हिंदू धर्म में प्रत्येक देवता किसी न किसी ग्रह, दिन और गुण से जुड़े होते हैं. इसी परंपरा के अंतर्गत भगवान मुरुगन जिन्हें कार्तिकेय, स्कंद, कुमारस्वामी और सुब्रमण्यम भी कहा जाता है। भगवान मुरुगन को मंगलवार के दिन विशेष रूप से पूजा जाता है. भगवान मुरुगन भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं और भगवान गणेश के छोटे भाई हैं.
दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु, में मुरुगन को अत्यंत प्रिय और शक्तिशाली देवता माना जाता है. वे शक्ति, विजय, साहस, और आध्यात्मिक ज्ञान के प्रतीक हैं. मंगलवार को मुरुगन की पूजा का विशेष महत्व है. यह दिन न केवल ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक लाभ की दृष्टि से भी अत्यंत फलदायक माना जाता है.
भगवान मुरुगन और मंगल ग्रह का संबंध
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगलवार का संबंध मंगल ग्रह से होता है. मंगल एक उग्र और तेजस्वी ग्रह है, जो जीवन में शक्ति, साहस, आत्मबल और विजय का प्रतीक माना जाता है. भगवान मुरुगन को ज्योतिष में मंगल ग्रह का अधिपति माना गया है. मुरुगन स्वयं सेनापति हैं देवताओं की सेना के सेनानायक और वे युद्ध, पराक्रम और विजय के देवता हैं. मंगल ग्रह की उग्रता जीवन में दुर्घटनाएं, क्रोध, विवाद, शारीरिक कष्ट, और वैवाहिक कलह का कारण बन सकती है. ऐसे में भगवान मुरुगन की पूजा करने से न केवल मंगल के दुष्प्रभाव शांत होते हैं, बल्कि जीवन में संतुलन, ऊर्जा और सफलता भी प्राप्त होती है.
भगवान मुरुगन पूजा विशेष
साहस और आत्मविश्वास की प्राप्ति
मंगलवार को भगवान मुरुगन की आराधना करने से मनुष्य में साहस, आत्मबल, और आत्मविश्वास उत्पन्न होता है. वे अपने भय और असमंजस को दूर कर पाने में समर्थ होता है. यह गुण विशेष रूप से छात्रों, युवाओं, और उन लोगों के लिए आवश्यक हैं जो जीवन में कठिन संघर्षों का सामना कर रहे हैं.
विजय और सफलता का मार्ग
भगवान मुरुगन की पूजा से व्यक्ति को अपने कार्यों में सफलता प्राप्त होती है. जीवन में जो लोग बार-बार असफल हो रहे होते हैं, उन्हें मुरुगन की कृपा से सही मार्गदर्शन और विजय का आशीर्वाद मिलता है. वे नकारात्मक विचारों से ऊपर उठकर एक सकारात्मक और उद्देश्यपूर्ण जीवन की ओर अग्रसर होते हैं.
कुज दोष से मुक्ति
जिनकी कुंडली में कुज दोष यानि मंगल दोष होता है, उनके वैवाहिक जीवन में समस्याएँ आती हैं. विवाह में देरी, झगड़े, असंतोष और तलाक जैसी स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं. मुरुगन की पूजा मंगलवार को नियमित रूप से करने से कुज दोष के प्रभाव कम होते हैं और वैवाहिक जीवन में स्थायित्व आता है.
स्वास्थ्य में सुधार
भगवान मुरुगन की पूजा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है. आयुर्वेद और योग से जुड़े तंत्रों में भी मंगल को शरीर की ऊर्जा और रक्तसंचार से जोड़ा गया है. इसलिए मंगल ग्रह के संतुलन से व्यक्ति में ऊर्जा, बल, और स्वास्थ्य की वृद्धि होती है.
मानसिक शांति और ध्यान की गहराई
भगवान मुरुगन को ज्ञान और भक्ति का प्रतीक भी माना जाता है. वे उन भक्तों को विशेष कृपा देते हैं जो ध्यान और साधना के माध्यम से ईश्वर से जुड़ना चाहते हैं. मंगलवार को मुरुगन की पूजा करने से ध्यान केंद्रित होता है और आत्मज्ञान की ओर यात्रा सुगम होती है.
मुरुगन पूजा की विधि
मंगलवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र पहनें. घर के द्वार पर सुंदर कोलम रंगोली बनाएं यह मुरुगन को आमंत्रित करने का पारंपरिक तरीका है. मुरुगन की मूर्ति या चित्र को पुष्पों और मालाओं से सजाएं. भगवान मुरुगन को पंचामृतम दूध, दही, घी, शहद और केला का मिश्रण बहुत प्रिय है. इसके अलावा आप उन्हें मिठाइयां, विशेषकर ‘पाल पायसम’ और ‘वेल्लम’ गुड़ का भोग अर्पित कर सकते हैं. मंगलवार को पूर्ण या आंशिक व्रत रखा जा सकता है. जो लोग पूर्ण व्रत नहीं रख सकते, वे फल, दूध या सिर्फ एक बार सात्विक भोजन ले सकते हैं.
मुरुगन मंत्र जाप
“ॐ सरवणभवाय नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए. ‘कंधा षष्ठी कवस्म’, ‘कंधा गुरु कवस्म’ और ‘सुब्रमण्यम भुजंगम्’ जैसे स्तोत्रों का पाठ करना चाहिए.
मंगलवार को मुरुगन की पूजा और व्रत के विशेष प्रकार
हर मंगलवार को व्रत रखने का यह सबसे सामान्य तरीका है. श्रद्धा और नियम से हर मंगलवार को पूजा कर कुज दोष से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है. मुरुगन का जन्म कार्तिगई नक्षत्र में हुआ था. इस नक्षत्र के दिन व्रत और पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है. चंद्र पक्ष की षष्ठी तिथि को मुरुगन की पूजा का विशेष महत्व है. विशेषकर कंधा षष्ठी पर उपवास रखने और कावसम का पाठ करने से जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन आ सकते हैं.
मंगलवार को मुरुगन की पूजा लाभ
परिवार में सुख और शांति का आशीर्वाद मिलता है। मुरुगन की पूजा से परिवार में शांति, एकता, प्रेम और सामंजस्य बना रहता है. जो लोग पारिवारिक कलह से परेशान होते हैं, उन्हें यह पूजा अत्यंत लाभकारी होती है. विवाह में विलंब का निवारण होता है। अविवाहित युवक-युवतियां जो विवाह में विलंब का सामना कर रहे होते हैं, उन्हें मंगलवार को मुरुगन की पूजा और व्रत रखने से शीघ्र और शुभ विवाह की प्राप्ति होती है. संतान सुख मिलता है। माता-पिता अपने बच्चों के लिए भी मुरुगन से प्रार्थना करते हैं. भगवान मुरुगन बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य और चरित्र में श्रेष्ठता प्रदान करते हैं.
मंगलवार को मुरुगन पूजा महत्व
मंगलवार को मुरुगन की पूजा करने से व्यक्ति मानसिक रूप से केंद्रित और सकारात्मक रहता है. नियमित व्रत और ध्यान से शरीर में विषैले तत्वों की मात्रा घटती है और शरीर हल्का और ऊर्जावान महसूस करता है. इसके साथ ही यह आत्मनियंत्रण और अनुशासन को भी बढ़ावा देता है. मंगलवार को भगवान मुरुगन की पूजा करना न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है बल्कि ज्योतिषीय, मानसिक, शारीरिक और पारिवारिक जीवन को भी संतुलित करता है.
यह दिन एक ऐसा अवसर है जब हम अपने जीवन की बाधाओं से ऊपर उठकर साहस, शक्ति और विजय के पथ पर अग्रसर हो सकते हैं. भगवान मुरुगन के प्रति श्रद्धा और समर्पण से ही भक्तों को वह शक्ति प्राप्त होती है जो उन्हें जीवन के प्रत्येक युद्ध में विजयी बनाती है. इसीलिए दक्षिण भारत ही नहीं, बल्कि पूरे देश में मंगलवार को मुरुगन की पूजा का एक विशेष स्थान है.