महेश नवमी: जानें पूजा विधि और महत्व

महेश नवमी: जानें पूजा विधि और महत्व
महेश नवमी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो विशेष रूप से माहेश्वरी समाज द्वारा मनाया जाता है. यह पर्व प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. महेश नवमी का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है.

महेश नवमी का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
महेश नवमी का पर्व भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने माहेश्वरी समाज के पूर्वजों को श्राप से मुक्ति दिलाई थी और उन्हें अपना नाम ‘महेश’ प्रदान किया था. इस कारण यह दिन माहेश्वरी समाज के लिए विशेष महत्व रखता है. शिवपुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में महेश नवमी के दिन विशेष पूजा-अर्चना करने का महत्व बताया गया है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा से जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

महेश नवमी पूजा विधि
महेश नवमी के दिन विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. पूजा विधि इस प्रकार है
प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए. घर के मंदिर को स्वच्छ करें और गंगा जल का छिड़काव करना चाहिए. एक चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा या चित्र स्थापित करनी चाहिए. शिवलिंग का अभिषेक करते हुए बेलपत्र, फूल, गंगा जल आदि अर्पित करना चाहिए. घी का दीपक जलाएं और ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें.
शिव चालीसा और शिव पुराण का पाठ करें. व्रत का पारण करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं तथा दान-दक्षिणा देकर आशीर्वाद लेना चाहिए.

महेश नवमी के उपाय
महेश नवमी के दिन कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है:
शिवलिंग पर जल, दूध, भांग और बेलपत्र चढ़ाएं. इससे मनोकामनाएं पूरी होती हैं और बीमारियों से मुक्ति मिलती है. 21 बेलपत्र पर ‘ॐ’ लिखकर चढ़ाएं. इससे इच्छित फल प्राप्त होता है.
धन की प्राप्ति के लिए हरसिंगा (पारिजात) के फूलों की माला चढ़ाएं. व्यापार में उन्नति के लिए भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें.

महेश नवमी और माहेश्वरी समाज
महेश नवमी का पर्व विशेष रूप से माहेश्वरी समाज द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन समाज के लोग एकत्रित होकर धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं. यह पर्व \’;[प्समाज में एकता और भाईचारे की भावना को प्रगाढ़ करता है.

महेश नवमी धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है साथ ही यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. इस दिन समाज के लोग एकत्रित होकर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, जिससे समाज में एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा मिलता है. यह पर्व समाज की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने में भी सहायक है.

महेश नवमी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना का अवसर प्रदान करता है. महेश नवमी के दिन विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. अतः इस दिन को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाना चाहिए.

महेश नवमी पूजा के लाभ
महेश नवमी हिन्दू धर्म का एक पावन पर्व है जो ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है. यह दिन भगवान शिव (महादेव) को समर्पित होता है. खासकर महेश्वरी समाज के लिए यह पर्व विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन को उनके कुलदेव भगवान महेश के प्रकट दिवस के रूप में मनाया जाता है.

आध्यात्मिक उन्नति
भगवान शिव की पूजा से मन को शांति मिलती है और साधक को आध्यात्मिक बल एवं संतुलन प्राप्त होता है.

पापों से मुक्ति
इस दिन श्रद्धा से पूजा करने पर व्यक्ति को अपने पूर्व जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में शुभता आती है.

सुख-शांति और समृद्धि
महेश नवमी पर भगवान शिव का पूजन घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि लाता है.

रोगों और बाधाओं से रक्षा
शिवजी की आराधना करने से जीवन में आने वाली विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं और आरोग्यता बनी रहती है.

वैवाहिक सुख
जो दंपति संतान सुख या दांपत्य जीवन में सुख-शांति की कामना करते हैं, उन्हें इस दिन व्रत एवं पूजन से विशेष लाभ मिलता है.

कुल की उन्नति
विशेष रूप से महेश्वरी समाज में इस दिन का अत्यधिक महत्व होता है, क्योंकि इसे कुल देवता की आराधना का दिन माना जाता है.

महेश नवमी पूजन महत्व
महेश नवमी का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष दिन है. इस दिन श्रद्धालु उपवास रखकर पूरे मन और श्रद्धा से भगवान शिव की आराधना करते हैं. महेश नवमी को लेकर धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना की थी और महेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी. इसलिए यह दिन विशेष रूप से महेश्वरी समाज द्वारा बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है.

पूजा के समय महामृत्युंजय मंत्र और रुद्राष्टक का पाठ किया जाता है. भक्तजन शिव चालीसा का पाठ करते हैं और आरती गाते हैं. “ॐ जय शिव ओंकारा” आरती से वातावरण भक्तिमय हो जाता है. पूजा के पश्चात व्रती दिनभर व्रत रखता है, कुछ लोग केवल फलाहार करते हैं जबकि कुछ निर्जला उपवास भी करते हैं. रात्रि को पुनः आरती की जाती है और शिव कथा श्रवण किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि महेश नवमी का व्रत करने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और आरोग्यता आती है. यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी होता है जो पारिवारिक सुख, संतान सुख या मानसिक शांति की कामना रखते हैं.

भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से व्रती के जीवन में सभी विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं और धार्मिक व आध्यात्मिक उन्नति होती है. महेश नवमी का व्रत न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह आत्मशुद्धि, संयम और सेवा का संदेश भी देता है. जो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से यह व्रत करता है, उसके जीवन में भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है.

महेश नवमी आरती

ॐ जय शिव ओंकारा स्वामी जय शिव ओंकारा.
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा॥
ऊं जय शिव ओंकारा

एकानन चतुरानन पंचानन राजे .
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे .
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी .
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे .
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता .
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका .
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी .
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे .
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

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