दुर्गा के नौ रुपों की कथा (Story of Navadurga in Hindi)
नवरात्रों में देवी के नौ रुपों की पूजा कि जाती है.
1. महाकाली जन्म कथा (Maha Kali Birth Story)
एक बार जब पूरा संसार प्रलय से ग्रस्त हो गया था. चारों ओर पानी ही पानी दिखाई देता था. उस समय भगवान विष्णु की नाभि से एक कमल उत्पन्न हुआ. उस कमल से ब्रह्मा जी निकलें, इसके अलावा भगवान नारायण के कानों में से कुछ मैल भी निकला, उस मैल से कैटभ और मधु नाम के दो दैत्य बन गये. जब उन दैत्यों ने चारों, ओर देखा तो ब्रह्मा जी के अलावा उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं दिया.
ब्रह्रा जी को देखाकर वे दैत्य उनको मारने को दौड पडें. तब भयभीत होकर ब्रह्माजी ने विष्णु भगवान कि स्तुति की. स्तुति से विष्णु भगवान की आंखों में जो महामाया ब्रह्मा की योगनिद्रा के रुप में निवास करती थी, वह लोप हो गई. ओर विष्णु भगवान की नींद खुल गई. उनके जागते ही दोनों दैत्य भगवान विष्णु से लडने लगें.
भगवान की रक्षा करने के लिये महामाया ने असुरों की बुद्धि को बदल दिया. तब वे असुर विष्णु भगवान से बोले-हम आपके युद्ध से प्रसन्न है. जो चाहों मांग लो. भगवान ने मौका पाकर कहा कि यदि हमें वर देना है, तो वर दो कि दैत्यों का नाश हो नाश हो. दैत्यों ने कहा -ऎसा ही होगा. ऎसा कहते ही दैत्यो का नाश हो गया. जिसने असुरों कि बुद्धि को बदला था वह "महाकाली थी"
2. महालक्ष्मी जन्म कथा (Maha Laxmi Birth Story)
एक समय महिषासुर नाम का दैत्य हुआ करता था. उसने समस्त राजाओं को हराकर पृथ्वी और पाताल पर अपना अधिकार जमा लिया. जब वह देवताओं से युद्ध करने लगा तो देवता भी उससे युद्ध में हारकर भागने लगे. भागते-भागते वे भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उस दैत्य से बचने के लिए स्तुति करने लगे.
देवताओं की स्तुति करने से भगवान विष्णु और शंकर जी सब प्रसन्न हुए, तब उनके शरीर से एक तेज निकला. जिसने महालक्ष्मी का रुप धारण कर लिया. इन्हीं महालक्ष्मी ने महिषासुर दैत्य को युद्ध में मार कर देवताओं के कष्ट दूर किये़
3. महासरस्वती या चामुण्डा देवी जन्म कथा (Maha Saraswati of Chamunda Devi Birth Story)
एक समय शुभ-निशुंभ नाम के दौ देत्य बहुत बलशाली थें. उनसे युद्ध में मनुष्य तो क्या देवता तक हार जाते थें. जब देवताओ ने देखा की अब युद्ध में जीत नहीं सकते, तब उन्होने स्वर्ग छोडकर भगवान श्री विष्णु की स्तुति करने कि सोची. तभी भगवान विष्णु के शरीर में से एक ज्योति प्रकट हुई जो कि महासरस्वती थी. महासरस्वती अत्यंत रुपवान थी.
उनका रुप देखकर दैत्य मुग्ध हो गयें. और अपना सुग्रीव नाम का दुत अपनी इच्छा प्रकट करने के लिये देवी के पास भेजा. उस दूत को देवी ने वापस कर दिया. इसके बाद उन दोनों ने कुछ सोच-समझकर अपने सेनापति धूम्राक्ष को सेना सहित भेजा. जो देवी द्वारा सेना सहित मार दिये गयें. इसके बाद रक्तबीज लडने आया. जिसके रक्त की एक बूंद जमीन पर गिरने से एक वीर पैदा होता था.
वह बहुत बलवान था, उसे भी देवी ने मार गिराया. अंत में चामुण्डा से शुम्भ-निशुम्भ स्वयं दोनों लडने आये और देवी के हाथों मारे गयें. सभी देवता दैत्यों कि मृत्यु के बाद खुश हुए.
4. योगमाया जन्म कथा (Yog Maya Birth Story)
जब कंस ने वसुदेव-देवकी के छ: पुत्रों का वध कर दिया था. और सांतवें गर्भ से शेषनाग बलराम जी आये जो रोहिणी के गर्भ में प्रवेश कर, प्रकट हुए थें. आठवां जन्म कृ्ष्ण का हुआ था. साथ ही साथ गोकुल में यशोदा जी के गर्भ से योगमाया का जन्म हुआ था. जो वसुदेव जी के द्वारा कृष्ण के बदले मथुरा में लाई गई थी.
जब कंस ने कन्या स्वरुपा उस योगमाया को मारने के लिये पटकना चाहा तो वह हाथ से छुट कर आकाश में चली गई. और उसने देवी का रुप धारण कर लिया. आगे चलकर इसी योगमाया ने कृष्ण के साथ योगविद्धा और महाविधा बनकर कंस, चाणुर आदि शक्तिशाली असुरों का संहार करवाया.
5. रक्त दन्तिका जन्म कथा (Rakt Dantika Birth Story)
एक बार वैप्रचिति नाम के असुर ने बहुत से बुरे कर्म करके पृ्थ्वी को व्याकुल कर दिया. उसने मनुष्य ही नहीं बल्कि देवताओं तक को बहुत दु:ख दिया. देवताओं और पृथ्वी की प्रार्थना पर उस समय दुर्गा देवी ने रक्त दन्तिका नाम से अवतार लिया और वैप्रचिति आदि असुरों का मानमर्दन कर डाला. यह देवी असुरों को मारकर उनका रक्त-पान किया करती थी. इस कारण इनका नाम रक्त दन्तिका विख्यात हुआ.
6. शाकुम्भरी जन्म कथा (Shakumbhari Birth Story)
एक समय पृथ्वी पर लगातार सौ वर्ष तक पानी नहीं बरसा. इस कारण चारों और हाहाकार मच गया. सभी जीव भूख-प्यास से व्याकुल हो मरने लगें. उसी समय मुनियों ने मिलकर देवी भगवती की उपासना की. तब जगदम्बा से शाकुम्भरी नाम से स्त्री रुप में अवतार लिया और उनकी कृपा से जल की वर्षा हुई जिससे पृथ्वी के समस्त जीवों को जीवनदान प्राप्त हुआ.
7. श्री दुर्गा जन्म कथा (Sri Durga Birth Story)
एक समय भारतवर्ष में दुर्गम नाम का राक्षस हुआ करता था. उसके डर से पृथ्वी ही नहीं, स्वर्ग और पाताल में निवास करने वाले लोग भी डरते थे. तब देवी ने दुर्गा या दुर्गसेनी के नाम से अवतार लिया. और राक्षस को ब्राह्माणों और हरि भक्तों की रक्षा की. दुर्गम राक्षस को मारने के कारण ही तीनों लोकों में इनका नाम दुर्गा देवी के नाम से प्रसिद्ध हुआ.
8. भ्रामरी जन्म कथा (Bhramari Birth Story)
एक बार महा अत्याचारी अरूण नाम का एक असुर पैदा हुआ. उसने स्वर्ग में जाकर उपद्रव करना शुरु कर दिया. राक्षस देवताओं की पत्नियों का सतीत्व नष्ट करने की कुचेष्ठा करने लगें. अपने सतीत्व की रक्षा करने के लिये देव पत्नियों ने भौरों का रुप धारण कर लिया. और दुर्गा की प्रार्थना करने लगी. देव-पत्नियों को दु:खी जानकर माता दुर्गा ने भ्रामरी का रुप धारण करके उस असुर को उसकी सेना सहित मार डाला और देव-पत्नियों के सतीत्व की रक्षा की.
9. चण्डिका जन्म कथा (Chandika Birth Story)
एक बार पृ्थ्वी पर चंड-मुंड नाम के दो राक्षस पैदा हुए. वे दोनो इतने बलवान थे कि संसार में अपना राज्य फैला लिया और स्वर्ग के देवतओं को हराकर वहां भी अपना अधिकार जला लिया. एक प्रकार देवता बहुत दु:खी हुए और देवी की स्तुति करने लगें. तब देवी चण्डिका के रुप में अवतरित होकर, देवी ने चंड-मुंड नामक राक्षसों को मारकर संसार के दु:ख दूर किए.