विष्णु पुराण के अनुसार एक बार भगवान विष्णु के मुख से चन्दमा के समान प्रकाशिए बिन्दू प्रकट होकर पृथ्वी पर गिरा. उसी बिन्दू से आमलक अर्थात आंवले के महान पेड की उत्पति हुई. भगवान विष्णु के मुख से प्रकट होने वाले आंवले के वृक्ष को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है. इस फल के महत्व के विषय में कहा गया है, कि इस फल के स्मरणमात्र से रोग एवं ताप का नाश होता है तथा शुभ फलों की प्राप्ति होती है. यह फल भगवान विष्णु जी को अत्यधिक प्रिय है. इस फल को खाने से तीन गुना शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
आंवला एकादशी पूजा | Amla Ekadashi Worship
आंवला एकादशी अर्थात आमलकी एकादशी इसी नाम से जाना जाता है यह एकादशी व्रत. फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाने वाला यह व्रत व्यक्ति को रोगों से मुक्ति दिलाने वाला होता है. इस व्रत में आंवले के वृक्ष की पूजा करने का विधि-विधान है. आंवला एकादशी का व्रत 20 मार्च 2024 को रखा जाना है.
इस व्रत के विषय में कहा जाता है, कि यह एकादशी समस्त पापों का नाश करने वाली है. इस व्रत में आंवले के पेड का पूजन किया जाता है. आंवले के वृक्ष के विषय में यह मत है, कि इसकी उत्पति भगवान श्री विष्णु के मुख से हुई है.
आंवला एकादशी कथा | Amla Ekadashi Story
प्राचीन काल में एक नगर था उस राज्य में सभी सुखी थे और भक्ति भाव से श्री विष्णु जी की पूजा एवं आराधना किया करते थे. राजा और प्रजा दोनों मिलकर एकादशी व्रत करते थे. एक बार एकादशी व्रत करने के समय सभी जन मंदिर में जागरण कर रहे थे. रात्रि के समय एक शिकारी आया जो भूखा था, वह लगभग सभी पापों का भागी था. मंदिर में अधिक लोग होने के कारण शिकारी को भोजन चुराने का अवसर न मिल सका और उस शिकारी को वह रात्रि जागरण करते हुए बितानी पडी. प्रात:काल होने पर सब जन अपने घर चले गए और शिकारी भी अपने घर चला गया.
कुछ समय बीतने के बाद शिकारी कि किसी कारणवश मृत्यु हो गई. उस शिकारी ने अनजाने में ही सही आमलकी एकादशी व्रत किया था, इस वजह से उसे कर्मों में शुभ फल प्राप्त हुआ और उसका जन्म एक राजा के यहां हुआ. वह एक बार वह शिकार को गया और डाकूओं के चंगुल में फंस गया. डाकू उसे मारने के लिए शस्त्र का प्रहार करने लगे. किंतु डाकूओं के शस्त्र स्वंय डाकूओं पर ही वार करने लगे. सभी डाकूओं को मृत्यु प्राप्त हुई जब राजा ने पूछा की इस प्रकार मेरी रक्षा करने वाला कौन है.
इसके जवाब में भविष्यवाणी हुई की तेरी रक्षा श्री विष्णु जी कर रहे है. यह कृपा आपके आमलकी एकादशी व्रत करने के प्रभावस्वरुप हुई है. यह सुनकर राजा ने नमन करते हुए स्वयं को प्रभु के चरणों में समर्पित कर दिया और उन्हीं की भक्ति करते हुए मोक्ष को प्राप्त किया. इस प्रकार जो भी जन प्रभु नारायण जी की उपासना करते हुए एकादशी व्रत का पालन करते हैं उनके समस्त पापों का नाश होता है तथा परमपद की प्राप्ति होती है.
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