मकर संक्रान्ति स्नान (Makar Sankranti Dip and Bathing)

Makar Sankranti snan मकर संक्रांन्ति धार्मिक एवं आध्यात्मिक रूप से श्रेष्ठ पर्व के रूप में जाना जाता है. इस दिन सूर्य के उत्तरायाण में प्रवेश करने से देवलोक में रात्रि समाप्त होती है और दिन की शुरूआत होती है. देवलोक का द्वारा जो सूर्य के दक्षिणायण होने से 6 महीने तक बंद होता है मंकर संक्रान्ति के दिन खुल जाता है. इस दिन जो पुण्य कर्म किये जाते हैं उनका शुभ फल प्राप्त होता है. मकर संक्रान्ति में स्नान एवं दान का भी बड़ा ही महात्मय शास्त्रों में बताया गया है.


स्नान का अर्थ शुद्धता एवं सात्विकता है. अत: स्नान को किसी भी शुभ कर्म से पहले करने का विधान भारतीय धर्म ग्रंथों में बताया गया है. इस दिन चुंकि कई प्रकार से धार्मिक आयोजन किये जाते हैं अत: स्नान का महत्व अधिक हो जाता है. मकर राशि में सूर्य के प्रवेश से सूर्य का सत्व एवं रज गुण बढ़ जाता है जो सूर्य की प्रखर किरणों से हमारे शरीर में प्रवेश करता है. यह अलौकिक किरणें हमारे शरीर को ओज, बल और स्वास्थ्य प्रदान करे, अत: इन किरणों को ग्रहण करने हेतु तन-मन की शुद्धि के लिए पुण्यकाल में स्नान करने का विधान बताया गया है.


मकर संक्रान्ति में पुण्य काल में स्नान का महत्व (The Importance of Punya Kala in Makar Sankranti)

भारतीय धर्म ग्रंथों के अनुसार प्रात: सूर्योदय से कुछ घंटे पहले का समय पुण्य काल माना जाता है. मकर संक्रांति के अलावा, कार्तिक पूर्णिमा, माघ पूर्णिमा, गंगा दशहरा, मौनी अमावस्या ये कुछ पर्व हैं जिनमें पुण्य काल में स्नान करना अत्यंत पुण्य फलदायी माना गया है. धर्मशास्त्रों के मुताबिक इन अवसरों पर जल में देवताओं एवं तीर्थों का वास होता है. अत: इन अवसरों में नदी अथवा सरोवर में स्नान करना चाहिए. मान्यता यह भी है कि सूर्योदय से पूर्व स्नान दुग्ध स्नान का फल देता है अत: इन अवसरों पर पूर्ण शुद्धि हेतु पुण्य काल में स्नान करने की परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है.


मकर संक्रान्ति में गंगा स्नान का महात्मय (The Significance of Ganga-Snan in Makar Sankranti)

गंगा को स्वर्ग की नदी माना जाता है. यह पृथ्वी पर भगीरथ के तप से आयी और सगर के पुत्रों का उद्धार करते हुए सागर में मिल गयी. जिस दिन गंगा सागर में मिली थी वह मकर संक्रान्ति का दिन था. इसलिए मकर संक्रान्ति के दिन गंगा स्नान का पुण्य कई गुणा बताया गया है. कोलकाता में गंगा सागर में स्नान के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु जमा होते हैं वहीं, इलाहाबाद में भी संगम तट पर अपार जन समुदाय स्नान-दान के लिए आते हैं. इलाहाबाद में मकर संक्रान्ति से एक महीने का कल्पवास भी प्ररम्भ होता है जिसकी परम्परा रामायण काल से चली आ रही है.


माना जाता है कि अमृत मंथन के समय देव-दानव के बीच अमृत कलश के लिए संघर्ष हुआ था उसमें अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदें इलाहाबाद में संगम तट पर, हरिद्वार में गंगा के तट पर, नाशिक में गोदावरी के तट पर, उज्जैन में शिप्रा के तट पर गिरी थी. जिससे नदियों का यह तट पुण्य स्थान माना जाता है. इन स्थानों पर भी मकर संक्रान्ति के दिन स्नान करके श्रद्धालु पुण्य अर्जित करते हैं.


अगर आपके लिए यह संभव न हो कि आप गंगा स्नान के लिए इस दिन गंगा तट पर जा सकें तो घर में ही स्नान के लिए जो जल हो उसमें गंगा जल मिलाकर स्नान करते हुए "ॐ ह्रीं गंगाय्ये ॐ ह्रीं स्वाहा" मंत्र जप करें तो घर में ही गंगा स्नान का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं.