महाशिव रात्रि अर्थात कल्याणकारी रात्रि. फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को किया जाने वाला महाशिवरात्रि का पर्व इसी को दर्शाता है. इस शिवरात्रि का शास्त्रों में बहुत माहात्म्य माना है. मान्यता है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को भगवान शिव ज्योतिर्मय लिंग स्वरूप में प्रकट हुए थे इसलिए इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है. शिवरात्रि के व्रत के बारे में भिन्न-भिन्न मत हैं.
फाल्गुन महाशिवरात्रि उत्सव | Phalgun Maha Shivratri Festival
फाल्गुन का महीना वसंत के आगमन को दर्शाता है, फाल्गुन माह का स्वागत प्रकृति भी करने लगती हैं और देवताओं के रथ सजने लगते हैं. वैसे तो यह पर्व संपूर्ण भारत में मनाया जाता है किंतु हिमाचल के मंडी में मनाया जाने वाला महा शिवरात्रि का त्यौहार लोकोत्सव एवं दर्शनिय होता है है. फाल्गुन मास में प्रारंभ होने वाले इस उत्सव में देवी-देताओं का दर्शन करने हेतु दूर दूर से लोग आकर एकाकार होते हैं. इस समय का प्रमुख आकर्षण मेले और उनमें शामिल होने वाली शोभायात्राएं होती हैं.
महाशिवरात्रि व्रत-पूजन नियम | Rituals to Worship On Maha Shivratri
सर्वसाधारण मान्यता के अनुसार जब प्रदोष काल रात्रि का आंरभ एवं अर्द्धरात्रि के समय चतुर्दशी तिथि रहे तो उसी दिन शिव रात्रि का व्रत किया जाना चाहिए. कुछ के अनुसार यह व्रत प्रातः काल से चतुर्दशी तिथि रहते रात्रि पर्यंत तक करना चाहिए व रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शिव की पूजा अर्चना करनी चाहिए. इस विधि से किए गए व्रत द्वारा पुण्य कर्मों का अनुमोदन हो जाता है और भगवान शिव की अनुकंपा प्राप्त होती है.
जीवन पर्यंत इस विधि से श्रद्धा-विश्वास पूर्वक व्रत का आचरण करने से भगवान शिव की कृपा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. जो लोग इस विधि से व्रत करने में असमर्थ हों वे रात्रि के आरंभ में तथा अर्द्धरात्रि में भगवान शिव का पूजन करके व्रत पूर्ण कर सकते हैं तथा इस विधि से व्रत करने में असमर्थ हों तो पूरे दिन व्रत करके सायंकाल में भगवान शंकर की यथाशक्ति पूजा अर्चना करके व्रत पूर्ण कर सकते हैं.
महाशिवरात्रि पूजन | Maha Shivratri Pujan
महाशिवरात्रि की रात्रि महा सिद्धिदायी होती है. इस समय में किए गए दान पुण्य, शिवलिंग की पूजा, स्थापना का विशेष फल प्राप्त होता है. पारद अथवा स्फटिक शिवलिंग की पूजा एवं स्थापना सिद्धिदायक मानी गई है इसके नित्य पूजन और दर्शन से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. पारद शिव लिंग की पूजा अर्चना करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और स्फटिक शिवलिंग द्वारा धन, यश मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है.
महाशिवरात्रि में शिवलिंग पूजा | Maha Shivratri – Worshipping the Shivalinga
सर्वप्रथम गंगाजल जल से शिवलिंग को स्नान कराएं तथा दूध, दही, घी, मधु, शक्कर से स्नान कराकर उन पर चंदन लगाना चाहिए फिर फूल, बिल्वपत्र अर्पित करें, धूप और दीप से पूजन करते हुए शिव मंत्रों से जप प्रारंभ करके नित्य एक माला जप करनी चाहिए. नमः शिवाय तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्। त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।
नित्य काम्य रुप में पूर्ण होता है, फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को, अर्धरात्रि के समय शिव लिंग का प्रादुर्भाव हुआ था. इस कारण यह महाशिव रात्रि मानी जाती है. सिद्धांत रूप में सूर्योदय से सूर्योदय पर्यंत रहने वाली चतुर्दशी अर्धरात्रि व्यापिनी ग्राह्य होती है. यदि यह शिव रात्रि त्रयोदशी चतुर्दशी अमावस्या के स्पर्श की हो, तो और भी महत्वपूर्ण हो जाती है. इस विधि से व्रत करने से भी भगवान शिव की कृपा से जीवन में सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.