशिफल 2024 - पैसा और वित्तीय स्थिति जनवरी 2024 से मार्च 2024 तक समय तिमाही का समय आपके आर्थिक लाभ और खर्च की स्थिति को समान रुप से प्रभावित करने वाला होगा. परिश्रम बना रहेगा लेकिन शायद उतना लाभ मिल न पाए जितना
2024 तुला राशिफल - पैसा और वित्तीय स्थिति जनवरी 2024 से मार्च 2024 तक का समय तिमाही का आरंभ सामनय रुप से होगा. आप अपने परिवार का प्रेम व सहयोग भी पा सकते हैं. आप कुछ अधिक मेहनत मे भी होंगे. आमदनी के स्त्रोत आपको कुछ लाभ
202 4 कन्या राशिफल - पैसा और वित्तीय स्थिति जनवरी 2024 से मार्च 2024 तक का समय कन्या राशि के लिए साल का ये समय आपको शनि के प्रभाव तथा गुरु के गोचर से होने वाले बदलावों का असर आप पर रहेगा. इस समय पर आपके राशि स्वामी की
2024 सिंह राशिफल - पैसा और वित्तीय स्थिति जनवरी 2024 से मार्च 2024 तक का समय तिमाही का आरंभ आपके खर्चों को दर्शाने वाला होगा. इस समय पर कुछ धन की कमी परेशानी दे सकती है और साथ ही खर्चों पर नियंत्रण लगा पाना भी मुश्किल
2024 कर्क राशिफल - पैसा और वित्तीय स्थिति जनवरी 2024 से मार्च 2024 तक का समय तिमाही का आरंभिक समय आपको धनार्जन के अच्छे अवसर दे सकता है. कुछ नए मसौदे अब शुरु होंगे और आपको नए लोगों के साथ मिलकर काम करने का मौका भी मिल
मिथुन राशिफल 2024 - पैसा और वित्तीय स्थिति जनवरी 2024 से मार्च 2024 तक समय ये तिमाही धन संबंधी मामलों में शुरुआती समय पर खर्च की अधिकता को दिखा सकती है. आपके अतिरिक्त व्यय थोड़ा दबाव बना सकते हैं. आकस्मिक रुप से धन व्यय
2024 वृषभ राशिफल - पैसा और वित्तीय स्थिति जनवरी 2024 से मार्च 2024 तक समय अर्थिक स्थिति इस तिमाह के समय पर काफी मिले जुले प्रभाव दे सकती है. खर्चों की अधिकता लगी रह सकती है और ये समय नई चीजों की खरीदारी के साथ साथ कुछ