वैशाख विनायक चतुर्थी पर्व: पूजा, विशेषता, लाभ एवं धार्मिक महत्व

वैशाख विनायक चतुर्थी पर्व

वैशाख माह की मासिक विनायक चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश की पूजा एवं अराधना की जाती है। वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के समय श्री गणेश वंदना करने से भक्तों को जीवन में सुख एवं शांति की प्राप्ति होती है. ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है। वैशाख विनायक चतुर्थी का पर्व भक्तों के मध्य भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है.  यह पर्व भगवान गणेश की आराधना के लिए समर्पित होता है और इस दिन का पूजन व्रत नियम करना जीवन को सफल और सुखमय बनाने वाला होता है.

वैशाख विनायक चतुर्थी न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह जीवन में शुभ ऊर्जा और नवीनता की प्रेरणा भी देती है. इस पर्व पर भगवान गणेश की भक्ति करने से मनोबल, साहस और सफलता प्राप्त होती है. आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जब लोग मानसिक तनाव, असफलता और अस्थिरता से जूझ रहे हैं, तब इस प्रकार के आध्यात्मिक पर्व उन्हें शांति और समाधान का मार्ग दिखाते हैं. इसलिए, हर श्रद्धालु को चाहिए कि वह इस शुभ तिथि को पूरी निष्ठा और नियमपूर्वक मनाकर भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करे और जीवन में समस्त विघ्नों का नाश कर सफलता के मार्ग पर आगे बढ़े.

वैशाख विनायक चतुर्थी पूजा विधि 

विनायक चतुर्थी का दिन भगवान श्री गणेश जी को अत्यंत प्रिय रहा है। इस दिन भगवान का पूजन भक्त को जीवन के नकारात्मक पक्ष से बचाव देने वाला होता है। वैशाख विनायक चतुर्थी की पूजा प्रातःकाल सूर्योदय के बाद प्रारंभ की जाती है. पूजा विधि इस प्रकार होती है : 

प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. पूजा स्थान को शुद्ध करें और भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें. फिर संकल्प लें कि आप यह व्रत श्रद्धा और भक्ति से करेंगे.

एक तांबे या पीतल के कलश में जल भरकर आम या अशोक के पत्ते लगाएं और उसके ऊपर नारियल रखें. फिर भगवान गणेश के सामने दीपक, अगरबत्ती, फूल, दूर्वा, मोदक, लड्डू, पंचमेवा आदि अर्पित करने चाहिए.

ॐ गण गणपतये नमः मंत्र का 108 बार जाप करें. इसके अलावा गणेश अष्टोत्तर शतनामावली, गणेश चालीसा या श्री गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है.  पूजा के बाद गणेश व्रत कथा का श्रवण या पाठ अवश्य करना चाहिए. इस दिन की कथा में भगवान गणेश द्वारा भक्तों को संकटों से मुक्त करने की कथाएं वर्णित होती हैं. पूजा के अंत में गणेश जी की आरती करें जय गणेश जय गणेश देवा और मोदक या लड्डू का प्रसाद वितरित करना चाहिए।

मासिक विनायक चतुर्थी प्रभाव 

हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को ‘विनायक चतुर्थी’ के रूप में मनाया जाता है, परंतु वैशाख मास की विनायक चतुर्थी विशेष रूप से शुभ मानी जाती है क्योंकि यह वसंत ऋतु की समाप्ति और ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत का प्रतीक भी होती है.

यह तिथि किसी भी नए कार्य की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है. व्यापारी वर्ग, विद्यार्थी, लेखक, कलाकार तथा नवविवाहित जोड़े इस दिन विशेष पूजा करते हैं.

चंद्रमा दर्शन से बचाव

इस दिन चंद्र दर्शन नहीं करने की परंपरा है. पौराणिक मान्यता है कि चतुर्थी के दिन चंद्रमा देखने से मिथ्या दोष लगता है. यदि भूलवश देख लिया जाए तो “श्रीकृष्ण-सत्यभामा संवाद” या “स्यमंतक मणि कथा” का पाठ कर लेना चाहिए.

बुद्धि और विवेक की प्राप्ति

भगवान गणेश को बुद्धि का दाता कहा गया है. उनकी आराधना से व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है और वह जीवन में सही दिशा में आगे बढ़ता है.

विघ्नहर्ता गणेश जी की उपासना जीवन में आने वाले हर प्रकार के संकट और विघ्नों को दूर करती है. विशेषकर जिन लोगों के जीवन में बार-बार कार्य में अड़चनें आती हैं, उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए.

जो दंपति संतान की प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, उनके लिए यह व्रत अत्यंत फलदायी होता है. साथ ही, यह व्रत पारिवारिक सौहार्द और समृद्धि को भी बढ़ाता है.

जो विद्यार्थी पढ़ाई या परीक्षा में सफलता चाहते हैं, उन्हें विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा कर ‘विद्या मंत्र’ का जाप करना चाहिए

वैशाख विनायक चतुर्थी महत्व 

स्कंद पुराण, गणेश पुराण इत्यादि में गणेश चतुर्थी का विस्तृत वर्णन मिलता है. इनमें कहा गया है कि जो भक्त चतुर्थी को व्रत और पूजा करता है, उसे गणेश जी की कृपा से संपूर्ण मनोकामनाएं प्राप्त होती हैं.

चतुर्थी तिथि स्वयं गणेश जी की तिथि मानी जाती है. वैशाख में जब यह तिथि शुभ नक्षत्रों में आती है, तब यह अत्यंत फलदायी मानी जाती है. नियमित विनायक चतुर्थी व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि, मानसिक शांति, व्यवसाय में वृद्धि तथा पारिवारिक प्रेम की प्राप्त होती है.

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