हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, मंगलवार को पड़ने वाली अमावस्या को मंगलवारी अमावस्या कहते हैं. इस दिन पितृ संबंधी सभी तरह के कार्य किए जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि मंगलवारी अमावस्या पर पितृ दान और तर्पण करने वाले को पितरों का आशीर्वाद मिलता है.
मंगलवारी अमावस्या के दिन दान, स्नान आदि करने का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. महर्षि व्यास के अनुसार इस दिन स्नान और दान करने से एक हजार गायों के दान के बराबर फल मिलता है. मंगलवारी अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ और भगवान विष्णु की पूजा करने की परंपरा है. दुनिया भर से लोग पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए हरिद्वार, काशी आदि तीर्थ स्थानों पर जाते हैं.
इस दिन कुरुक्षेत्र के ब्रह्म सरोवर में स्नान करने का विशेष महत्व है और इसे बहुत शुभ माना जाता है. इस स्थान पर दान-पुण्य और पवित्र स्नान करने वाले व्यक्ति को पुण्य फल की प्राप्ति होती है. सूर्योदय से सूर्यास्त तक पवित्र नदियों में स्नान करने वाले हजारों भक्तों को देखा जा सकता है. जो भक्त ये सभी कार्य करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
मंगलवारी अमावस्या का महत्व
चंद्र कैलेंडर के प्रत्येक माह में अमावस्या आती है. चंद्रमा के दो चरण होते हैं: शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष. कृष्ण पक्ष का अंत अमावस्या से होता है, जबकि शुक्ल पक्ष का अंत पूर्णिमा से होता है.
ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मृत पूर्वजों के निमित्त दान, स्नान, व्रत, तर्पण, होम आदि करना शुभ माना जाता है. ज्येष्ठ मास की अमावस्या का महत्व अन्य अमावस्याओं की अपेक्षा अधिक होता है. प्राचीन शास्त्रों में वर्णित अनुष्ठानों के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर भगवान की पूजा करनी चाहिए.
मंगलवारी अमावस्या तिथि पर परिवार के मृत पूर्वजों की मुक्ति के लिए सभी कार्य किए जाते हैं. शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के स्वामी पितृ देव हैं, इसलिए इस तिथि पर तर्पण, होम, पितृदान का विशेष महत्व है. अनुराधा, विशाखा या स्वाति नक्षत्र में सोमवार, मंगलवार और गुरुवार को पड़ने वाली अमावस्या बहुत शुभ मानी जाती है. इसी प्रकार शनिवार और चतुर्दशी को बनने वाले अमावस्या के योग भी अच्छे परिणाम देते हैं.
जो लोग इन योगों में तर्पण, होम, दान, तीर्थ स्नान करते हैं, वे सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं और अंत में मोक्ष प्राप्त करते हैं. विभिन्न हिंदू शास्त्रों में कुछ व्रत-उपवासों का वर्णन किया गया है, जिन्हें जीवन के शारीरिक, मानसिक और आर्थिक कष्टों से मुक्ति पाने के लिए श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाना चाहिए.
मंगलवारी अमावस्या का लाभ
मंगलवारी अमावस्या एक विशेष तिथि होती है, जो उस समय आती है जब अमावस्या मंगलवार के दिन पड़ती है. यह संयोजन अत्यंत शुभ और फलदायक माना जाता है, विशेषकर धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से. हिन्दू पंचांग के अनुसार, यह दिन पितरों को तर्पण, दान-पुण्य, उपवास और विशेष पूजा के लिए अत्यंत उत्तम होता है.
इस दिन का मुख्य लाभ पितृ दोष निवारण, ग्रह बाधा मुक्ति और रोग शमन में माना जाता है. विशेषकर जो लोग अपने जीवन में आर्थिक समस्याओं, वैवाहिक बाधाओं, या संतान संबंधी कष्टों से परेशान हैं, उनके लिए भोमवती अमावस्या अत्यंत शुभ अवसर होता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन किए गए पुण्य कर्मों का फल कई गुना बढ़कर प्राप्त होता है.
अमावस्या पर गंगा स्नान, तर्पण और ब्राह्मण भोज का विशेष महत्व है. यह कार्य करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके अलावा, हनुमान जी और भैरव बाबा की पूजा करने से मंगल दोष और अन्य ग्रह बाधाओं से मुक्ति मिलती है.
इस दिन व्रत और ध्यान करने से आत्मशुद्धि होती है और मन को शांति मिलती है. अनेक साधक इस दिन मौन व्रत और ध्यान करते हैं, जिससे उन्हें आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है. यह दिन साधना और तंत्र सिद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है.
मंगलवार में आने वाली अमावस्या पर दान करने से मानसिक संतुलन, करुणा और परोपकार की भावना विकसित होती है. अन्न, वस्त्र, धन और ज़रूरतमंदों की सहायता करने से आत्मिक संतोष मिलता है और समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
उपाय
पीपल के पेड़ की पूजा करें और सात बार परिक्रमा करें.
जल में काले तिल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें.
हनुमान चालीसा का पाठ करें और हनुमान मंदिर में सिंदूर चढ़ाएं.
ताम्र पात्र में जल, तिल और चावल डालकर पितरों के नाम से बहते जल में अर्पण करें.
इस प्रकार, भोमवती अमावस्या न केवल एक पवित्र तिथि है, बल्कि एक अवसर भी है अपने जीवन के आध्यात्मिक, मानसिक और सांसारिक पक्ष को संतुलित और सशक्त बनाने का.