माँ भुवनेश्वरी शक्ति का आधार हैं तथा प्राणियों का पोषण करने वाली हैं. माँ भुवनेश्वरी जी की जयंती इस वर्ष 15 सितंबर 2024,के दिन मनाई जाएगी. यही शिव की लीला-विलास सहभागी हैं. इनका स्वरूप कांति पूर्ण एवं सौम्य है. चौदह भुवनों की स्वामिनी मां भुवनेश्वरी दस महाविद्याओं में से एक हैं. शक्ति सृष्टि क्रम में महालक्ष्मी स्वरूपा हैं. देवी के मस्तक पर चंद्रमा शोभायमान है.
तीनों लोकों को तारण करने वाली तथा वर देने की मुद्रा अंकुश पाश और अभय मुद्रा धारण करने वाली माँ भुवनेश्वरी अपने तेज एवं तीन नेत्रों से युक्त हैं. देवी अपने तेज से संपूर्ण सृष्टि को देदीप्यमान करती हैं. मां भुवनेश्वरी की साधना से शक्ति, लक्ष्मी, वैभव और उत्तम विद्याएं प्राप्त होती हैं. इन्हीं के द्वारा ज्ञान तथा वैराग्य की प्राप्ति होती है. इसकी साधना से सम्मान प्राप्ति होती है.
देवी भुवनेश्वरी स्वरुप | Appearance of Goddess Bhuvaneshwari
माता भुवनेश्वरी सृष्टि के ऐश्वयर् की स्वामिनी हैं. चेतनात्मक अनुभूति का आनंद इन्हीं में हैं. विश्वभर की चेतना इनके अंतर्गत आती है. गायत्री उपासना में भुवनेश्वरी जी का भाव निहित है. भुवनेश्वरी माता के एक मुख, चार हाथ हैं चार हाथों में गदा-शक्ति का एवं दंड-व्यवस्था का प्रतीक है. आशीर्वाद मुद्रा प्रजापालन की भावना का प्रतीक है यही सर्वोच्च सत्ता की प्रतीक हैं. विश्व भुवन की जो, ईश्वर हैं, वही भुवनेश्वरी हैं.
इनका वर्ण श्याम तथा गौर वर्ण हैं. इनके नख में ब्रह्माण्ड का दर्शन होता है. माता भुवनेश्वरी सूर्य के समान लाल वर्ण युक्त दिव्य प्रकाश से युक्त हैं. इनके मस्तक पर मुकुट स्वरूप चंद्रमा शोभायमान है. मां के तीन नेत्र हैं तथा चारों भुजाओं में वरद मुद्रा, अंकुश, पाश और अभय मुद्रा है.
माँ भुवनेश्वरी मंत्र | Maa Bhuvaneshwari Mantra
माता के मंत्रों का जाप साधक को माता का आशीर्वाद प्रदान करने में सहायक है. इनके बीज मंत्र को समस्त देवी देवताओं की आराधना में विशेष शक्ति दायक माना जाता हैं इनके मूल मंत्र “ऊं ऎं ह्रीं श्रीं नम:” , मंत्रः “हृं ऊं क्रीं” त्रयक्षरी मंत्र और “ऐं हृं श्रीं ऐं हृं” पंचाक्षरी मंत्र का जाप करने से समस्त सुखों एवं सिद्धियों की प्राप्ति होती है.
श्री भुवनेश्वरी पूजा-उपासना | Rituals to worship Shri Bhuvaneshwari
माँ भुवनेश्वरी की साधना के लिए कालरात्रि, ग्रहण, होली, दीपावली, महाशिवरात्रि, कृष्ण पक्ष की अष्टमी अथवा चतुर्दशी शुभ समय माना जाता है. लाल रंग के पुष्प , नैवेद्य ,चंदन, कुंकुम, रुद्राक्ष की माला, लाल रंग इत्यादि के वस्त्र को पूजा अर्चना में उपयोग किया जाना चाहिए. लाल वस्त्र बिछाकर चौकी पर माता का चित्र स्थापित करके पंचोपचार और षोडशोपचार द्वारा पूजन करना चाहिए.
भुवनेश्वरी जयंती महत्व | Significance of Bhuvaneshwari Jayanti
माँ भुवनेश्वरी जयंती के अवसर पर त्रैलोक्य मंगल कवचम्, भुवनेश्वरी कवच,श्री भुवनेश्वरी पंजर स्तोत्रम का पाठ किया जाता है. जप, हवन, तर्पण करने के साथ ही साथ ब्राह्मण और कन्याओं को भोजन कराया जाता है. माता भुवनेश्वरी का श्रद्धापूर्वक पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. देवी की भक्ति, भक्त को अभय प्रदान करती हैं. जीव जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति पाता हे. तथा भगवती की कृपा का पात्र बनता है.
इनहीं की शक्ति से संसार का सारा संचालन होता है. यह समस्त को पूर्ण करती हैं. इनके बीज मंत्र से ही सृष्टि की रचना हुई है. इन्हें राज राजेश्वरी भी कहा जाता हैं. यह दयालु हैं, सभी का पालन करती हैं, इनकी कृपा से भक्त को उस दिव्य दर्शन की अनुभूति प्राप्त होती है जो मोक्ष प्रदान करे.
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