भाद्रपद मास के पर्व: भाद्रपद संक्रान्ति 2024, 17 अगस्त (Festival in the Month of Bhadrapada : Bhadrapada Sankranti 2024, 17th August)

sankranti 17august 2024 भाद्रपद संक्रांति, में सूर्य सिंह राशि में 17 अगस्त 2024 को प्रवेश करेंगे. भाद्रपद संक्रान्ति बृहस्पतिवार को 13:32 मिनट पर आरंभ होगी. 30 मुहूर्ति इस संक्रान्ति का पुण्य काल समय प्रात:काल 07:08 बाद से आरंभ होगा.


श्री गणेश (बहुला) चतुर्थी व्रत 2024, 03 सितंबर (Fast of Sri Ganesh (Bahula) Chaturthi 2024, 03rd September)

भाद्रपद मास के कृ्ष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को श्री गणेश चतुर्थी व्रत रखा जायेगा. इस तिथि के दिन भगवना श्री गणेश का पूजन लड्डुओं और दुर्वा से किया जाता है. चतुर्थी का व्रत करने वाले व्यक्ति को कार्यसिद्धि की प्राप्ति होती है. तथा उसके जीवन में शुभता और धन बना रहता है. श्री गणेश का पूजन सभी देवों में सबसे पहले किया जाता है.


यह व्रत कामना पूर्ति, जीवन साथी, संतान और धन- समृ्द्धि के लिये किया जाता है. इसके अतिरिक्त जो जन शारीरिक या आर्थिक कष्टों का सामना कर रहा हो, उसके लिये इस व्रत का महत्व ओर भी बढ जाता है.


श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत 2024 - 06/07 सितंबर (Fast of Sri Krishna Janmashtami 2024 - 06th/07th September)

भगवान श्री कृष्ण का अवतार भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र व वृ्षभ लग्न समय में अर्धरात्रि के समय हुआ था. प्रत्येक वर्ष पंचाग के अनुसार ये सभी योग एक साथ नहीं मिल पाते है. ऎसे में भाद्रपद की अष्टमी की अर्धरात्रि में जितने योग मिल जायें, उन्हें ध्यान में रखते हुए, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत कर लिया जाता है.


श्री कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत को करने के विषय में दो मत प्रचलित है.


श्री कृष्ण जन्माष्टमी (समार्त) (Sri Krishna Janmashtami (Samart))

एक मत के अनुसार जिस रात्रि श्री कृ्ष्ण भगवान का जन्म हुआ है. उस दिन उपवास करना चाहिए. तथा दूसरे मत के अनुसार जिस रात्रि मं भगवान कृ्ष्ण जन्म लेते है, उसके बाद के दिन को जन्मोत्सव के रुप में मनाते हुए, जन्माष्टमी का व्रत किया जाता है.

पहला मत पंजाब, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, दिल्ली आदि के ग्रहस्थी लोग सहस्त्र वर्षों से मना इसी परम्परा का पालन करते हुए सप्तमी युक्ता, अर्धरात्रि कालीन वाली अष्टमी को व्रत-उपासना आदि कार्य किये जाते है.


श्री कृष्ण जन्माष्टमी (वैष्णव) (Sri Krishna Janmashtami (Vaishnav))

जबकि मथुरा, वृंदावन सहित उतरप्रदेश, बिहार, महाराष्टृ आदि प्रदेशों में उदय कालीन अष्टमी, जन्मोत्सव बनाया जाता है. इस अवधि में व्रत का संकल्प, जप अनुष्ठान कार्य किया जा सकता है.


अजा एकादशी व्रत 2024 - 10 सितंबर (Aja Ekadashi 2024 - 10th September)

एक वर्ष में 24 एकादशी हो सकती है. तथा जिस वर्ष में अधिमास हो उस वर्ष में 26 एकादशी हो सकती है. भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी को प्रबोधिनी जया कामिनी तथा अजा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. एकादशी तिथि में श्री विष्णु का व्रत, स्मरण और रात भर जाग कर विष्णु स्तोत्रों का पाठ करना पुन्य फल देता है.


हरितालिका तृ्तिया, गौरी तीज 2024, 18 सितंबर (Hariayalika Tritika, Gouri Teej 2024, 18th September)

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि अर्थात तृतीया के दिन श्रद्धा, विश्वास और हर्ष के साथ हरितालिका व्रत किया जाता है. यह व्रत स्त्रियों के द्वारा किया जाता है. इस व्रत में फलाहार न करके निर्जल उपवास किया जाता है. उपवास के दिन श्री शिव परिवार का पूजन किया जाता है. इस परिवार में श्री शिव स्वयं, माता पार्वती जी, तथा पुत्र श्री गणेश है.


कलंक चतुर्थी 2024, 18 सितंबर (Kalank Chaturthi 2024, 18th September)

भाद्रपद, शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, श्री गणेश चतुर्थी तथा कलंक चतुर्थी के नाम से जानी जाती है. इस चतुर्थी के दिन चन्द्र के दर्शन नहीं किये जाते है. इस दिन के विषय में यह मान्यता है कि इस दिन जो जन चन्द्र के दर्शन करता है उस पर झूठे कलंक लगने की संभावनाएं रहती है.


कलंक चतुर्थी के दिन प्रात: काल में स्नान आदि से निवृत होकर, श्री गणेश का पूजन कर उपवास किया जाता है. चन्द्र उदय के समय, श्री गणेश को भोग, पूजन कर चन्द्र को जल का अर्ध्य देकर स्वयं भी भोग का सेवन किया जाता है. इस उपवास में विशेष बात यह है कि अर्ध्य देते समय चन्द्र की ओर नहीं देखा जाता है. आंखों को नीचे रखते हुए ही चन्द्र अर्ध्य दिया जाता है.


पद्मा एकादशी 2024 - 25/26 सितंबर (Padma Ekadashi 2024 - /25 26th September)

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पडने वाली एकादशी पद्मा एकादशी कहलाती है. एकादशी व्रत करने पर अनेक गौ दान करने के बराबर पुन्य प्राप्त होने के विषय में कहा गया है. इस दिन उपवास कर, पांच रंगों का प्रयोग कर पद्म बनाकर विष्णु जी कि पूजा- अर्चना की जाती है.