श्रावण मास के पर्व: श्रावण संक्रान्ति 2024, 16 जुलाई (Festival in the Month of Shravan : Shravan Sankranti 2024, 16th July)
श्रावण संक्रांति में सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करेंगे. श्रावण संक्रान्ति का समय 16 जुलाई 2024, को रविवार को 05:07 पर आरंभ होगा. 45 मुहूर्ति इस संक्रान्ति का स्नान दान संबंधित पुण्य काल अगले दिन 11:31 तक रहेगा.
श्रवण मास में शिव पूजन महत्व (Importance of Shiv Poojan in Shravan Month)
श्रवण मास में विशेष रुप से श्री भगवान भोले नाथ की पूजा- अर्चना कि जाती है. इस माह में भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से पुन्य फलों में वृद्धि होती है. इस मास में प्रतिदिन श्री शिवमहापुराण व शिव स्तोस्त्रों का विधिपूर्वक पाठ करके दुध, गंगा-जल, बिल्बपत्र, फलादि सहित शिवलिंग का पूजन करना चाहिए.
इसके साथ ही इस मास में "ऊँ नम: शिवाय:" मंत्र का जाप करते हुए शिव पूजन करना लाभकारी रहता है. इस मास के प्रत्येक मंगलवार को श्री मंगलागौरी का व्रत, पूजानादि विधिपूर्वक करने से स्त्रियों को विवाह, संतान व सौभाग्य में वृद्धि होती है.
पंचक प्रारम्भ (Beginning of Panchak)
श्रावण मास में 23 जुलाई 2024 के दिन 09:21 से प्रारम्भ होंगे, और ये 27 जुलाई 13:00 तक रहेंगे. इन पांच दिनों में शुभ कार्य करने से बचना चाहिए.
कामिका एकादशी 2024, 31 जुलाई (Kamika Ekadashi 2024, 31st July)
कामिक एकादशी के दिन श्री हरि का पूजन करना चाहिए. पितरों का उद्वार करने के लिये इस व्रत को सबसे अधिक उतम कहा गया है. कामिका एकाद्शी का व्रत रखने के साथ जो जन रात्रिं में विष्णु स्तोत्रों का पाठ करता है, उसके कष्टों में कमी होती है. लालमणि, मोती, दूर्वा और मूंगे आदि से भगवान विष्णु की पूजा करना हितकारी रहता है.
श्री विष्णु को तुलसी की पूजा अतिप्रिय है. इसलिये जब विष्णु का पूजन तुलसी से किया जाता है तो वे शीघ्र प्रसन्न होते है. एकादशी तिथि को दिन रात में दीपदान करने से कई यज्ञों के समान फल मिलता है. कामिका एकादशी का व्रत कर श्री हरि का पूजन करने से पाप रुपी संसार से मुक्ति मिलती है.
प्रदोष व्रत 2024, 01 अगस्त और 17 अगस्त (Fast of Pradosh 2024, 01 August or 15th August)
प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष व शुक्ल पक्ष कि त्रयोदशी अर्थात दोनों पक्षों की तेरहवीं तिथि को रखा जाता है. इस व्रत को भगवान शिव के लिये किया जाता है. प्रदोष व्रत व श्रावण मास दोनों इस तिथि में होने के कारण इस व्रत की शुभता इस माह में बढ जाती है. श्रावण मास में विशेष रुप से शिव का पूजन किया जाता है, तथा प्रदोष व्रत भी भगवान शिव का आशिर्वाद प्राप्त करने के लिये किया जाता है. इस दिन उपावस कर पूरे दिन भगवान भोलेनाथ का स्मरण करना चाहिए. सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में इस उपवास का समापन होता है.
हरियाली तीज / सिंघारा तीज 2024, 07 अगस्त (Hariyali Teej / Singhara Teej 2024, 07th August)
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का दिन हरियाली तीज या सिंघारा तीज के नाम से जाना जाता है. यह त्यौहार विशेष रुप से नवविवाहित व विवाहित महिलाओं के द्वारा किया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार हरियाली तीज को शिव-पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है.
इस प्रकार यह पर्व आस्था ओर प्राकृ्तिक सौन्दर्य और चारों ओर हरियाली छाने से मन में उठने वाली उमंग का है. इस दिन बारिश होने पर इस त्यौहार की छटा ओर भी बढ जाती है. इस दिन झूले डाल कर लोकगीतों गायन और नाच के इस त्यौहार को मनाया जाता है. व विशेष रुप से माता- पार्वती की पूजा की जाती है.
नाग-पंचमी 2024, 09 अगस्त (Nag-Pamchami 2024, 09th August)
प्रत्येक वर्ष की श्रावण मास, शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन नाग पंचमी का पर्व श्रद्धा व विश्वास के साथ मनाया जाता है. इस मास में नाग देव की पूजा करने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है. विधिपूर्वक विधि-विधान से इस दिन उपवास रख नागों की प्रतिमा या चित्र का पूजन करना शुभ रहता है. इस दिन घर की दहलीज को गोबर से लीप कर शुद्ध कर दुर्वा, दूध ओर कुशा सहित पूजा की जाती है. इस प्रकार पूजन करने से सर्पो का भय नहीं रहता.
पवित्रा एकादशी 2024, 16 अगस्त (Pavitra Ekadashi 2024, 16th August)
श्रावण मास में 16 अगस्त के दिन एकादशी तिथि रहेगी. यह एकादशी पवित्रा नाम से रहेगी. भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिये एकादशी का उपवास किया जाता है.
श्रावणी पूर्णिमा, रक्षा बन्धन 2024, 19 अगस्त (Shravani Poornima, Raksha Bandhan 2024, 19th August)
भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक पर्व रक्षा बन्धन, वर्ष 2024 में 19th अगस्त के दिन मनाया जायेगा. इस पर्व के दिन बहने अपने भाईयों कि कलाई पर राखी बांधती है, तथा भाई अपनी बहनों को उपहार व रक्षा का वचन देते है. प्राचीन काल से ही यह पर्व भावनात्मक बंधन व बहन के प्रति एक भाई की जिम्मेदारियों का स्मरण कराने का दिन है. रक्षा- बंधन के दिन भद्रा समय के बाद राखी बांधी जाती है.