मकर संक्रांति पर दान और स्नान का महात्मय (Makar Sankranti-Donation and Dip Festival)

Makar Sankranti Donation मकर संक्रान्ति के शुभ पर्व पर हरिद्वार, काशी आदि तीर्थों पर स्नानादि का विशेष महत्व होता है. इस दिन सूर्य देव के अतिरिक्त विष्णु देव की पूजा - उपासना भी की जाती है. जो भक्तजन तीर्थ स्थलों में यह कार्य न कर पायें. उन्हें घर में ही श्रद्धापूर्वक स्नान कर, तीर्थों व उनमें निवास करने वाले देवों का स्मरण कर लेना चाहिए.


सूर्य पूजा के विशेष पुष्प (Worshipping Sun During Makar Sankranti)

शास्त्रीय सिद्धान्त और तंत्र विधानुसार सूर्य पूजा करते समय श्वेतार्क तथा रक्त रंग के पुष्पों का विशेष महत्व है. इस दिन सूर्य की पूजा करने के साथ साथ सूर्य को दिये जाने वाले अर्ध्य में भी इन्हीं पुष्पों को डालना चाहिए


मकर संक्रान्ति दान का महत्व (The importance of donation on Makar Sankranti)

आज के दिन धार्मिक साहित्य भी धर्म स्थलों में दान किये जाते है. पुन्य प्राप्त करने के इस सुवसर का प्रत्येक व्यक्ति को लाभ उठाना चाहिए. फिर भी यह शास्त्रों में कहा गया है कि तुम यह सब न कर सको तो भी कोई हर्ज नहीं, किन्तु हरिनाम का स्मरण कर अम्रत रस तो पिया जा सकता है. इस दिन व्यक्ति तिलों के साथ अपने अहमं का भी दान कर दें, तो सर्वोतम रहता है. साथ ही मकर संक्रान्ति के दिन स्वयं को परम पिता परमात्मा को समर्पित कर देने से चौरासी लाख योनियों में भटकने से मुक्ति मिलती है.


मकर संक्रान्ति के दिन तिल का दान करें (Donate Sesame Seeds on Makar Sankranti)

मकर संक्रान्ति के दिन संक्रान्ति के दिन दान करने का महत्व अन्य दिनों की तुलना में बढ जाता है. इस दिन व्यक्ति को यथासंभव किसी गरीब को अन्नदान, तिल व गुड का दान करना चाहिए. तिल या फिर तिल से बने लड्डू या फिर तिल के अन्य खाद्ध पदार्थ भी दान करना शुभ रहता है.


मकर संक्रान्ति दान करते समय विशेष बातें (Important Precautions While Donating on Makar Sankranti)

मकर संक्रान्ति के दिन सभी दान करते है, लेकिन दान के पीछे जुडी भावना सभी कि एक समान नहीं होती है. हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार कोई भी धर्म कार्य तभी फल देता है, जब वह पूर्ण आस्था व विश्वास के साथ किया जाता है. इसके साथ ही सबसे अधिक जरूरी होता है.

  1. धर्म कार्य को करते हुए निस्वार्थ भावना का होना.

  2. कोई व्यक्ति इस विचार से दान करते है कि दान करने से उसकी कोई इच्छा विशेष पूरी हो जायेगी. या फिर उसने इस दिन दान नहीं किया तो उसका अहित होगा, इस भावना से दान करना, दान न होकर कोई व्यापारी सौदा करना ही है. दान इस विचार से कदापि न करें, की एक दान करने से हमारे सारे पाप धुल जायेगें.

  3. दान करने के बाद दान पर किये गये व्यय को लेकर किसी प्रकार की चिन्ता करने से दान के पुन्य़ फलों में कमी होती है. इसलिये जितना सहजता से दान कर सकते है, केवल उतना दान करें, उधार लेकर या दबाव में आकर अधिक दान करने से बचें.

  4. इसके अतिरिक्त दान के पूर्ण फल प्राप्त करने के लिये यह आवश्यक है कि दान करने पर जो भी व्यय किया जा रहा है, वह मेहनत और ईमानदारी की कमाई का होना चाहिए. गलत तरीकों से कमाये गये धन से वस्तुएं लेकर दान करना, शुभ न होकर अशुभ फल ही देता है.