अगहन मास भक्ति और समर्पण से भरा होता है. ऎसे में इस माह में आने वाली अमावस्या को अगहन अमावस्या के नाम से जाना जाता है. साल भर में आने वाली सभी अमावस्या में से विशेष यह अगहन अमावस्या काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. अगहन अमावस्या के समय पर श्री विष्णु पूजन किया जाता है और साथ में पितरों को याद करते हैं. चातुर्मास के बाद आने वाली इस अमावस्या को पितरों के लिए विशेष माना जाता है.
इस वर्ष अगमन अमावस्या कब है?
इस साल अगहन अमावस्या 01 दिसंबर 2024 के दिन मनाई जाएगी. अगहन माह समय पर भगवान श्री कृष्ण पूजन का बहुत महत्व माना गया है. इस महीने में धार्मिक स्थलों पर जाना और तर्पण करना शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस महीने में पितृ पूजा करने से पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष मिलता है. जो लोग श्राद्ध नहीं कर पाए हैं वे इस महीने की अमावस्या पर मृत पितरों की मुक्ति के लिए तर्पण कर सकते हैं.
अगहन अमावस्या पितरों का विशेष समय
अमावस्या के दिन पितरों को भोजन कराकर उन्हें प्रसन्न करना बहुत महत्वपूर्ण होता है. धर्म ग्रंथों शास्त्रों के अनुसार, यह अगहन महीना पूरी तरह से भगवान कृष्ण को समर्पित है. धर्म गीता में उल्लेख है कि भगवान कृष्ण ने स्वयं कहा है कि वह अन्य सभी महीनों में से अगहन माह है. सतयुग में देवता अगहन माह के पहले दिन को वर्ष का आरंभ मानते थे.
इस पवित्र महीने में लोगों को गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है, उन्हें इस विशेष दिन पितृ तर्पण अवश्य करना चाहिए और अगहन अमावस्या पर पितृ पूजा भी की जाती है. कुछ लोग पिंडदान भी करते हैं, जिससे पितरों को मुक्ति और शांति मिलती है.
अगहन अमावस्या स्नान दान महिमा
अगहन अमावस्या के दौरान स्नान दान की विशेष महिमा मानी गई है. इस समय भक्त भजन और कीर्तन जैसे धार्मिक कार्यों को करते हैं. इस महीने को मगसर और अगहन के नाम से भी जाना जाता है. इस माह में नदियों में स्नान करना चाहिए तथा दान करना विशेष होता है. शुभ फल प्रदान करता है.
इस समय पर तुलसी के पौधे की जड़ में जल अर्पित करना चाहिए. स्नान करते समय नारायणाय मंत्र या गायत्री मंत्र का जाप करना शुभस्थ होता है. इस पूरे माह में भक्त भजन, कीर्तन आदि करने की महिमा है. इस माह में सुबह-सुबह धर्म नगरियों में भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है. अगहन अमावस्या का महत्व कार्तिक, माघ, वैशाख आदि अन्य महीनों की तरह इस माह में भी गंगा नदी में स्नान करना पवित्र माना जाता है.
अगहन अमावस्या पूजा नियम
अगहन अमावस्या के नियम काफी विशेष होता है. अगहन अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठ कर सूर्य नमस्कार और पवित्र स्नान करते हैं. इस दिन दीया जलाते हें और दीप दान किया जाता है. पितरों की पूजा करते हैं. ब्राह्मण या पुजारी को सात्विक भोजन अर्पित करते हैं. पुजारी या ब्राह्मण के माध्यम से पितृ तर्पण करवाया जाता है. इस दिन कई लोग पवित्र स्नान करने के लिए गंगा, यमुना, शिप्रा, नर्मदा या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं. गरीब लोगों को भोजन, कपड़े और दक्षिणा दान करते हैं.
प्राचीन शास्त्रों के अनुसार, सर्वशक्तिमान ईश्वर से पहले मृत पितरों को प्रसन्न करना बहुत महत्वपूर्ण है. जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष है, संतान सुख से वंचित हैं या नवम भाव में राहु नीच का है, उन्हें इस अमावस्या पर व्रत अवश्य रखना चाहिए. इस व्रत को पूरा करने से मनोवांछित फल मिलता है.
विष्णु पुराण के अनुसार इस व्रत को करने से सभी देवता ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अश्विनी कुमार, सूर्य, अग्नि, पक्षी, पशु, दुष्टों के साथ-साथ मृत पितरों को भी प्रसन्न किया जा सकता है. इस माह में भगवान कृष्ण का विशेष महत्व है. भगवद् गीता में भगवान कृष्ण स्वयं कहते हैं कि वे सभी महीनों में अगहन माह हैं. सतयुग में देवगण अगहन माह के प्रथम दिन को वर्ष का आरंभ मानते थे.
अगहन अमावस्या और मृगशिरा नक्षत्र विशेष
अगहन अमावस्या समय पर किए गए धार्मिक कार्यों का बहुत महत्व माना जाता है. अगहन अमावस्या पर श्री कृष्ण, चंद्र देव, सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए क्योंकि इससे सभी समस्याओं और पापों से मुक्ति मिलती है. अगहन मास की अमावस्या में दान-पुण्य का विशेष महत्व माना जाता है. व्रतियों को इस दिन भगवान हरि की पूजा करनी चाहिए, अमावस्या कथा का पाठ करने से सुखद फल की प्राप्ति होती है. अगहन मास अगहन मास की शुरुआत भगवान कृष्ण की भक्ति में मनाई जाती है. इस महीने का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से है.
इस महीने की पूर्णिमा तिथि मृगशिरा नक्षत्र से शुरू होती है. यही कारण है कि इस महीने को अगहन मास के नाम से जाना जाता है. इस महीने को मगसर, अगहन और अग्रहायण के नाम से भी जाना जाता है. इस महीने में दान, स्नान आदि का बहुत महत्व है. भगवान कृष्ण ने गोपियों को इस महीने का महत्व बताते हुए कहा था कि इस महीने में यमुना नदी में स्नान करने से व्यक्ति उनके करीब हो जाता है. इसलिए इस महीने में नदी में स्नान करना अत्यंत पवित्र माना जाता है.