ज्येष्ठ मास के पर्व: ज्येष्ठ संक्रान्ति 2024, 15 मई (Festival in the Month of Jyeshtha : Jyeshtha Sankranti 2024, 15th May)
vaisakh sankranti 2023ज्येष्ठ संक्रांति में सूर्य वृष राशि में प्रवेश करेंगे. यह संक्रांति 15 मई, 2024 को सोमवार के दिन होगी. इस संक्राति का आरंभ 15 तारिख को 11:44 मिनिट पर अरंभ होगा. 45 मुहूर्ति इस ज्येष्ठ संक्रांति का पुण्य काल सुबह 05:20 से होगा.
संक्रान्ति के दिन व्रत-उपवास रख कर घडा, गेहूं, चावल, सतु, अनाज व दूध -चीनी, फल, वस्त्र, छाता, पंखा आदि अन्य गर्मियों में प्रयोग होने वाली वस्तुओ का दक्षिणा सहित दान करने का विशेष महत्व होता है. व्रत के दिन भगवान श्री विष्णु का पूजन व "ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय " मंत्र व विष्णु सहस्त्र नाम आदि स्त्रोतों का जप-पाठ करना शुभ रहता है.
श्री सत्यनारायण व्रत 2024, 5 मई (Fast of Shri Satyanarayan vrat 2024, 15th May)
5 मई 2024 के दिन श्री सत्यनारायण का व्रत रख, उपवास करना कल्याणकारी रहता है. उपवास के साथ जब उपवासक सत्यनारायन कथा करायें, या कथा का श्रवण करें, तो इसके फल विशेष कहे गये है.
2024 पूर्णिमा , श्री बुध पूर्णिमा 2024, 05 मई (Vaishakh Poornima 2024, 05th May)
05 मई का दिन 2024 पूर्णिमा का रहेगा. इस दिन स्नानादि कार्य किये जा सकते है. पूर्णिमा को अमृतसर में विशेष रुप से मनाया जाता है. वहां धार्मिक क्रियाकलापों की दिनभर धूम रहती है. प्रात: काल में जल स्त्रोतों में ब्रह्मामुहूर्त में स्नान और पीपल की पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन गर्मी की तपन से बचाने वाली वस्तुओं का दान विशेष रुप से किये जाते है. इसमें हाथ का पंखा, मटकी, आम शर्बत आदि प्रमुख रहते है.
श्री गणेश चतुर्थी व्रत 2024, 08 मई (08th May, 2024 - Sri Ganesha Chaturthi)
श्री गणेश की कृ्पा प्राप्त करने के लिये श्री गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता है. श्री गणेश कार्यो को सिद्ध करने वाले, तथा शुभता के प्रतीक है. सभी देवों में सर्वप्रथम श्री गणेश का पूजन किया जाता है. गणेश चतुर्थी के दिन उपवास करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते है. यह चतुर्थी पत्थर चौथ के नाम से भी जानी जाती है.
पंचक प्रारम्भ 2024, 12 मई (Beginning of Panchak 2024, 12th May)
पंचकों में शुभ कार्य आरम्भ नहीं किये जाते है. पंचक लगभग साढे चार दिन के होते है. पंचकों में किसी की मृत्यु हो जाने पर, अंतिम संस्कार करने से पूर्व पांच फूस के पुतले बनाकर, शव के साथ इनका भी विधिवत संस्कार किया जाता है. इससे पंचक की अशुभता में कमी होती है. पंचक समय के लिये वर्जित कार्यो में ईंधन एकत्रित करना, छत डालना, दक्षिण दिशा की यात्रा और छत डालना प्रमुख है.
अमावस्या 2024, 19 मई (New Moon 2024, 19th May)
शुक्ल पक्ष प्रारम्भ होने से ठिक एक दिन पहले अमावस्या होती है. अमावस्या के दिन पितरों की शात्नि से संबन्धित कार्य किये जाते है. पितर दोष से मुक्त होने के लिये अमावस्या के दिन पूर्वजों का नाम ले, तर्पण करना, तथा चावलों कि खीर बनाकर, कौओं को रोटी और खीर का भोग लगाने का कार्य इस दिन किया जाता है. इसके अतिरिक्त जिन्हें संतान प्राप्त करने में परेशानियां हो रही हों, उनके लिये भी अमावस्या का पूजन कल्याणकारी रहता है.
श्री दुर्गाष्टमी 2024, 28 मई (Sri Durgashtami 2024, 28th May)
श्री दुर्गाष्टमी 28 मई 2024 के दिन मनाई जायेगी. इस दिन श्री दुर्गा के शक्ति रुप की पूजा करके खीर सहित विविध पकवानों का भोग लगाने की परम्परा है. दुर्गाष्टमी का यह पर्व पूर्ण श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया जाता है. कंजकाओं का पूजन और कंजकाओं को हलवा पूरी का भोग लगा कर दक्षिणा सहित उन्हें वस्तुएं दान करना शुभ रहता है.
श्री गंगा दशहरा पर्व 2024, 30 मई (Sri Ganga Dusshra Festival 2024, 30th May)
श्री गंगा दशहरा के दिन, गंगा के श्रद्धालुओं व स्नान करने वालों की भीड लगी रहती है. प्रात: काल में श्री गंगा का पूजन पुष्प, अक्षत, चन्दन, गुड, धूप-दीप, नारियल आदि फलों सहित करना चाहिए. इस दिन पूजन पूर्वक स्नान-दान स्रोत्र पाठ करने से कायिक व मानसिक आदि सब प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है. यूं तो गंगां स्नान करना सदैव से ही शुभ रहा है. गंगा घाटों पर सुबह से श्रद्धालुओं की भारी भीड लगने लग जाती है.
निर्जला एकादशी व्रत 2024, 31 मई (Nirjala Ekadashi 2024, 31st May)
प्रत्येक पक्ष की एकदशी तिथि को एकादशी व्रत रखा जाता है. 31 मई, 2024 के दिन निर्जला एकादशी का व्रत रहेगा. अपने नाम के अनुसार यह व्रत जल ग्रहण किये बिना ही किया जाता है.